नूंहः खट्टर ने कहा- धार्मिक यात्रा पर पूरी तरह रोक, हिन्दू संगठन जिद पर अड़े

रणघोष अपडेट. हरियाणा से

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को नूंह हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य पुलिस और प्रशासन ने फैसला लिया है कि लोगों को जुलूस निकालने के बजाय पास के मंदिरों में जाना चाहिए। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, खट्टर ने कहा, ” 31 जुलाई को वहां (नूंह) जिस तरह की घटना हुई, उसे देखते हुए, यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है कि क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनी रहे।”मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा- “हमारी पुलिस और प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि यात्रा (ब्रज मंडल शोभा यात्रा) निकालने के बजाय, लोगों को पास के मंदिरों में जाना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए। यात्रा की अनुमति नहीं दी गई है, लेकिन लोग मंदिरों में पूजा-अर्चना कर सकते हैं क्योंकि यह सावन का महीना है।” नूंह में सरकार ने शनिवार को धारा 144 लगा दी है और अगली सूचना तक इंटरनेट भी बैन कर दिया है। प्रशासन ने विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल द्वारा सोमवार 28 अगस्त को निकाले जाने वाली बृजमंडल जलाभिषेक धार्मिक यात्रा को अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा कि इससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। इस बीच वीएचएपी नेता विनोद बंसल और अन्य हिन्दू संगठनों के नेताओं ने कहा कि उन्हें जलाभिषेक यात्रा के लिए अनुमति लेने की जरूरत ही नहीं है। विनोद बंसल का वीडियो बयान देखिए-

इरादे क्या हैं

वीएचपी और बजरंग दल के पदाधिकारियों ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यात्रा सुबह 11 बजे नूंह के नलहर महादेव मंदिर से निकाली जाएगी और फिर फिरोजपुर झिरका के झिर मंदिर और बाद में पुन्हाना के सिंगार मंदिर तक जाएगी और शाम 4 बजे समाप्त होगी। सर्व हिंदू समाज के बैनर तले कार्यक्रम का आयोजन कर रहे वीएचपी की युवा शाखा, बजरंग दल के सदस्यों के अनुसार, वे “सभी सावधानियां” बरत रहे हैं। गौ रक्षा दल, हरियाणा के नारायण ने कहा: “लाइसेंस वाले सभी लोग आत्मरक्षा के लिए हथियार रखेंगे।पीटीआई के अनुसार मुख्यमंत्री ने रविवार को साफ कर दिया कि हरियाणा प्रशासन ने नूंह में कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए ‘जल अभिषेक यात्रा’ निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है, लेकिन भक्त पास के मंदिरों में अनुष्ठान कर सकते हैं। यानी हरियाणा सरकार ने वीएचपी और बजरंग दल का दबाव मानने से इनकार कर दिया है। नूंह में भारी पुलिस बल की तैनाती के बावजूद हिन्दू संगठनों की जिद किसी और तरफ भी इशारा कर रही है। दूसरी तरफ नूंह में सन्नाटा पसरा हुआ है। ज्यादातर मस्जिदों पर ताले हैं। नूंह में 31 जुलाई को हिंसा उस समय भड़क उठी थी, जब वहां जलाभिषेक यात्रा निकल रही थी। फरार मुलजिम मोनू मानेसर और अब गिरफ्तार हो चुके बिट्टू बजरंगी के वीडियो बयानों से मेवात का इलाका पहले से ही तनाम में था। मोनू मानेसर ने वीडियो बयान जारी कर 31 जुलाई को नूंह आने की चुनौती दी थी। बिट्टू बजरंगी ने अपने वीडियो बयान में आपत्तिजनक बातें कहीं थीं। मोनू मानेसर दोहरी हत्याओं में नामजद आरोपी है और फरार है। इन्हीं दोनों पर मेवात का माहौल बिगाड़ने और 31 जुलाई की हिंसा का आरोप है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने सवाल उठाया था कि धार्मिक यात्रा में लोग हथियार लेकर क्यों गए थे। बहरहाल, नूंह की हिंसा गुड़गांव, पलवल और फरीदाबाद तक फैली। इन घटनाओं में एक धर्म गुरु समेत 6 लोग मारे गए। समुदाय विशेष के धार्मिक स्थलों को जला दिया गया और कुछ में तोड़फोड़ की गई। लेकिन पुलिस ने नूंह से बड़े पैमाने पर समुदाय विशेष के लोगों की गिरफ्तारियां की हैं, तीन एनकाउंटर किए हैं।

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