रणघोष खास. मणिपुर से साभार: राकेश अचल
मणिपुर ढाई महीने पहले खून से नहाया अब निवस्त्र कर दिया गया। इस घटना का असर पूरे देश पर नहीं पड़ेगा। वजह भी साफ है यह राज्य दिल्ली से 2500 किमी दूर है। भाषा भी अलग। इसलिए हिंदी मीडिया के लिए ज्यादा खेलने व खिलाने वाली खबर नहीं रहेगी। यहां के 10 युवाओं से बात कर लिजिए उन्हें यूपी में पति के साथ लड़ रही एसडीएम ज्योति मोर्या व पाकिस्तान से प्रेम में पागल होकर सचिन मीणा से शादी रचाने आईं सीमा हैदर के घर तक की पूरी जानकारी है। यही घटना दिल्ली या सटे आस पास राज्यों में हो जाती तो यकीन माने मणिपुर वाली आग अपनी हैसियत भूल जाती। मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने का वीडियो बुधवार 19 जुलाई को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में दिख रहा है कि अन्य पक्ष के कुछ लोग एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड करा रहे हैं। गनीमत है कि मणिपुर पुलिस ने इस वारदात का खंडन नहीं किया और माना कि घटना 4 मई की है। पुलिस के मुताबिक़ 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने के वीडियो के संबंध में हथियारबंद अज्ञात बदमाशों के खिलाफ नोंगपोक से कमाई पुलिस थाने में अपहरण, गैंगरेप और हत्या आदि का मामला दर्ज किया गया है और जाँच शुरू कर दी गई है।हमारा मणिपुर बीते ढाई महीने से हिंसा की आग में झुलस रहा है। यहाँ अब तक 120 से ज़्यादा निर्दोष लोग मारे जा चुके हैं, लेकिन बीजेपी के सहयोग से चल रही मणिपुर की डबल इंजन की सरकार न हिंसा पर काबू हासिल कर सकी है और न नफरत की आग बुझा पायी है। उलटे अब अराजक तत्व मणिपुर की महिलाओं की अस्मिता का सार्वजनिक रूप से चीरहरण करते नज़र आने लगे हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा पर आग उगलने वाली भाजपा की सम्माननीय प्रवक्ता स्मृति ईरानी की वाणी को अब जैसे काठ मार गया है। वे नपे-तुले शब्दों में कैमरे पर आये बिना ट्विटर पर कह रही हैं कि -‘मणिपुर से आया दो महिलाओं पर यौन हिंसा का भयावह वीडियो निंदनीय और सर्वथा अमानवीय है। सीएम एन बीरेन सिंह से बात की है जिन्होंने मुझे बताया है कि जांच अभी चल रही है और आश्वासन दिया कि अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।’
मणिपुर की हिंसा पर राजनीति नहीं कार्रवाई होनी चाहिए, जो होकर भी होती सी नहीं दिखाई दे रही। केंद्रीय गृह मंत्री मणिपुर को शांत करने के लिए भगीरथ प्रयास कर रहे हैं किन्तु उनके बारे में देश को कुछ नहीं पता। दुनिया -जहान की खबर रखने वाले और दुनिया भर में घूमने वाले हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी को मणिपुर जाने की फुर्सत अभी नहीं मिली है, हालांकि वे मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनावी रैलियों को सम्बोधित करने के लिए समय निकाल चुके हैं। प्रधानमंत्री की व्यस्तता को लेकर मुझे टिप्पणी करने का कोई हक नहीं है। मुमकिन है कि वे मणिपुर के लिए कुछ तो कर ही रहे होंगे। देश उम्मीद कर रहा है कि प्रधानमंत्री शायद संसद को अपनी कोशिशों के बारे में कोई जानकारी दें।जलते, खून में नहाये और अब निर्वस्त्र हो चुके मणिपुर में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पीड़तों के बीच पहुँच चुके हैं लेकिन वे भी वहां क्या कर सकते हैं? सरकार तो उनकी पार्टी की है नहीं। सरकार तो डबल इंजन की सरकारें चलने वाली भाजपा और उसके सहयोगी दलों की है। यानी सबकी सरकार है किन्तु सबकी रक्षा नहीं कर पा रही है। प्रधानमंत्री ऐसी परिस्थितियों में कांग्रेस की तरह किसी
नाकाम सरकार को बर्खास्त करने का पाप नहीं करते। उनकी पार्टी पापियों के पाप धोने वाली सरकार है। लेकिन मणिपुर में उन्हें कामयाबी नहीं मिल रही है। इसलिए कांग्रेस
को सरकार की, प्रधानमंत्री की निंदा नहीं
करनी चाहिए। क्या इस
तरह की तस्वीरें और हिंसक घटनाएं उन्हें विचलित नहीं करतीं?”मन की बात बहुत हो गई, समय मणिपुरकी बात करने का है। अगर आप मणिपुर पर नहीं बोलते हैं तो आप संसद को बाधित करने के
आरोपी होंगे।’मणिपुर को लेकर हमारे नेता ट्वीट के अलावा कुछ कर ही नहीं
सकते। उनके हाथ में करने के लिए कुछ है ही नहीं। इसलिए बेचारे दिल्ली के
मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया कि- ”मणिपुर की वारदात बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। भारतीय समाज में इस तरह की घिनौनी हरकत बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
मणिपुर के हालात बेहद चिंताजनक बनते जा रहे हैं’। मणिपुर को लेकर कोई विवेक अग्निहोत्री फिल्म बनाने का साहस नहीं कर रहा, क्योंकि ऐसी फ़िल्में अगर बनेंगी तो भाजपा और उसकी डबल इंजन की सरकार तथा सरकार के नेता बेनकाब होंगे। हम और देश चाहता है कि सरकार मणिपुर पर संसद में श्वेत पत्र लाये और अपनी उपलब्धियों तथा नाकामियों को बिना हिचके सार्वजनिक करे।
(राकेश अचल के फ़ेसबुक पेज से)