बड़ी खबर: चुनाव शहर की सरकार का…..नप चुनाव में पूरी तरह से उलझी भाजपा में, कमाल देखिए रणधीर सिंह कापड़ीवास भाजपा में है या नहीं, लिखित में कोई प्रमाण नहीं

downloadरणघोष खास. रेवाड़ी. सुभाष चौधरी


नगर निकाय चुनाव में रेवाड़ी- धारूहेड़ा सीट पर सीधे चेयरमैन के होने वाले चुनाव को लेकर भाजपा अभी तक पूरी उलझन में नजर आ रही है। इस पद के लिए अभी तक जितने भी उम्मीदवार आवेदन के तौर पर आए हैं उसमें किसी पर भी आम सहमति का माहौल बनता नजर नहीं आ रहा है। ऐसी स्थिति में भाजपा के पास अपनी प्रतिष्ठा को बचाए रखने के दो ही विकल्प सामने नजर आ रहे हैं। पहला 2019 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले रणधीर सिंह कापड़ीवास की घर वापस की जाए जो किसी भी सूरत में आसान नहीं है। यहां सीधे तौर पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पर अप्रत्यक्ष तौर पर हमला होगा।

हरको बैंक के चेयरमैन बने अरविदं यादव पहले इस बात के संकेत बन चुके हैं। दूसरा भाजपा में ऐसा चेहरा तलाशा जाए जो सर्वमान्य हो। फिलहाल ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है। एबीवीपी में नेशनल स्तर पर विशेष जिम्मेदारी निभा रही शिक्षाविद ममता यादव के नाम की चर्चा जोर पकड़ रही थी जिसे ममता यादव ने एक सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि वे अपने पारिवारिक कार्यक्रम में काफी व्यस्त् है। मीडिया से ही उन्हें जानकारी मिल रही है जिसका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है। उधर पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास ने नया खुलासा किया है। उनका कहना है कि वे तो आज भी पार्टी में है। उन्हें कभी निकाला नहीं गया।

अगर ऐसा है तो कोई पत्र दिखाओ। उनका दावा है विधानसभा चुनाव में हमारा मुद्दा ही असली-नकली भाजपा के तौर पर लड़ा गया था। यह बात अब हाईकमान मिले परिणामों से समझ चुका है। कापड़ीवास ने कहा कि केवल केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के समर्थक की उन्हें पार्टी से निकाले जाने का झूठा प्रचार कर रहे हैं। वे तो आज भी भाजपाई है। ऐसे में सवाल उठता है तो फिर हाईकमान स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं कर रहा है।

वह भी कहीं ना कहीं दूर बैठकर यह तमाशा देख रही है। कापड़ीवास कह चुके हैं कि वे भाजपा के कर्मठ समर्पित संगठन के उम्मीदवार का खुलकर समर्थन करेंगे। अगर यह उम्मीदवार राव इंदजीत सिंह की मोहर पर आया तो उसे हराने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे। जाहिर है भाजपा में घमासान पूरी तरह जोर पकड़ चुका है। रेवाड़ी- धारूहेड़ा सीट पर भाजपा इसलिए उलझ चुकी है क्योंकि यह छोटा और राजनीति की जड़ों को  हिलाने और मजबूत करने वाला चुनाव है। इस इलाके में राव इंद्रजीत सिंह से सबसे जनाधार रखने वाले जमीनी नेता है। हर गांव एवं वार्ड में उनके समर्थकों की संख्या है।

उधर भाजपा के पास मजबूत संगठन के अलावा कुछ नेता भी है जो अपनी जमीनी पकड़ रखते है लेकिन वे राव विरोधी खेमें में आते हैं। ऐसे में यहां भाजपा के वोटों का बिखरना तय है। आमतौर पर विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में लहर वोटों का मिजाज तय करती है लेकिन नगर निकाय चुनाव में  निजी तौर पर उम्मीदवार की छवि,  व्यवहार एवं तौर तरीकों से ही  हार-जीत तय होती है। इसलिए कुल मिलाकर भाजपा इस समय पूरी तरह से उलझन में है जिसे समय रहते सुलझा लिया तो भाजपा का हश्र विधानसभा जैसा होने से बच सकता है। 

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