रणघोष खास. गांव की चौपाल से
ग्राम पंचायत चुनाव में पंच को लेकर एक तरफ निर्विरोध बनाने की परंपरा भाईचारे की मिशाल बनी हुई है वहीं दूसरी तरफ इसी पद पर एक हजार रुपए महीना भत्ता मिलने का लालच भी आपसी भाईचारे को खत्म कर रहा है। पंच का पद लोकतंत्र प्रणाली की सबसे छोटी और मजबूत बुनियाद है। हरियाणा में जब से पंच को एक हजार रुपए भत्ता देने घोषणा हुई है। एक अजीब सा लालच चुनाव में पंच पद को हासिल करने के लिए हावी होना शुरू हो जाता है। रणघोष ने इस पद पर खड़े उम्मीदवारों से बातचीत की तो 99 प्रतिशत के पास अपने वार्ड के विकास को लेकर कोई विजन नहीं था। वह इस पद को महज लक्की ड्रा की तरह देख रहा है कि पंच बनने पर उसे एक हजार रुपए मासिक भत्ता मिलेगा। वह चुनाव में अचानक नजर आता है और वोटों के समीकरण के हिसाब से गोटी बैठाकर जीतने की जुगत में लग जाता है। गांवों में अभी भी जनप्रतिनिधियों के छिपे एजेंडों को समझने की समझ नहीं आई है। वे आपसी रसूक व प्रभाव से अपने मत का प्रयोग कर रहे हैं। यहीं सोच ही विकास की तस्वीर को बदसुरत बना देती है।