सतीश यादव के साथ आए कापड़ीवास, समीकरण बदले, भाजपा- कांग्रेस को होगा नुकसान
रणघोष खास. रेवाड़ी
नगर निकाय चुनाव में दैनिक रणघोष की रिपोर्ट शत प्रतिशत सही साबित होती जा रही है। पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव की पत्नी आजाद उम्मीदवार उपमा देवी के समर्थन में आ गए हैं। मंगलवार सेक्टर पांच में खुद कापड़ीवास पार्टी कार्यालय का उद्धाटन किया। इस उलटफेर के साथ ही इस सीट पर मुकाबला पूरी तरह से त्रिकोणीय हो गया है। इससे पहले कापड़ीवास की भाजपा में विधिवत एंट्री होनी थी लेकिन केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह समर्थित उम्मीदवार पूनम यादव को टिकट दिए जाने के बाद कापड़ीवास ने ऐन वक्त पर अपने फैसले को बदल लिया। इस नेता का कहना है कि उनका मकसद इस सीट पर राव इंद्रजीत सिंह एवं पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव के उम्मीदवारों को हराना है। राजनीति में अचानक हुए बदलाव से सतीश की जमीनी ताकत मजबूत हो गईं। इसका नुकसान सबसे ज्यादा भाजपा को सकता है क्येांकि कापड़ीवास भाजपा की टिकट पर ही 2014 में विधायक बने थे और शहर में उनकी अच्छी खासी पकड़ है। वैसा देखा जाए तो रेवाड़ी विधानसभा चुनाव में कापड़ीवास एवं सतीश यादव निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़कर सम्मानजनक वोट हासिल कर चुके हैं। इससे उनकी जमीनी पकड़ का पता चलता है। सामाजिक चेहरे के तौर पर कापड़ीवास तो मुखर, बेबाक एवं दबंग राजनीति के तौर पर सतीश यादव अपनी पहचान रखते हैं। भाजपा ने नगर चुनाव में सिबंल के नाम पर जो प्रयोग किए हैं वह पूरी तरह जोखिम भरे हैं। तीन फैसलों से भाजपा नुकसान उठा सकती है जिसे राव इंद्रजीत सिंह अपनी जमीनी ताकत से कितना रिकवर कर पाते हैं। यह देखने वाली बात होगी। पहली नगर निकाय चुनाव की घोषणा से एक दिन पहले भाजपा ने जिला कार्यकारणी का गठन कर दिया। सभी को संतुष्ट कर पाना किसी के लिए संभव नहीं है। लिहाजा भाजपा का एक धड़ा असंतुष्ट हो गया। दूसरा चेयरमैन का चुनाव सिंबल से लड़ने के आधार पर थोक के भाव आवेदन आ गए। जिसमें अधिकांश भाजपा संगठन के सबसे पुराने चेहरे थे। चूंकि टिकट राव इंद्रजीत सिंह की सहमति से तय होनी थी। इसलिए जिसे नहीं मिली वे इतनी जल्दी मानकर पार्टी को मजबूत करने में जुट जाएंगे। ऐसा इसलिए संभव नहीं है यही तस्वीर 2019 के विधानसभा चुनाव में नजर आ चुकी है। विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुनील यादव को जितने भी वोट मिले उसमें राव इंद्रजीत सिंह का निजी प्रयास था। यही स्थिति इसी चुनाव में बनने जा रही है। तीसरी महत्वपूर्ण बात भाजपा ने वार्ड पार्षद का चुनाव भी पार्टी सिंबल से लड़ाकर सबसे बड़ा जोखिम ले लिया। कुल 31 वार्ड में चुनाव लड़ने के लिए 150 दावेदारों के आवेदन आए। इसमें 50 प्रतिशत पुराने चेहरे थे। उनकी टिकट कटते ही वे नाराज हो गए हैं। ऐसे में वे वार्ड स्तर पर पार्टी उम्मीदवार के साथ किस सोच के साथ खड़े नजर आएंगे। यह देखने वाली बात होगी। उधर कांग्रेस ने इसका बखूबी फायदा उठाते हुए विक्रम यादव मजबूत महिला चेहरा मैदान में उतार दिया जिसकी अपनी पहचान है। कुल मिलाकर इस सीट पर समीकरण तेजी से बदलते जा रहे हैं। इतना जरूर है कि कापड़ीवास के आने से सतीश यादव अब मजबूत दावेदार के तौर पर मैदान में आ चुके हैं।