राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बावल की छात्राएं बता रही हैं
अपने माता-पिता के जीवन से जुड़ी संघर्ष की कहानियां
मेरा नाम लक्ष्मी है और मै 10 वीं की छात्रा हूं। पिता का नाम राजेश चौहान और माता गुड्डी देवी है। हम मूलत उत्तर प्रदेश के निवासी है। माता-पिता दोनो मजदूरी करते हैं। दोनो हमारी पढ़ाई को लेकर बहुत चिंता करते हैं। वे सुबह जल्दी उठकर मजदूरी को चले जाते हैं। मां हमारा खाना बनाती है। वापस मजदूरी करके लौटती है तो घर की जिम्मेदारी में जुट जाती है। हमने उसे कभी आराम करते हुए नहीं देखा। जबसे हमने होश संभाला है मां को इसी तरह काम करते देखा है। हम इसे रूटीन में लेते थे लेकिन जब से माता-पिता के संघर्ष की कहानी लिखने के लिए गुरुजनों ने प्रेरित किया। हमारी सोच ही बदल गईं। संघर्ष क्या होता है। दुख तकलीफ इंसान को अंदर से कितना तोड़ देती है। अब अपने माता-पिता को करीब से जानकर महसूस किया। मम्मी कितनी हिम्मत से अपने तकलीफों को छिपाती हुई हमें पढ़ा रही है। दोनों हमने अपना भविष्य देखते हैँ। इसलिए पढ़ाई के लिए जब भी कुछ मांगा वे किसी ना किसी तरीके से उपलब्ध करा देते थे। मम्मी- पापा अपनी पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से नहीं पढ़ पाए। हम पांच भाई बहन है। एक बात और बताना चाहती हूं पाता हम बहनों पर कभी गुस्सा नहीं करते। वे भाई से ज्यादा हमारी चिंता करते हैं। मै हाथ जोड़कर अपने स्कूल प्रबंधन का धन्यवाद करती हूं उन्होंने समय रहते हमारे माता-पिता के जीवन के संघर्ष से हमें जोड़ दिया। नहीं तो हम आगे चलकर खुद को कभी माफ नहीं कर पाते।