आज क्रिसमस है। ऐसे में हम बनारस की चर्च की कहानी बताते हैं जहां पर है तो चर्च उसके निर्माण शैली उसकी वास्तु कला सब मंदिर से मिलती है ।आप हैरान हो जाएंगे कि ये चर्च है या फिर मंदिर ताजुब तब तक करेंगे जब एक तरफ क्रिसमस करोल चलता है तो दूसरे का हर हर महादेव का जयकार होता है। एक तरफ बाइबल की लाइनें लिखी हुई है तो दूसरी तरफ गीता के उपदेश और यह कोई नया नही बहुत पुराना है लेकिन कहते हैं ना यहां सभी धर्मों का समावेश बहुत साफ नजर आता है इसलिए तो देखने के लिए हर कोई हर धर्म का चला आता है ये काशी का अंदाज़ है। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी एक लघु भारत की भी तस्वीर भी पेश करती हैं जहाँ सर्व-धर्म समभाव की झलक देखने को मिलती है ,एक तरफ घण्टो और घड़ियालों कि आवाज तो दूसरी ओर मस्जिदों से गूंजती नमाज,और गिरजाघरों में कोरल की गीत , गंगा जमुनी तहज़ीब की मिशाल पेश करती है। मगर यहाँ मज़हबो को एकता का संदेश देता एक ऐसा चर्च भी है, जहाँ की दीवारें भी गीता का संदेश दिया करती है ।यहाँ के लोग इसे अनोखा चर्च कहते है। गंगा किनारे बसा ये शहर बनारस ,लघु भारत की वो तस्वीर दिखता है जहाँ सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग बसते है ,काशी सभी धर्मो का केंद्र बिंदु है, इन्ही तस्वीरों में ये खूबसूरत तस्वीर है वाराणसी के कैंटोमेंट में बना सेंत मेरी कैथिड्रेल चर्च जिसका इतिहास सालों पुराना है लेकिन ये चर्च पूर्णतया भरतीय संस्कृति की झलक को दर्शाता हैं ,सेंत मरीज महागिरजाघर के फादर विजय शांति राज ने बताया की इस चर्च की भरतीय संस्कृति से जोड़ते हुए इसका निचला हिस्सा अष्टकमल के फूल के आकार का बनाया हैं,यानि भारतीय वास्तुकला में इसे अष्टकोणीय कहा जाता है ,कमल पूर्णता का प्रतिक है ,और शंख भगवान् के सन्देश देने का प्रतिक है। यहाँ ॐ (ओम) ,कलश ,आम के पत्ते ,लताये और ईशा मसीह का संदेश शामिल है ।यहीं नही इस चर्च में जहाँ बाइबिल के संदेश लिखे है तो वही गीता के श्लोक “सेवाधर्मः परमगहनो योगिनामप्यगम्य:” भी संस्कृत में बड़े- बड़े पीतल के धातु से बने अक्षरों से उकेरे गए है । इस चर्च को जाने माने पंडित आर्किटेक्ट कृष्ण मेनन और अपनी रचनात्मकता व भारतीयता के लिए जाने-जाने वाले आर्टिस्ट ज्योति शाही थे। ये चर्च सर्व धर्म के लोगो को एकता के एक सूत्र में बंधे रहने का संदेश देता है जो इंसान को इंसान समझे ।डॉ यूजीन जोशेफ बिशप बताते है की काशी जैसा नगर जो सभी धर्मो का केंद्र बिंदु है ,हमारे पूर्वजो ने ऐसा सोचा कि एक ऐसा मंदिर बने जो सबके दिल को भाये ,भारतीय वास्तु शास्त्र मंडला कांसेप्ट पर बना है जहा गुरु बैठ कर शिक्षा देते है ,वास्तु में पगोड़ा भी शामिल है ,चर्च के आस-पास के वातावरण में हरियाली व् शांति है अहिंसा से प्रेरित है। चर्च की इसी ख़ासियत को देखने सभी वर्ग के लोग यहाँ खिंचे चले आते है फिर चाहे वो मुस्लिम हो या हिन्दू ।ये एक पहला चर्च होगा जहाँ करोल के साथ साथ हर हर महादेव के जयकारे भी लगाए जाते है, यहाँ आने वाले लोग भी यहीं मानते है कि ये चर्च ईसा मसीह के उन्ही संदेशों को दर्शाता है जिसमे उन्होंने कहा है कि ईश्वर एक है। वाराणसी से इस चर्च के अनोखा चर्च कहा जाता है अनोखा इसलिए कि यहाँ गीता के ज्ञान के साथ साथ बाइबिल का ज्ञान भी मिलता है जो हमे बताता है कि विश्व की प्राचीन नगरी वाराणसी लघु भारत की वो तस्वीर पेश करता है जिसमे सर्व धर्म समाहित है ।