रेवाड़ी में जेजेपी तो धारूहेड़ा में भाजपा एक दूसरे का मुंह देखते रह गए
रणघोष खास. वोटर की कलम से
रेवाड़ी नगर परिषद एवं धारूहेड़ा नगर पालिका चुनाव में जीत के लिए भाजपा- जेजेपी गठबंधन सीटों के बंटवारे को लेकर साथ- साथ मीटिंग करते हुए नजर आए। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का रेवाड़ी में पहला दौरा धारूहेड़ा में जेजेपी प्रत्याशी राव मान सिंह के लिए हुआ। जबकि हकीकत यह रही की पूरे चुनाव प्रचार में रेवाड़ी में भाजपा को मजबूत करने के लिए जेजेपी के पदाधिकारी एवं नेता कहीं नजर नहीं आए। वहीं धारूहेड़ा में जेजेपी के लिए भाजपाईयों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाईं। मीडिया कवरेज में जरूर दोनो दलों के पदाधिकारी यह दावा करते नजर आए की हम छोटे- बड़े भाई है। 30 दिसंबर को आने वाले परिणाम भी दोनों दलों के गठबंधन धर्म की परीक्षा लेंगे। हकीकत यह है कि सीटों के बंटवारे को लेकर ही अंदरखाने दोनो दल के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता एक दूसरे से सहमत नजर नहीं आ रहे थे। भाजपा ने तो धारूहेड़ा में राजनीतिक आत्मघाती फैसला ले लिया और चेयरमैन तो दूर वार्ड मेंबर प्रत्याशी तक उतारने तक का अधिकार जेजेपी को दे दिया वह भी चुनाव मतदान से 10 दिन पहले। इसी तरह जेजेपी ने भी रेवाड़ी की सभी सीटों से खुद को अलग कर बता दिया कि शहर में उसकी जमीन को तैयार होने में समय लगेगा। राजनीति जानकारों की माने तो यह लोकतांत्रिक प्रणाली का सबसे छोटी ईकाई का चुनाव है। इसमें आपसी भाईचारा, व्यवहार से ही एक दूसरे जिताया एवं हराया जाता है। यहां किसी भी तरह की पार्टी की विचारधारा काम नहीं करती है लेकिन भाजपा- जेजेपी ने अपनी राजनीति जड़ों को मजबूत करने के लिए सिंबल पर चुनाव लड़ने का नया प्रयोग किया है। उसी की देखा देख कांग्रेस को भी यह कदम उठाना पड़ा। मौजूदा हालात को देखे तो इससे भाजपा- जेजेजी को सत्ता में होने की वजह से राजनीति लिहाज से फायदा कम नुकसान ज्यादा होने जा रहा है। इसकी सही रिपोर्ट दो दिन बाद 30 दिसंबर को आने वाले परिणामों से सामने आ जाएगी।