चेयरमैन प्रत्याशियों को अपने ही हराएंगे- जीताएंगे किसी के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं
रणघोष खास. वोटर की कलम से
नगर निकाय चुनाव में रेवाड़ी नगर परिष्द एवं नगर पालिका धारूहेड़ा में चेयरमैन के दावेदारों को मौजूदा हालात में अंदरखाने अपने ही हराने की तैयारी में जुटे हुए हैं। किसी के पास कोई मजबूत मैनेजमेंट या बड़ा मुद्दा नहीं है जिसके बूते पर वह मतदाताओं को प्रभावित कर सके। सभी के पास वहीं पुराने मुद्दे है जो सालों से नारेबाजी के हाथों पुराने हो चुके हैं। उदाहरण के तौर पर नप चेयरमैन उम्मीदवार दावा कर रहे हैं कि उन्हें जिम्मेदारी मिलने पर सबसे पहले आवारा पशुओं, गंदगी, अतिक्रमण, गंदे पानी की निकासी एवं भ्रष्टाचार को खत्म करेंगे। यहां गौर करिए जितने भी प्रमुख उम्मीदवार यह दावा कर रहे हैं वे खुद या उनके सहयोगी रेवाड़ी- धारूहेड़ा नपा की सीट पर सत्ता का सुख भोग चुके हैं। जब उस समय वे कुछ नहीं कर पाए तो इस बार के चुनाव में ऐसा क्या चमत्कार हो जाएगा। यह देखने वाली बात होगी। इस चुनाव में यह बात तो स्पष्ट है कि किसी भी राजनीतिक दल की कोई विचारधारा काम करने वाली नहीं है। भाजपा प्रत्याशी को जीताने के लिए मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर 20 दिसंबर को दोपहर 3 बजे एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ 22 दिसंबर को रेवाड़ी दौरे पर आ रहे हैं। सरकार होने के नाते वे क्या घोषणाएं कर पाते हैं और इसका कितना प्रभाव पड़ेगा। यह भी देखने वाली बात होगी।
शुरूआत करते हैं कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम यादव से। राजनीति में विक्रम का पहला कदम है। वह बहुत पहले ही इस क्षेत्र में आना चाहती थी लेकिन किसी ना किसी कारणों से नहीं आ सकी। एक कुशल वक्ता, ऊर्जावान व्यक़्तित्व के तोर पर जरूर पहचान बना चुकी है लेकिन जमीनी तौर उनके लिए सबकुछ नया है। ऐसे में पारिवारक सदस्य रेवाड़ी शहर की हर गली- मोहल्ले एवं परिवारों के मिजाज से अच्छी तरह से वाकिफ पूर्व मंत्री अजय सिंह यादव, विधायक चिरंजीव राव एवं पर्दे के पीछे रहकर मैनेजमेंट संभाल रही शकुंतला यादव पत्नी कप्तान अजय सिंह यादव पर ही सबकुछ निर्भर है। सीधे तौर पर विक्रम यादव की जीत और हार की चाबी कप्तान के पास है। कप्तान खास तौर से चिरंजीव राव के लिए भी यह चुनाव पूरी तरह प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। जीतने का श्रेय भी उन्हें मिलेगा और हार का ठीकरा भी वे चाहकर किसी पर नहीं फोड़ पाएंगे। वजह इस चुनाव में किसी भी दल का कोई एजेंडा या विचारधारा असर डालने वाली नहीं है। निजी सीधे संपर्क एवं व्यवहार ही हार जीत को तय करेगी। ऐसे में परिवार की एकजुटता ही ताकत बनेगी और ठहराव ही समीकरण बदल देगा। इसी तरह भाजपा प्रत्याशी पूनम यादव को भी भाजपा की अंदरूनी कलह नुकसान पहुंचा सकती है। हालांकि यहां केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की जमीनी ताकत सुरक्षा कवच का काम करेगी। कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल एवं कोसली विधायक लक्ष्मण सिंह यादव के अलावा भाजपा का एक धड़ा उनके साथ मजबूती के साथ खड़ा है लेकिन वार्ड स्तर पर सिंबल से चुनाव लड़ने के निर्णय से भाजपा गली- मोहल्लों में भी अलग अलग धड़ों में बंट चुकी है। इसलिए यहां पूनम यादव जीत के लिए अपनो को मनाने में ज्यादा जूझती नजर आएगी। सहयोगी के तोर पर जेजेपी पार्टी रेवाड़ी शहर में खुद ही मजबूत होने के लिए संघर्ष कर रही है इसलिए उसका सहयोग ज्यादा प्रभाव डालने वाला नहीं है। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरी उपमा यादव के साथ आए पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास ने भी अपने इरादों को फिर जता दिया है कि वे 2019 के विधानसभा चुनाव में हार का बदला इस बार पूरी तरह चुकता कर देंगे। कापड़ीवास के आने से उपमा यादव एवं उनके पति पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव की भूमिका बदल गई है। मतदाता उपमा यादव की जीत- हार को कापड़ीवास की प्रतिष्ठा से जोड़कर चल रहे हैं। इसलिए कापड़ीवास को खुद के चुनाव की तरह ताकत लगानी होगी। उनके लिए सकारात्मक बात यह है कि वार्ड की टिकट नहीं मिलने पर नाराज हुए आधे से से ज्यादा उम्मीदवार अंदरखाने उनके साथ जुड़ चुके हैं जिसमें कुछ को वे आजाद के तौर पर मैदान में उतार रहे हैं। इसलिए यहां भी अपनों की ताकत- कमजोरी ही जीत- हार को तय करेगी। इसी तरह अपने दम पर पार्षद एवं चेयरमैन का चुनाव लड़ रहे विजय राव एवं उनकी पत्नी निर्मला राव भी हार- जीत के समीकरण को बिगाड़ने या बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। लगातार चार बार पार्षद एवं नप प्रधान रहते हुए विजय राव की अपनी जमीनी पकड़ है। कुल मिलाकर इस चुनाव में चेयरमैन उम्मीदवारों की हार जीत अपनो की एकता एवं बिखराव से ही तय होगी। किसी विचारधारा या बड़ी- बड़ी घोषनाओं से नहीं।
धारूहेड़ा में जेलदार परिवार की एकता और बिखराव ही हार-जीत तय करेगी
धारूहेड़ा नगर पालिका सीट पर भाजपा ने पूरा भरोसा जेजेपी पर जता दिया है। यहां चेयरमैन से लेकर सभी 17 वार्ड पार्षद उम्मीदवार पर जेजेपी अपने कार्यकर्ता को उतार रही है। भाजपा कार्यकर्ता सहयोग करेंगे। कितना करेंगे यह रजल्ट बताएगा। यहां जेजेपी के वरिष्ठ नेता मंजीत जेलदार ने अपने बेटे मान सिंह को मैदान में उतारा है। यहां परिवार से ही भाजपा के बुजुर्ग नेता राव टे शिवरतन अपने बेटे शिवदीप के लिए पार्टी से टिकट मांग रहे थे लेकिन बंटवारे में यह सीट जेजेपी मे जाने से शिवदीप निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए हैं। वे नपा गठन से पहले धारूहेड़ा के सरपंच भी रह चुके हैं। अगर शिवदीप मैदान में उतर गए तो इसका नुकसान जेलदार को होगा। ऐन वक्त पर एकजुट हो गए तो इस सीट पर उनकी मजबूत दावेदारी बनी रहेगी। उधर भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष संदीप बोहरा भी निर्दलीय के तौर पर आज नामाकंन भरेंगे। अगर जेलदार परिवार एक नहीं हुआ तो इसका फायदा बोहरा, बाबूलाल लांबा व अन्य आजाद उम्मीदवार को हैसियत के हिसाब से कम ज्यादा होगा। कुल मिलाकर यहां किसी भी प्रत्याशी की कोई हवा नहीं चल रही है। सभी इधर उधर से अपना गणित बनाने में जुटे हुए हैं।