नप अधिकारियों का कारनामा : छलक नाले के ढाई करोड के कार्य की मॉनिटरिंग फाइल पर चेयरपर्सन की जगह उपप्रधान से करवा डाले साइन

 डिप्टी सीएम ने नप अधिकारियों की लगाई क्लास फाइल  दिखाकर बोले यह क्या है, जांच के दिए आदेश


रणघोष अपडेट. नारनौल

आए दिन किसी न किसी मामलों में अक्सर चर्चा में रहने वाले नगर परिषद नारनौल के अधिकारियों ने इस बार तो सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए हैं। इस बार नगर परिषद की करगुजारियों का एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसे देख कर तो ऐसा लगता है कि नारनौल नगर परिषद में सरकार के नियम कायदे कानून नहीं बल्कि यहां के अधिकारियों के खुद के नियम चल रहे हैं। नारनौल में मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार 2019 से करीब 34 करोड़ की लागत से छलक नाले का निर्माण किया जा रहा है । इस नाले के निर्माण का ज्यों ज्यों कार्य होता जा रहा है, उसी प्रकार ठेकेदार को रनिंग बिल का भुगतान भी किया जा रहा है।  इस नाले के 16वें बिल में  ठेकेदार ने 2 करोड़ 43 लाख 79812 रुपए का बिल नगर परिषद में सबमिट किया है। एक करोड से अधिक राशि के बिल का भुगतान करने से पहले सरकार के नियम अनुसार नगर निकाय के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के दिनांक 25 जनवरी 2022 के पत्र क्रमांक 456 के अनुसार गठित जिला मॉनिटरिंग कमेटी के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर के बाद बिल भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जाती है। जिला मॉनिटरिंग कमेटी में नगर परिषद के जेई, एमई, एक्सईएन, कॉरपोरेशन के एसई, शहर के एक सामाजिक व्यक्ति तथा नगर परिषद का प्रधान शामिल होते है और इन सबके रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करवाए जाते हैं। अब उपरोक्त छलक नाले के करीब ढाई करोड़ का बिल  ठेकेदार ने नगर परिषद के अधिकारियों के पास सबमिट किया तो इसकी मॉनिटरिंग रिपोर्ट तैयार करवाई गई। मॉनिटरिंग रिपोर्ट की फाइल पुटअप करने वाले अधिकारी ने न केवल नोटिंग पर वाइस प्रेसिडेंट के साइन का हवाला दे दिया बल्कि नोटिंग रिपोर्ट पर जहां स्पष्ट रूप से चेयरपर्सन नगर परिषद नारनौल लिखा था, उसके नीचे उपप्रधान की मोहर सहित साइन करवाएं हुए हैं। मॉनिटरिंग रिपोर्ट के जिस स्थान पर उपप्रधान के मोहर सहित हस्ताक्षर हैं, उसके ठीक ऊपर  हस्ताक्षर के बाद भी चेयरपर्सन नगर परिषद लिखा हुआ है। जब यह फाइल नगर परिषद की चेयरपर्सन ने देखी तो वह हैरान हो गई। मॉनिटरिंग रिपोर्ट पर उनके हस्ताक्षर को दरकिनार करके नियम के विरुद्ध उनके स्थान पर उपप्रधान के साइन करवाने के पीछे अधिकारियों व ठेकेदार की क्या मंशा है, यह भी एक बहुत बड़ा सवाल है।

गत दिवस बुधवार को नारनौल में दौरे पर आए हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की जानकारी में चेयरपर्सन कमलेश सैनी ने यह मामला डाल दिया। डिप्टी सीएम ने बिना देर किए एक गांव में चल रहे प्रोग्राम में ही नगर परिषद के अधिकारियों को तलब कर लिया। नारनौल के डोहरकला गांव  में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने अपने कार्यक्रम के बाद जलपान के दौरान नगर परिषद के डीएमसी व ईओ के सामने उपरोक्त फाइल रखते हुए न केवल उनसे जवाब तलब किया बल्कि उन्हें झाड़ भी पिलाई। डिप्टी सीएम ने इस मामले में तुरंत प्रभाव से जांच करके रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा। इस मौके पर वहां उपस्थित जेजेपी नेता अशोक सैनी ने भी डिप्टी सीएम को बताया कि नारनौल नगर परिषद के कुछ अधिकारी व कमलेश सैनी के राजनीतिक विरोधी  जानबूझकर एक साजिश के तहत कमलेश सैनी को कमजोर कर रहे हैं। जिसके कारण ना केवल शहर का विकास रुका हुआ है बल्कि आम लोगों में  सरकार की छवि भी खराब हो रही है। दूसरी तरफ डिप्टी सीएम द्वारा इस मामले में संज्ञान लेने पर जांच की बात जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो शहर के अनेक लोगों ने भी इस मामले में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से कार्रवाई की मांग की है।

*क्या कहती है चेयरपर्सन:–* इस बारे में नगर परिषद की चेयरपर्सन कमलेश  सैनी ने बताया कि उन्होंने मामला डिप्टी सीएम की जानकारी में तो ला ही दिया है, जिसकी वे खुद जांच का आदेश दे गए हैं। इसके अलावा उन्होंने एक लिखित पत्र डीएमसी को देकर पत्र में जानकारी मांगी गई है कि सरकार के कौन से आदेश और नियम के तहत मॉनिटरिंग रिपोर्ट पर उनके स्थान पर उपप्रधान के साइन करवाए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस पत्र की एक एक प्रति नगर निकाय विभाग के एसीएस और निदेशक को भी भेजी गई है ताकि मामला मुख्यमंत्री की जानकारी में भी लाया जा सके।

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