–हकेवि में भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर विशेष कार्यक्रम आयोजित
–प्रो. सोनाझारिया मिंज व डॉ. हंसराज सुमन ने किया सम्बोधित
भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की 130वीं जयंती के अवसर पर हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में ऑनलाइन विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति जनजाति प्रकोष्ठ के द्वारा समकालीन भारत में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने कहा कि बाबा साहब का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है और हमें उनके विचारों को जानने व समझने की जरूरत है। कुलपति ने कहा कि बाबा साहब अम्बडेकर के सिद्धांत राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी समाहित है और इस नीति में सभी के लिए विकास की संभावनाएं उपलब्ध हैं।
ऑनलाइन व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने डॉ. भीम राव अम्बेडकर के जीवन पर प्रकाश डाला और कहा कि उन्होंने भारत के संविधान निर्माण के साथ-साथ समाज के पिछड़े व वंचितों के लिए जीवन पर्यन्त तक कार्य किया। कुलपति ने कहा कि बाबा साहब छूआछूत, वर्ण व्यवस्था जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज बुलंद की। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका, झारखंड की कुलपति प्रो. सोनाझारिया मिंज ने कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर यह कार्यक्रम अवश्य ही हमें उनके विचारों से अवगत होने और जीवन में समाहित करने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने सामाजिक लोकतंत्र की परिकल्पना पर विशेष जोर दिया और भारत निर्माण के लिए उनका यह भाव आज भी महत्त्वपूर्ण है। प्रो. मिंज ने स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने भारत में इन तीन भावों के प्रचार-प्रसार हेतु जीवनभर कार्य किया। यदि हम इन तीन विषयों को महत्ता प्रदान करते हुए अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करें तो बाबा साहब के सपनों के भारत का निर्माण संभव है। प्रो. मिंज ने कहा कि आज के व्याख्यान का विषय समकालीन भारत में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता है जोकि स्पष्ट करता है कि अभी भी हम इस मोर्चे पर कुछ पीछे है और इसके लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। इसी क्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री अरविंदो कॉलेज के शिक्षक डॉ. हंसराज सुमन ने बाबा साहब अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता और उनके प्रयासों का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने डॉ. अम्बेडकर के पत्रकारिता, सामाजिक विकास, पिछड़ों के उत्थान और देश की प्रगति हेतु दिए गए विचारों का उल्लेख करते हुए विस्तार से बताया कि किस तरह से उनके दिए गए दर्शन को अमलीजामा पहनाकर भारत निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है। डॉ. सुमन ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर के विचारों पर अमल की प्रक्रिया जारी है और अवश्य ही स्वतंत्रता, समता व विश्व बंधुत्व का भाव भारत व विश्व के निर्माण में मददगार साबित होगा। विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति जनजाति प्रकोष्ठ की संयोजक डॉ. रेणु ने बताया कि इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति का परिचय छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. दिनेश गुप्ता ने, विशेषज्ञ वक्ता प्रो. मिंज का परिचय उप छात्रकल्याण अधिष्ठाता डॉ. आनन्द शर्मा ने तथा विशेषज्ञ वक्ता डॉ. हसंराज सुमन का परिचय सहायक आचार्य डॉ. सन्नी तंवर ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन उप छात्रकल्याण अधिष्ठाता डॉ. मोनिका ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी, शिक्षणेतर कर्मचारी, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।