रणघोष खास. एसके सिंह
चाहे फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस में प्रॉक्सी के जरिए मेडिकल प्रवेश परीक्षा में टॉप करने वाला मुरली प्रसाद शर्मा हो, व्हाई चीट इंडिया में इंजीनियरिंग के एक छात्र से दूसरों के प्रश्न पत्र हल करवाने वाला राकेश सिंह हो या जॉली एलएलबी 2 में माइक पर परीक्षार्थियों को नकल करवाने वाला वकील जगदीश्वर मिश्रा हो, ये सब फिल्मों के ही नहीं बल्कि असल जिंदगी के भी किरदार हैं। देश का शायद ही कोई राज्य होगा और शायद ही कोई परीक्षा होगी, जहां धांधली का ग्राफ ऊंचा ही ऊंचा उठता न गया हो। जैसे-जैसे परीक्षा के तरीके आधुनिक होते गए, धांधलेबाज ‘जहां चाह-वहां राह’ बनाते गए। बल्कि परीक्षाएं ऑनलाइन होने के बाद तो जैसे घोटालों में तेजी आई है और घोटालेबाज खुलेआम व्यवस्था को चुनौती देते नजर आ रहे हैं। वजह नौकरियों के घटते मौके हों या कुछ और, लोग भी इन परीक्षाओं में पास होने के लिए लाखों की रकम देने को तैयार बैठे हैं। वैसे इसका कोई ठोस आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन जानकार मानते हैं कि हर साल यह धंधा कई सौ करोड़ रुपये का होता है। ताजा मामला मेडिकल की प्रवेश परीक्षा नीट का है। 12 सितंबर को हुई इस परीक्षा में असली की जगह नकली परीक्षार्थी बिठाने और प्रश्नपत्र लीक होने की बात सामने आई। इस सिलसिले में जयपुर पुलिस ने जयपुर, कोटा और दिल्ली से 13 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें छह मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र हैं। वाराणसी पुलिस ने भी जूली कुमारी नाम की छात्रा को गिरफ्तार किया है जो त्रिपुरा की हिना विश्वास की जगह परीक्षा दे रही थी। इन सबके पीछे सॉल्वर गैंग का हाथ है।राजस्थान में पकड़े गए गैंग का सरगना राजन राजगुरु नाम का शख्स बताया जाता है, जिसे 2010 में राजस्थान प्री मेडिकल टेस्ट दूसरी रैंक मिली थी। पेपर लीक कराने के बदले उसने 35 लाख रुपये लिए। यह रैकेट किस तरह पूरे देश में फैला है, उसका अंदाजा इस बात से चलता है कि पकड़े गए छात्र देहरादून मेडिकल कॉलेज, भरतपुर मेडिकल कॉलेज और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं। पेपर लीक कराने में मददगार एक परीक्षा केंद्र के इंचार्ज राम सिंह को भी पकड़ा गया है।बीएचयू की बीडीएस सेकेंड ईयर की छात्रा जूली त्रिपुरा की जिस हिना की जगह परीक्षा में बैठी थी, उसके पिता गोपाल विश्वास ने बेटी को मेडिकल प्रवेश परीक्षा में पास कराने के लिए 25 लाख रुपये में सौदा तय किया था। यहां जो सॉल्वर गैंग सक्रिय था उसका सरगना पटना का पीके नाम का शख्स बताया जाता है। उसे लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र शाहिद और बिहार के खगड़िया के विकास सॉल्वर उपलब्ध कराते थे। वाराणसी पुलिस ने इन दोनों को भी गिरफ्तार किया है।नीट से पहले इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा जेईई (मेन) में भी ऐसा ही हुआ। अब तो धांधलेबाज चोटी के संस्थानों में दाखिला दिलाने के लिए सीधे अभिभावकों को फोन करने लगे हैं। ऐसा ही एक फोन पटना के रतीश झा के पास आया। फोन करने वाले ने कहा कि हम लोग एनआइटी और दूसरे संस्थानों में एडमिशन करवाते हैं। हम जैसा कहेंगे, उस तरह से फॉर्म भरना है। झा ने कहा, “फॉर्म तो पहले ही भर दिया है, अब कैसे करेंगे,” तो उसने कहा कि उसमें सेंटर बदलने का विकल्प होता है। उसने यह भी कहा कि 10 से 12 लाख रुपये लगेंगे, पैसे एडमिशन के बाद देने हैं। झा के पास दोबारा फोन आया कि बिट्स पिलानी में एडमिशन हो जाएगा। जब झा ने कंप्यूटर साइंस में एडमिशन की बात की तो तीसरी बार फोन में बताया गया कि 14 से 15 लाख रुपये लगेंगे। एडमिशन कैसे करवाएंगे, यह पूछने पर बताया कि आपको 99 पर्सेंटाइल मिल जाएगा, इतना नंबर मिलने पर एडमिशन होना निश्चित है।इस वर्ष जेईई मेन के चौथे चरण की परीक्षा 26 अगस्त से 2 सितंबर तक हुई। झा ने तो धांधली करके बेटे का दाखिला कराने से मना कर दिया, लेकिन उन्हें मालूम था कि ऐसा संभव है। उनके बेटे का एक सहपाठी पढ़ाई में बहुत कमजोर था, किसी तरह पास होता था। लेकिन उसे 99 पर्सेंटाइल अंक मिल गए थे। सीबीआई ने इस सिलसिले में दिल्ली-एनसीआर, पुणे, जमशेदपुर, इंदौर और बेंगलूरू समेत 19 जगहों पर छापेमारी की और 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें नोएडा के कोचिंग सेंटर एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के दो डायरेक्टर और चार कर्मचारी तथा सोनीपत के एक प्राइवेट कॉलेज के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं। जांच एजेंसी के अनुसार परीक्षार्थी के कंप्यूटर का रिमोट एक्सेस लेकर विशेषज्ञ सवालों के जवाब लिखते थे। इसके लिए सोनीपत के एक परीक्षा केंद्र को चुना गया था। बदले में वे परीक्षार्थी की दसवीं और बारहवीं की मार्कशीट, यूजर आइडी, पासवर्ड और 12 से 15 लाख रुपये का पोस्ट डेटेड चेक अपने पास रखते थे। यह परीक्षा ऑनलाइन होती है जिसे 2017 में स्थापित नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) आयोजित करवाती है। इसने टीसीएस आइओएन को जेईई मेन्स ऑनलाइन परीक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है, जो देश की सबसे बड़ी डिजिटल एसेसमेंट कंपनी है। कुछ जानकार मानते हैं कि धांधलेबाजों ने पूरे सिस्टम पर नियंत्रण कर लिया है और वे बिना किसी डर के ऐसा कर रहे हैं। उनका कहना है कि किसी को 99.5 पर्सेंटाइल तभी मिल सकता है जब उसे प्रश्नपत्र पहले से मिल जाए।