पुलिस एनकाउंटर की वाहवाही करने से कोई भी बेगुनाह इसका शिकार हो सकता है: जस्टिस चेलमेश्वर

हैदराबाद एनकाउंटर के एक साल बाद आयोजित एक लेक्चर में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने अगाह करते हुए कहा कि ‘तुरंत न्याय’ की भावना और पुलिस एनकाउंटर के चलते ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है जहां कोई भी बेगुनाह व्यक्ति ‘सरकार की मनमानी कार्रवाई’ का शिकार हो सकता है। हैदराबाद की डॉक्टर के साथ सामूहिक बलात्कार और उनकी हत्या के आरोप में गिरफ्तार चार आरोपियों की कथित पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई थी। बार एंड बेंच के मुताबिक, अपने भाषण में रिटायर्ड जज ने कानून के शासन की महत्ता पर जोर दिया. विशेष रूप से हैदराबाद एनकाउंटर का उल्लेख करते हुए जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, ‘यदि आरोपी के पुलिस एनकाउंटर की वाहवाही की जाती है तो हममें से कोई भी कल इसका शिकार हो सकता है। वह बीते छह दिसंबर को हैदराबाद के आईसीएफएआई लॉ स्कूल में व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘जब हम अखबारों में ‘तुरंत न्याय’ के बारे में पढ़ते हैं तो बड़ा अच्छा लगता है, लेकिन मामला ये है कि ये सब सिर्फ उन्हीं चार लोगों तक नहीं रुकता है. यदि इस तरह के सिस्टम को प्रमोट किया जाता है तो हममें से कोई भी व्यक्ति इसका शिकार हो सकता है. यदि स्थानीय पुलिसवाला आपसे खुश नहीं है तो वह ये कह सकता है कि आप किसी अपराध के आरोपी हैं और इसके बाद कुछ भी हो सकता है। पूर्व न्यायाधीश ने उल्लेख किया कि हैदराबाद में चार आरोपियों के एनकाउंटर की खबर को सिविल सोसाइटी द्वारा जश्न के रूप में मनाया गया था, जो कि हमारे कानून व्यवस्था की अक्षमता को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा, ‘दूसरे शब्दों में कहें तो सिविल सोसायटी ने कानून की निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना राज्य की कार्रवाई को स्वीकार किया. उनके (सिविल सोसायटी) अपने कारण हो सकते हैं. वे कह सकते हैं कि न्यायिक प्रक्रिया बहुत धीमी है. उन्हें दोषी ठहराने में 20 साल लग सकते हैं और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी पड़ती है. तमाम तरह के तर्क हैं, लेकिन इस तरह के तर्क क्यों दिए जा रहे हैं? यह मूल रूप से हमारी कानून मशीनरी की अक्षमता है। कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू करने पर जोर देते हुए जस्टिस चेल्मेश्वर ने कहा कि हमारे यहां कानून है, लेकिन लागू करने की स्थिति अपर्याप्त है. यदि कानून सही तरह से लागू नहीं होता है तो अपराध होने के मौके और बढ़ जाते हैं। पूर्व न्यायाधीश ने कानून के छात्रों से कानून का कुशल क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का आग्रह किया ताकि कानून का शासन सुरक्षित रहे। उन्होंने कहा, ‘यदि हम इसका ख्याल नहीं रखते हैं, यह सिस्टम अपने आप पंगु बन सकता है. लोग सिस्टम में विश्वास खो सकते हैं. मैं निराशजनक बातें नहीं करना चाहता हूं, लेकिन एक अक्षम प्रणाली के ये संभावित परिणाम हैं। मालूम हो कि बीते 27 नवंबर 2019 को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के बाहरी इलाके में सरकारी अस्पताल में कार्यरत एक महिला पशु चिकित्सक की चार युवकों ने बलात्कार के बाद हत्या कर दी थी. पिछले साल छह दिसंबर को हैदराबाद में तेलंगाना पुलिस ने एक मुठभेड़ में चारों आरोपियों को मार गिराया था। पुलिस के अनुसार, यह घटना सवेरे करीब साढ़े छह बजे उस समय हुई जब वह पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या की जांच के सिलसिले में आरोपियों को घटनास्थल पर ले गई थी. ये आरोपी हैदराबाद के निकट उसी राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर पुलिस की गोलियों से मारे गए, जहां 25 वर्षीय पशु चिकित्सक का जला हुआ शव मिला था. इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व जज जस्टिस वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन पिछले साल दिसंबर में किया था. जुलाई, 2020 में इस आयोग का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है.

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