मौसम में बदलाव से अस्पतालों में अस्थमा, डेंगू और बुखार के मरीज बढ़े

मौसम बदलने से दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों में अस्थमा, डेंगू और बुखार के मरीज बढ़ने लगे हैं. हालत यह है कि दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल एलएनजेपी में एक बेड पर दो-दो मरीजों को रखा जा रहा है. यही हाल गाजियाबाद के एमएमजी और संयुक्त अस्पताल का भी है. गाजिाबाद के इन सरकारी अस्पतालों के ओपीडी में हर रोज 800 से ज्यादा बुखार के मरीज आ रहे हैं. दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के ओपीडी में रोजाना सैंकड़ों मरीज बुखार, टाइफाइड, वायरल फीवर, सांस और डेंगू की शिकायत को लेकर आ रहे हैं. डॉक्टरों की मानें तो सितंबर से ही बुखार और डेंगू के मरीज अस्पतालों में बढ़ने लगे हैं. अब मौसम में बदलाव के कारण सांस और वायरल फीवर के मरीज भी आने लगे हैं.
डॉक्टरों का मानना है कि अक्टूबर महीने में संक्रमित मरीजों की संख्या में और इजाफा हो सकता है. हालांकि, अस्पताल आने वाले 75 प्रतिशत मरीजों में वायरल बुखार के ही लक्षण पाए गए हैं. जबकि, 15 प्रतिशत मरीज टाइफाइड और 10 प्रतिशत मरीजों में डेंगू के लक्षण देखे गए हैं. मौसम में बदलाव के कारण ज्यादातर लोग परेशान हो रहे हैं. सितंबर महीने में जून महीने जैसी गर्मी हो रही है. दिन में तेज चिलचिलाती धूप के कारण तापमान बढ़ जाता है. मौसम में थोड़ा भी बदलाव होने पर सुबह शाम हल्की ठंडक लगने लगती है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है. इस वजह से लोगों को सांस, गले और पेट दर्द जैसी स्वास्थ्य समस्या होने लगती है.
अस्पतालों में डेंगू और वायरल बुखार के मरीज बढ़े
आपको बता दें कि देश में हर साल सितंबर से लेकर अक्टूबर महीने तक डेंगू का खौफ रहता है. इस साल भी दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई हिस्सों में डेंगू के खौफ से लोग डरे हुए हैं. राजधानी दिल्ली में दिल्ली नगर निगम ने डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और अन्य वेक्टर जनित बीमारियों को रोकने के लिए कई तरह के उपाय किए हैं. इसके बावजूद डेंगू के मामलों में कमी नहीं आ रही है. दिल्ली के अस्पतालों में डेंगू मरीजों का आना लगातार जारी है. डेंगू की चपेट में आने वाले मरीजों में इस बार टाइफाइड की भी पुष्टि हो रही है. दिल्ली से सटे गाजियाबाद में कई डेंगू मरीजों में टाइफाइड भी निकल रहे हैं.
डॉक्टर दे रहे हैं सलाह
गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर-5 में निजी क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर अभिषेक कहते हैं, ‘इस मौसम में सावधानी बरतना ही सबसे बड़ा इलाज है. अगर आप सावधानी नहीं बरतेंगे तो वायरल फीवर, सांस, मलेरिया और डेंगू जैसे बीमारियों को बुलाएंगे. इस मौसम में आने वाले मरीजों को डॉक्टर कंडिशन देख कर इलाज करते हैं. अगर मरीज को बुखार है तो वह कितने दिन से है और किस प्रकार का है? बुखार कब आता है और कब चला जाता है? कितने दिन तक रहता है? बुखार आने के बाद शरीर में चकत्ते तो नहीं आए हैं? आपको कहना चाहूंगा कि अगर मरीजों में तेज बुखार, उल्टी, सिरदर्द, शरीर पर लाल चकत्ते रहते हैं तो हमलोग डेंगू मान कर इलाज शुरू कर देते हैं. इसी तरह सांस और वायरल बुखार से पीड़ित मरीज को पहचान कर इलाज शुरू करते हैं.’
पिछले एक महीने से दिल्ली-एनसीआर में रोजाना सैकड़ों मरीज डेंगू, मलेरिया और वायरल बुखार की समस्या लेकर अस्पताल आ रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से मौसम में बदलाव के कारण अस्थमा मरीजों को भी सांस की समस्या बढ़ गई है. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग अस्पतालों में सांस फूलने की शिकायत को लेकर भी लोग ओपीडी में आ रहे हैं. डॉक्टर ऐसे मरीजों को धूल में जाने से बचने की सलाह के साथ-साथ इन्हेलर का इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं.

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