यह कहानी हम सभी को झकझोर देगी, जरूर पढ़े बेहतर बदलाव के लिए

बच्चों ने ऐसा किया जुल्म कि नाम तक याद नहीं, 70 साल के बुजुर्ग का दर्दनाक कहानी


 रणघोष खास. प्रयागराज से 


करीब 70 साल के हो चुके मंजुलेन्द्र कुमार प्रयागराज के सोराव तहसील के रहने वाले हैं। इनका कहना है कि करीब 15 साल पहले इन्होंने घर छोड़ दिया,क्योंकि पत्नी की मृत्यु के बाद इनके बच्चे इनका खयाल रखना तो दूर इनके साथ बुरा बर्ताव तक करने लगे। प्रयागराज में मंजुलेन्द्र के तीन बच्चे हैं। घर से निकलने के बाद वे लखनऊ आकर मेहनत मजदूरी कर जीवन गुजार रहे थे,लेकिन अब काम करने की उम्र रही नही। अब नगर निगम के लोगों की नज़र इनपर पड़ी तो इन्हें जियामऊ के एक शेल्टरहोम लाया गया।मंजुलेन्द्र कुमार इनका अपना घर क्या छूटा, इनकी दुनिया ही बदल गई।

ऐसा नहीं था कि यह बहुत अमीर थे , वे रोजमर्रा का काम करके रिक्शा चला कर के घर चलाते थे लेकिन प्रयागराज के सोरांव तहसील के मंजुलेन्द्र कुमार बताते हैं उसके बाद जो इनके साथ जो भी हुआ वह परिवार में किसी के साथ ना हो। बच्चों ने घर से निकाला, अब उनकी यादें भी कमज़ोर पड़ गई हैं ,बहुत ज्यादा अब बच्चों के बारे में भी नहीं बता पाते हैं लेकिन जो वह कहते हैं कि 3 बच्चे है,उन्होंने पढ़ाया लिखाया मेहनत से और तीनों ही बच्चे छोटी-मोटी नौकरी पा आ गए थे। एक अस्पताल में नौकरी कर रहा था, दूसरा मार्केटिंग के उसमें कुछ कमाने लायक घर चलाने लायक पैसा कमा ले रहा था।

इनको लगा की उम्र बढ़ रही है तो मेहनत करते करते अब थोड़ा समय शायद घर पर आराम करने का होगा, लेकिन शरीर से भी कमजोर हो चुके और मन से भी हिम्मत हार चुके मिलिंद की आंखें बहुत नाम हो जाती हैं जब वह अपनी पुरानी यादों में भी घर और अपने बच्चों को याद करते हैं। बुजुर्ग ने शायद सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा भी दिन आएगा कि जब वो प्रयागराज से भटकते हुए लखनऊ आ जाएंगे। अब सरकार की शेल्टर होम योजना की संस्था की निगाह मंजुलेन्द्र कुमार पर पड़ी तो उनको शेल्टर होम ले आयी है ।यहां सुबह-शाम भोजन मिलता है इनके कई उम्र के साथियों के साथ यहां रहते है। लेकिन घर में और घर को बनाने में जो इन्होंने अपनी जवानी लगा दी आज बुढ़ापे में वह घर इनको बहुत याद आता है।

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