भारतीय जहां भी जाते हैं, वहां एक नया लघु भारत बसा लेते हैं।

भारतीय जहां भी जाते हैं, वहां एक नया लघु भारत बसा लेते हैं। वास्तव में, प्रवासी भारतीय विदेशों में भारत के सांस्कृतिक दूत हैं। यह कहना है विख्यात साहित्यकार तथा राष्ट्रवादी चिंतक डॉ रामनिवास ‘मानव’ का। बेस्टी शैक्षिक-साहित्यिक संस्थान, दोहा (कतर) द्वारा आयोजित ‘एक शाम-देश के नाम’ कवि-सम्मेलन  के समापन-अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों के कारण ही आज पूरे विश्व में भारतीय साहित्य और संस्कृति की सुगंध फैल रही है। गणेश-वंदना के उपरांत संस्थान की अध्यक्ष अफसाना सय्यद के प्रेरक सान्निध्य तथा महासचिव बैजनाथ शर्मा के कुशल संचालन में संपन्न हुए इस कार्यक्रम में भारत, कतर, कुवैत और कनाडा सहित आधा दर्जन देशों के पैंतीस कवियों तथा विद्वानों ने सहभागिता की, वहीं डॉ सुनील यादव और त्रिलोकनाथ पांडेय विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।  कवि-सम्मेलन में देश-प्रेम और राष्ट्रीयता के स्वर ही अधिक मुखरित हुए। दोहा (कतर) के वरिष्ठ कवि आनंदशेखर उपाध्याय ने ‘नमन भारत देश को है, नमन उन सेनानियों को। मिट गए, पर दे  गए आजादी हिंदुस्तानियों को।’ कहकर अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की, तो कुवैत सिटी (कुवैत) की नाज़नीन अली ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज-तिरंगा को देश की आन-बान-शान का प्रतीक बताते हुए कहा-‘भारत का ध्वज तिरंगा गौरव से लहराता है। बीच खड़ा अशोक-चक्र प्रगति को दर्शाता है।’ वेंकूवर (कनाडा) की सुपरिचित कवयित्री डॉ किरण जैन ने ‘लंबे मनहूस बरामदे में अंग्रेजी बूटों की खटखट सुनाई देती है। सन् 57 के गदर की जीवित तस्वीर दिखाई देती है।’ कहकर देश के वर्तमान हालात पर चिंता व्यक्त की, वहीं दोहा (कतर) के चर्चित कवि और ग़ज़लकार बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’ ने दार्शनिक अंदाज में अपनी बात कही-‘अम्नो अमां भी आएगा हिंदुस्तान में। नेकी का ख्याल लाइए जेहनों जुबान में। इंसानियत का खून बहाने की बात तो लिखी कहीं न गीता में या फिर  कुरान में।’ कवि-सम्मेलन के अध्यक्ष तथा विश्व-विख्यात दोहाकार डॉ रामनिवास ‘मानव’ ने, अपने धारदार दोहों के माध्यम से, देश के समकालीन राजनीतिक यथार्थ को उद्घाटित करते हुए कहा-‘वही पालकी देश की, जनता वही कहार। लोकतंत्र के नाम पर, बदले सिर्फ सवार।।’ अन्य कई कवियों की रचनाएं भी खूब सराही गईं।  इन्होंने किया काव्य-पाठ : इस महत्त्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कवि-सम्मेलन के संभागी कवियों में आशा दिनकर, आशा पांडेय,  सुमित्रा अधिकारी, धनेश्वरी ‘धरा’, दिव्या कोचर, नीरू सिंह, आनंदशेखर उपाध्याय, डॉ उमा मेहरा, रागिनी प्रसाद, विनय शर्मा ‘दीप’, पुष्पा सिंह, डॉ ताहिर कमर, डॉ किरण जैन, दीपिका सुतोदिया, डॉ जमील शाद, मंजू राय शर्मा, नाज़नीन अली, अनीता मंदिलवार, डॉ प्रणव भारती, प्रमोद जोशी, रीता सिंह, आनंद पांडे, रेनू शुक्ला, डॉ सुनील आनंद, त्रिलोकनाथ पांडेय और  डॉ रामनिवास ‘मानव’ के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी कवियों को संस्थान द्वारा प्रशस्ति-पत्र भेंट कर सम्मानित भी किया गया।

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