मणिपुर में राज्य की मशीनरी ध्वस्त हो चुकी, कोई कानून-व्यवस्था नहीं बची : सुप्रीम कोर्ट

रणघोष अपडेट. देशभर से 

मणिपुर में जारी हिंसा मामले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बेहद कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा, ऐसा लगता है कि मणिपुर में राज्य की  संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। वहां कोई कानून- व्यवस्था नहीं बची है।  राज्य में जातीय हिंसा से संबंधित मणिपुर पुलिस की जांच की गति सुस्त है। घटना के लंबे समय बाद एफआईआर दर्ज की जाती है लेकिन गिरफ्तारी नहीं होती। बयान दर्ज नहीं किए जाते। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए राज्य के डीजीपी को शुक्रवार 2 बजे व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि डीजीपी कोर्ट में आकर सवालों का जवाब दें। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ मणिपुर हिंसा से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इसमें 4 मई की यौन हिंसा के वायरल वीडियो की पीड़िताओं द्वारा दायर याचिकाएं भी शामिल थीं।  

इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट यह जानकर हैरान था कि करीब तीन महीने तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। हिंसक वारदातों में दर्ज छह हजार एफआईआर में से अब तक केवल कुछ ही गिरफ्तारियां हुई हैं।  लाइव लॉ वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि जांच में देरी हुई है। घटना और एफआईआर दर्ज करने, गवाहों के बयान दर्ज करने और यहां तक कि गिरफ्तारियों के बीच काफी चूक हुई है। कोर्ट के सवालों पर सॉलिसिटर जनरल  तुषार मेहता ने कहा कि जमीन पर हालात खराब थे और जैसे ही केंद्र को पता चला, कार्रवाई की गई।  अब वहां हालात सुधर रहे हैं । उन्होंने कहा कि सीबीआई को जांच करने दें। कोर्ट इसकी मॉनिटरिंग करे। उन्होंने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार की ओर से कोई सुस्ती नहीं है। इस मामले की सुनवाई अब सोमवार 7 अगस्त को होगी। इसी दिन मणिपुर के डीजीपी को सुप्रीम कोर्ट में बुलाया गया है। 

कोर्ट ने पूछा कितनी जीरो एफआईआर दर्ज हुई

मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट में हुई इस सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि इनमें से कितनी ‘जीरो’ एफआईआर हैं। उन्होंने उन तिथियों के बारे में भी पूछा जब यौन हिंसा की घटनाओं के संबंध में ‘जीरो’ एफआईआर को नियमित एफआईआर के बदला गया था। कोर्ट ने यौन हिंसा वीडियो से जुड़े मामले में गिरफ्तारी की तारीख के बारे में भी पूछा। 

कोर्ट ने कहा कि बिल्कुल साफ है कि एफआईआर दर्ज करने में लंबी देरी हुई है। मुख्य न्यायाधीश ने एक महिला को कार से बाहर खींचने और उसके बेटे की पीट-पीटकर हत्या करने की घटना का जिक्र भी किया। कहा कि 4 मई की घटना बेहद गंभीर थी, बादजूद इसकी एफआईआर 7 जुलाई को दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि एक या दो मामलों को छोड़कर, कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। 

छह हजार एफआईआर में आपने 7 गिरफ्तारियां की हैं

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर को लेकर कहा कि हमें यह आभास होता है कि मई की शुरुआत से लेकर जुलाई के अंत तक कोई कानून नहीं था। मशीनरी पूरी तरह से खराब हो गई थी कि आप एफआईआर भी दर्ज नहीं कर सके। क्या यह इस तथ्य की ओर इशारा नहीं करता है कि राज्य में मशीनरी, कानून और व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी?

रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश ने कहा, कि राज्य पुलिस जांच करने में असमर्थ है। उन्होंने नियंत्रण खो दिया है। वहां बिल्कुल भी कानून-व्यवस्था नहीं है। 6000 एफआईआर में आपने 7 गिरफ्तारियां की हैं।

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