राष्ट्रीय कवि संगम ने की ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी
राष्ट्रीय कवि संगम, जिला रेवाड़ी के तत्त्वावधान में बुधवार श्रीरामनवमी के पावन उपलक्ष्य पर प्रातः 11:30 बजे एक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। हरियाणा साहित्य अकादमी के मानद सदस्य व अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार प्रो.रमेश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता में होने वाली इस काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ रचनाकार व शिक्षाविद् सत्यवीर नाहड़िया मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित रहे। कवयित्री किरण यादव के द्वारा सरस्वती वंदना के साथ शुरू हुई गोष्ठी में जिले भर से एक दर्जन से अधिक रचनाकारों ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम पर आधारित अपनी काव्य पंक्तियां साझा की। सोनीपत से गोष्ठी में शामिल हुए राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अशोक बत्रा ने रामनवमी की शुभकामनाएं इस प्रकार दी-
हर मनुज के आचरण में, राम-सा व्यवहार हो।
मित्र हो या शत्रु हो फिर, जीत हो या हार हो।
भाई-बंधु, पिता-माता या प्रिया से प्यार हो ।
चाहता हूँ आपका भी, राम-सा संसार हो।।
प्रो. रमेश चंद्र शर्मा ने प्रभु राम के प्रति अपने मनोभावों को प्रकट करते हुए कहा कि-
दे सहज सुमति हे स्वामी, इतना न धृष्ट बन जाऊँ।
मेरे’अभीष्ट, मैं तेरा, सेवक विशिष्ट बन जाऊँ।।
मेरे इस मैले मन को, कुछ यूं उजला प्रभु मेरे–
मैं भी तुलसी के मन का, इक पुण्य पृष्ठ बन जाऊँ।।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ रचनाकार सत्यवीर नाहड़िया ने अपने दोहो में राम की महिमा कुछ इस प्रकार गाई-
तीन लोक नौ खंड में, पल-पल गूंँजे नाम।
रोम-रोम में जो रमा, नाम वही है राम।।
वरिष्ठ रचनाकार व रंगकर्मी गोपाल शर्मा ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम को आदरांजलि इस प्रकार दी-
हरने जन जन की अब पीर, फिर से आए हैं रघुवीर।
सरयू के पावन तट पर, भयी संतन की भीर।।
जन्मभूमि का दर्शन करने, जन-जन हुआ अधीर।
अब तो मंदिर बने नजीर, फिर से आए हैं रघुवीर।।
वरिष्ठ कवयित्री दर्शन शर्मा ‘जिज्ञासु’ ने प्रभु राम के जन्मोत्सव को को इस तरह मनाया-
शुभ अवतरण प्रभु आज तेरा,वंदनम् शुभ वंदनम्।
आओ पधारो हृदय घट में, राम श्री अभिनंदनम्।
लोक कवि दलबीर फूल ने समुद्र पर सेतु निर्माण के समय का चित्र इस प्रकार रेखांकित किया-
ले शिव शंकर का नाम, राम सेतु की नींव धरण लगे
लंकपुरी मैं जावण का पक्का, इंतजाम करण लगे।
संगम के जिला-अध्यक्ष व गोष्ठी-संयोजक मुकुट अग्रवाल ने दोहों व चौपाई के माध्यम से राम के प्रति अपनी आस्था प्रकट की-
राम आ रहे धाम निज, काट दीर्घ वनवास।
राम राज होगा पुनः, थी सदियों से आस।।
कवयित्री किरण यादव ने राम की गौरव गाथा यूँ गाई-
भारत- भू के राजदुलारे, संयम, मर्यादा,न्याय के धारे
है सत्य शाश्वत इतिहास.आओ ! ख़ुशियाँ मनाएँ ।
अवधपुरी में राम…आओ ! ख़ुशियाँ मनाएँ ।
कवयित्री ‘गायत्री आर्या’ ने राम को सबसे बड़ा नायक बताते हुए कहा कि-
रामायण इस ग्रन्थ के, नायक हैं श्रीराम।
ऐसे नायक को मेरा, बारम्बार प्रणाम।।
मात पिता की आज्ञा को, माना रहकर मौन।।
राम के जैसा पुत्र है, कहो जगत में कौन।।
कवि सुनील गुप्ता ‘धीर’ ने कोरोना काल में आई परेशानी से मुक्ति पाने के लिए श्रीराम का द्वार खटखटाया-
समय विकट धीरज धरो,जप लो बारम्बार।
जीवन की कश्ती फंसी, राम लगावे पार।।
युवा कवि सचिन अग्रवाल ने प्रभु राम की वंदना करते हुए कहा कि-
‘अज्ञानी’ का भी विवेक जगे, जो रमे राम में श्वास।
राम जगत के हैं पालनहार, रख उन पर विश्वास।।
युवा कवि यतिनम चारण ने अपनी काव्य पंक्तियां-
आओ फिर से जलाये दीप मालाएँ
लम्बा वनवास पूरा कर प्रभु श्रीराम हैं आए।
माहौल को श्रीराममय कर दिया।
जिला अध्यक्ष मुकुट अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय कवि संगम 14 जनवरी 2022 मकर संक्रांति के दिन श्रीलंका से चलकर 1 मार्च 2022 महाशिवरात्रि के दिन तक की विराट श्रीराम वनगमन पथ अंतरराष्ट्रीय काव्ययात्रा आयोजित कर रहा है। इस विराट काव्ययात्रा में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार बाबा सत्यनारायण मौर्य, राम वनगमन के 249 स्थानों के शोधकर्ता डॉ. राम अवतार शर्मा तथा आदरणीय श्याम गुप्ता जी द्वारा देश भर में 100000 से अधिक चलाए जाने वाले एकल विद्यालयों वाला एकल संस्थान भी सहभागी होगा। इन संस्थाओं से संबंधित हजारों कार्यकर्ता उन सभी 249 स्थानों की यात्रा करेंगे जिन पर 14 वर्षों के वनवास के दौरान श्री राम लक्ष्मण और जानकी ने यात्रा की थी । इन संस्थाओं का उद्देश्य श्रीराम के काम आए वनबंधुओं के वंशजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है। इस दौरान राम जन्मभूमि अयोध्या की पावन रज सभी स्थानों पर स्थापित की जाएगी तथा गांवों की मिट्टी अयोध्या मंदिर में स्थापित की जाएगी । राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल ने बताया कि मुख्य यात्रा श्रीलंका, रामेश्वरम, पंचवटी, किष्किंधा, चित्रकूट आदि 40 प्रमुख स्थानों से होती हुई अयोध्या पहुंचेगी, जहाँ 130 घंटों का अखंड काव्यपाठ होगा जिसमें देश के सभी प्रांतों और भाषाओं के कवियों के साथ विश्व के 20 से अधिक देशों के रामभक्त कवि भी अपना-अपना काव्यपाठ प्रस्तुत करेंगे । इस अभूतपूर्व योजना में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री इंद्रेश जी, परमार्थ निकेतन के परम अध्यक्ष मुनि चिदानंद जी, वीर रस के सर्वोच्च कवि डॉ हरिओम पँवार के साथ- साथ सभी रामभक्त देशवासियों का भरपूर सहयोग मिल रहा है।