महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपना पूरा जीवन वेदों के मार्मिक सत्य को, वेदों की वैज्ञानिकता को और वेदों के सर्वहितकारी ज्ञान को संसार में प्रचारित करने हेतु अर्पित कर दिया। आधुनिक युग में वे सबसे बड़े वेदप्रचारक बनकर उभरे। महर्षि दयानंद सरस्वती ऐसे महामानव थे जिन्होंने न केवल अन्य सम्प्रदायों की अपूर्णताओं को ठोस तर्कों से उजागर किया बल्कि अपनी संस्कृति में भी पैठ बना चुके पाखंड को उखाड़ फेंका । उक्त विचार पतंजलि योग समिति जिला प्रभारी निलेश मुदगल ने महाशिवरात्रि पर्व एवं ऋषि बोधोत्सव अवसर पर व्यक्त किए। महेंद्रगढ़ स्थित हुड़्डा पार्क प्रांगण में चल रहे 5 दिवसीय निशुल्क योग विज्ञान एवं ध्यान शिविर में दूसरे दिन साधको को मोटापा से उत्पन्न होने वाले रोगों एवं मोटापा में योग से होने वाले लाभोँ से अवगत कराया। इससे पूर्व भारत स्वाभिमान जिला महामंत्री सुशीला देवी, महिला पतंजलि योग समिति खंड महेंद्रगढ़ प्रभारी सुनीता देवी एवं परमानन्द गर्ग ने दीप प्रज्वलन करके 5 दिवसीय योगशिविर के दूसरे दिन का शुभारम्भ किया। तत्पश्चात योगशिक्षक निलेश मुदगल ने हल्के सूक्ष्म व्यायामों से अभ्यास की शुरुआत करके यौगिक जॉगिंग व सूर्य नमस्कार के 12 अभ्यास करवाए। मोटापा रोग में लाभकारी आहार शैली, दिनचर्या पर भी चर्चा की गई। साथ ही कपालभाती, अर्ध हलासन, पाद-वृत्तासन, द्वि-चक्रिकासन, चक्कीआसन आदि सहित अनेकों अभ्यास विधि-सावधानी-लाभ के साथ बताए व करवाए गए। निलेश मुदगल ने बताया कि महायोगी शिव से प्रेरणा लेकर हमें भी आपने जीवन में योग एवं ध्यान को प्रमझ स्थान देते हुए आध्यात्मिक उन्नति करनी चाहिए। आप जिस समाज में पैदा होते हैँ, जिस समाज में आपका पालन पोषण होता है, उसी समाज में फैली हुई कुरीतियों और पाखंडों के विरुद्ध खड़ा होना अत्यंत कठिन होता है । किन्तु समाज व राष्ट्र को उन्नत करने हेतु विरले साहसी विद्वान संत समय-समय पर इस कठिन कार्य को चुनौती मानकर स्वीकार करते हैँ । महर्षि दयानंद का नाम ऐसी सूची में अग्रणी है । उन्होंने पाखंड खंडिनी पताका लहराकर एक साथ वेदउद्धार का कार्य प्रारम्भ किया था । स्वादेशी व स्वराज्य का नारा देने वाले व इनके महत्त्व को समाज में समझाने वाले वें प्रथम व्यक्ति थे । महर्षि दयानंद सरस्वती का ह्रदय इतना करुणापूर्ण था कि उनकी हत्या हेतु उन्हें विष देने वाले व्यक्ति की जान बचाने हेतु भी उन्होंने भरसक प्रयास किए । इस अवसर पर एडवोकेट अजनेश यादव, वरिष्ठ लेक्चरर लालसिंह यादव, सतबीर सिसोठिया, सुनीता शर्मा, राजकौर यादव, अनीता पहल, दिनेश बवानिया, परिष्कार अकेडमी के कोच एवं समस्त छात्र उपस्थित रहे।

महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपना पूरा जीवन वेदों के मार्मिक सत्य को, वेदों की वैज्ञानिकता को और वेदों के सर्वहितकारी ज्ञान को संसार में प्रचारित करने हेतु अर्पित कर दिया। आधुनिक युग में वे सबसे बड़े वेदप्रचारक बनकर उभरे। महर्षि दयानंद सरस्वती ऐसे महामानव थे जिन्होंने न केवल अन्य सम्प्रदायों की अपूर्णताओं को ठोस तर्कों से उजागर किया बल्कि अपनी संस्कृति में भी पैठ बना चुके पाखंड को उखाड़ फेंका । उक्त विचार पतंजलि योग समिति जिला प्रभारी निलेश मुदगल ने महाशिवरात्रि पर्व एवं ऋषि बोधोत्सव अवसर पर व्यक्त किए। महेंद्रगढ़ स्थित हुड़्डा पार्क प्रांगण में चल रहे 5 दिवसीय निशुल्क योग विज्ञान एवं ध्यान शिविर में दूसरे दिन साधको को मोटापा से उत्पन्न होने वाले रोगों एवं मोटापा में योग से होने वाले लाभोँ से अवगत कराया। इससे पूर्व भारत स्वाभिमान जिला महामंत्री सुशीला देवी, महिला पतंजलि योग समिति खंड महेंद्रगढ़ प्रभारी सुनीता देवी एवं परमानन्द गर्ग ने दीप प्रज्वलन करके 5 दिवसीय योगशिविर के दूसरे दिन का शुभारम्भ किया। तत्पश्चात योगशिक्षक निलेश मुदगल ने हल्के सूक्ष्म व्यायामों से अभ्यास की शुरुआत करके यौगिक जॉगिंग व सूर्य नमस्कार के 12 अभ्यास करवाए। मोटापा रोग में लाभकारी आहार शैली, दिनचर्या पर भी चर्चा की गई। साथ ही कपालभाती, अर्ध हलासन, पाद-वृत्तासन, द्वि-चक्रिकासन, चक्कीआसन आदि सहित अनेकों अभ्यास विधि-सावधानी-लाभ के साथ बताए व करवाए गए।

निलेश मुदगल ने बताया कि महायोगी शिव से प्रेरणा लेकर हमें भी आपने जीवन में योग एवं ध्यान को प्रमझ स्थान देते हुए आध्यात्मिक उन्नति करनी चाहिए। आप जिस समाज में पैदा होते हैँ, जिस समाज में आपका पालन पोषण होता है, उसी समाज में फैली हुई कुरीतियों और पाखंडों के विरुद्ध खड़ा होना अत्यंत कठिन होता है । किन्तु समाज व राष्ट्र को उन्नत करने हेतु विरले साहसी विद्वान संत समय-समय पर इस कठिन कार्य को चुनौती मानकर स्वीकार करते हैँ । महर्षि दयानंद का नाम ऐसी सूची में अग्रणी है । उन्होंने पाखंड खंडिनी पताका लहराकर एक साथ वेदउद्धार का कार्य प्रारम्भ किया था । स्वादेशी व स्वराज्य का नारा देने वाले व इनके महत्त्व को समाज में समझाने वाले वें प्रथम व्यक्ति थे । महर्षि दयानंद सरस्वती का ह्रदय इतना करुणापूर्ण था कि उनकी हत्या हेतु उन्हें विष देने वाले व्यक्ति की जान बचाने हेतु भी उन्होंने भरसक प्रयास किए । इस अवसर पर एडवोकेट अजनेश यादव, वरिष्ठ लेक्चरर लालसिंह यादव, सतबीर सिसोठिया, सुनीता शर्मा, राजकौर यादव, अनीता पहल, दिनेश बवानिया, परिष्कार अकेडमी के कोच एवं समस्त छात्र उपस्थित रहे।

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