24 दिसंबर के बाद कुछ प्रत्याशी मैदान छोड़कर आ जाएंगे किसी के समर्थन में
रणघोष खास. वोटर की कलम से
चुनाव जीतने के लिए अलग अलग विजन के साथ मैदान में उतरे प्रत्याशियों में कुछ ऐसे भी होते हैं जो मतदान से एक एक दिन पहले किसी के समर्थन में आ जाते हैं। नगर निकाय चुनाव में भी यही रिपोर्ट धीरे धीरे सामने आने लगी है। आमतौर पर ऐसे उम्मीदवारों के लिए राजनीति सेवा नहीं छिपा हुआ एजेंडा होती है। ये प्रत्याशी चुनाव प्रचार में मतदाताओं की जनभावनाओं से खेलकर अपना मकसद पूरा कर जाते हैं। इसलिए समय आ गया है कि जागरूक मतदाता ऐसे प्रत्याशियों को सबक सिखाने के लिए उस प्रत्याशी का समर्थन हरगिज नहीं करें जो पहले तो वोट के लिए एक दूसरे की जमकर खिलाफत कर रहे थे। तरह तरह के आरोप लगा रहे थे। अचानक मतदान से एक- दो दिन पहले एक साथ नजर आते हैं। राजनीति जानकारों की माने तो ऐसे प्रत्याशी राजनीति में वायरस की तरह होते हैं जो कोरोना की तरह संपर्क में आते ही उसे किसी लायक नहीं रहने देते। रेवाड़ी- धारूहेड़ा में खड़े मजबूत प्रत्याशियों के हवाले से आ रही खबरों के अनुसार 24 दिसंबर के बाद वार्ड मेंबर एवं चेयरमैन प्रत्याशी जिन्हें पता है कि वे जीत की रेस से बाहर है लेकिन अपने जुटाए छोटे से वोट बैंक से किसी मजबूत दावेदार को हराने-जिताने की ताकत रखते हैं। वे किसी अंदरखाने हुए समझौते के तहत मैदान छोड़ने की तैयारी में हैं। ऐसे में देखना होगा कि ऐसे प्रत्याशी क्या सोचकर चुनाव में उतरते हैं और फिर सोचकर मतदान से दो-तीन पहले दूसरे के समर्थन में आते हैं। ऐसे उम्मीदवारों के लिए राजनीति सेवा नहीं धंधा होती है। ये उम्मीदवार स्वस्थ्य लोकतंत्र की गरिमा और परपंरा के लिए घातक है जो चालाकी से मतदाताओं की भावनाओं से खिलवाड़ करने का काम करते हैं।