पंजाब: सुखबीर बादल के काफिले पर हमला, चली गोलियां

रणघोष अपडेट. पंजाब से


किसान आंदोलन की तपिश से जूझ रहे पंजाब में हालात ठीक नहीं हैं। मंगलवार को राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के काफिले पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। अकाली दल ने आरोप लगाया है कि यह हमला कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया है। यह घटना जलालाबाद इलाक़े में हुई है। युवा अकाली दल के प्रमुख परमबंस सिंह रोमाना ने कहा कि हमलावरों का नेतृत्व कांग्रेस विधायक का भाई कर रहा था। उन्होंने कहा कि यह घटना उस वक़्त हुई जब सुखबीर बादल जलालाबाद के एसडीएम दफ़्तर में स्थानीय निकाय के चुनावों के लिए पार्टी के उम्मीदवारों द्वारा पर्चा भरने के मौक़े पर शामिल होने आए थे। इस घटना के वीडियो में दिख रहा है कि कई लोग बादल की गाड़ी पर पत्थर फेंक रहे हैं। कहा गया है कि इस दौरान गोली भी चली है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। हमले के वक्त सुखबीर बादल बुलेटप्रूफ गाड़ी में ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठे थे। पुलिस ने कहा है कि इस घटना में चार लोग घायल हो गए हैं। पुलिस अफ़सरों ने गोली चलाए जाने की भी पुष्टि की है। किसान आंदोलन के कारण पंजाब में पहले से ही अशांति का माहौल है। किसान कई जगहों पर जियो के टावर्स की बिजली सप्लाई काट चुके हैं। 100 से ज़्यादा जगहों पर किसान संगठनों के धरने चल रहे हैं। रिलायंस के मॉल, पेट्रोल पंप के बाहर पिछले कई महीनों से धरना जारी है और बड़ी संख्या में लोग सिंघु बॉर्डर के लिए कूच कर चुके हैं। 26 जनवरी को दिल्ली के चांदनी चौक पर निशान साहिब फहराए जाने के बाद से राज्य सरकार भी खासी सतर्क है। सवाल यह है कि अगर सुखबीर बादल जैसे बड़े नेता के काफिले पर हमला हो सकता है तो छोटे नेताओं के साथ कोई बड़ी वारदात हो सकती है। ऐसे में राज्य की अमरिंदर सरकार के सामने क़ानून व्यवस्था को संभालने की बड़ी चुनौती है। अमरिंदर सरकार के लिए अशांत माहौल के बीच स्थानीय निकाय के चुनाव कराना आसान नहीं होगा। अमरिंदर सिंह ख़ुद किसान आंदोलन से पंजाब के माहौल को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं। वह पंजाब को अशांत करने में पाकिस्तान का हाथ होने की ओर भी इशारा कर चुके हैं। अमरिंदर सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह को भी बताया था किसान आंदोलन से पंजाब की माली हालत और राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर हो रहा है। मोदी सरकार जब कृषि से जुड़े अध्यादेश लाई थी, तभी से पंजाब में किसानों का आंदोलन शुरू हो गया था। जब सरकार ने जिद पर अड़कर क़ानून बना दिए तो किसानों ने प्रदर्शन तेज़ कर दिया और दिल्ली के बॉर्डर पर पहुंच गए। किसानों के ग़ुस्से से सियासी नुक़सान की संभावना को देखते हुए ही शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था और अकाली कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया था।

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