बाबा साहेब की प्रतिमा को लेकर माता रमा बाई संगठन ने साफ की तस्वीर कहां एक- एक रुपए का हिसाब है

WhatsApp Image 2021-04-22 at 12.26.09 PMशहर के अंबेडकर चौक पर लगी कांस्य से बनी संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा पर खर्च हुई राशि को लेकर माता रमा बाई सामाजिक उत्थान संस्था ने स्थिति को स्पष्ट किया है। 14 अप्रैल को बाबा साहेब की प्रतिमा अनावरण का आयोजन इसी संस्था के माध्यम से किया गया था। संस्था के अध्यक्ष आरपी मेहरा ने कहा कि इस पूरे आयोजन में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती गई है। जब यह प्रतिमा क्षतिग्रस्त हुई तो हम डीसी यशेंद्र सिंह से मिले और कहा कि इसे शिफ्ट किया जाए ताकि आए दिन इस तरह की घटनाएं नहीं हो। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए। इसके लिए सीटीएम की स्पेशल डयूटी लगाई गई।  अधिकारियों ने 6 लाख रुपए की प्रतिमा भी फाइनल कर उसे लेकर भी आ गए थे। डीसी यशेंद्र सिंह ने ही सुझाव दिया था बाबा साहेब की कांस्य प्रतिमा बेहतर रहेगी ताकि आए दिन की टूट फूट की समस्या से निजात मिल जाए। हमने देशभर में इसका पता लगाया तो जीएसटी समेत उसकी लागत साढे 11 लाख रुपए आ रही थी। संस्था के पास करीब 5 लाख का बजट था। डीसी यशेंद्र सिंह ने पूरा सहयोग किया और किसी कंपनी के माध्यम से सीएसआर से इस बजट को पूरा करवाने का भरोसा दिलवाया। उधर जेजेपी जिला अध्यक्ष श्याम सुंदर सभ्ररवाल भी एक लाख रुपए देकर हमारी संस्था के सदस्य बन गए थे। आयोजन में कई तरह के खर्चें हुए उसका पूरा रिकार्ड हमारे पास है। कंपनी की तरफ से भी राशि मिली। जिस भाई को प्रतिमा अनावरण पर खर्च हुई राशि को लेकर कोई शंका है वह हमारे पास आए। सारा रिकार्ड मिल जाए। आरके मैहरा ने कहा कि हल्ला वो मचा रहे हैं जिन्होंने इस प्रतिमा अनावरण में एक रुपया का भी सहयोग नहीं दिया।

 कुछ संगठन बाबा साहेब की आड में अपनी दुकान चलाते हैं

इस पूरे मामले यह बात भी खुलकर सामने आई कि कुछ संगठन  कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर सत्ता में आते ही उसी राजनीतिक दल से जुड़ जाते हैं जबकि अधिकांश बिना शोर मचाए बाबा साहेब की विचारधारा में संपूर्ण समाज को जोड़कर अपने मिशन में जुटे रहते हैं। सत्ता से जुड़ने वाले इन सामाजिक संगठनों का रिकार्ड कार्ड देखा जाए तो ये सत्ता के  माहौल के हिसाब से अपनी विचारधारा बदलते रहे हैं। जब इनके निजी हितों को चोट लगती हैं तो ये बाबा साहेब की विचारधारा की आड लेकर आपसी भाईचारे को बांटने का काम करते हैं।

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