किसान परेड में अगुवाई करने के साथ करेंगें किसानों की रक्षा
किसानों की अनदेखी पर पूर्व सैनिकों का गुस्सा आज फुट पड़ा और उन्होंने कितलाना टोल पर चल रहे अनिश्चित कालीन धरने पर सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी लगाते हुए प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि देश के अन्नदाता किसान देश की शान है और उन्हीं की बदौलत देश खुशहाल है। पिछले 59 दिन से कड़कड़ाती ठंड में लाखों किसान अपनी वाजिब मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं उसके बावजूद सरकार की कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। ये सरासर किसानों का अपमान है जो असहनीय है।
उन्होंने कहा कि किसान का जवान बेटा ही देश की सीमाओं की रक्षा कर रहा है और यहां सरकार उनके बुजुर्गों का ध्यान रखने की बजाए उन्हें विपरीत परिस्थितियों में धरना देने पर मजबूर किये हुए है। सरकार को समझना चाहिए कि इससे जवानों का मनोबल गिरना स्वाभाविक है। उन्होंने पूर्व सैनिकों से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि अब आरपार की लड़ाई है। तीनों कृषि कानून हमें बर्बाद कर पूंजीपतियों का दास बना देंगे। इसलिए 26 जनवरी पूर्व सैनिक दिल्ली में होने वाली किसान परेड की ना केवल अगुवाई बल्कि किसानों की रक्षा भी करेंगे और जीतकर ही वापिस लौटेंगे।
पूर्व सैनिकों ने कहा कि जब देश कोरोना की महामारी से जूझ रहा था और अर्थव्यवस्था डावांडोल थी उस वक्त गिरती जीडीपी को खेती ने ही बचाया था। ये किसान ही थे जिन्होंने किसी देशवासी को अन्न, फल, दूध और सब्जी की कमी महसूस नहीं होने दी थी। आज किसानों पर संकट देख 36 बिरादरी किसान आंदोलन के समर्थन में आ खड़े होने से ये जनांदोलन बन गया है। सरकार को तुरंत किसानों की सभी मांगों को पूरा करना चाहिए।
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कितलाना टोल पर 29वें दिन चल रहे किसानों के अनिश्चित कालीन धरने की संयुक्त अध्यक्षता सुरजभान सांगवान, गंगाराम श्योराण, मास्टर राज सिंह, दिलबाग ग्रेवाल, मूर्ति देवी, मास्टर ओमप्रकाश कितलाना, राज सिंह धनाना, राजू मान ने की। मंच संचालन धर्मेन्द्र छपार ने की।
दादरी के निर्दलीय विधायक और खाप 40 के प्रधान सोमबीर सांगवान ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार को टाल मटोल वाला रवैया त्याग किसानों की मांगें पूरी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ देश उठ खड़ा हुआ है और सरकार को झुकाकर ही दम लेंगे।
इस अवसर पर सेवानिवृत्त कप्तान राजमल, रिसाल सिंह, रामफल डोहकी, सूबेदार बलवान सिंह बोहरा, सतबीर सिंह, महीपाल सिंह, रामपत सिंह, समुन्द्र सिंह, सरदार सिंह, नायब सूबेदार पहलवान होशियार सिंह, मांगेराम सिंमार, हवलदार सतीश कुमार, सज्जन सिंह, बीर सिंह सिमार, सुरजभान सांगवान, राजेंद्र घिकाड़ा, छोटूराम, जयसिंह, लांस नायक मौजीराम, प्रदीप कुमार, सिपाही नरेश कुमार, सहजराम इत्यादि मौजूद थे।