रणघोष खास. अमित कुमार सिंह
जिस उत्तर प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गंगा नदी में तैरते हज़ारों शवों की तसवीरें आई थीं उसी उत्तर प्रदेश की सरकार की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस में तारीफ़ों के पुल बांधे। जिस यूपी में कोरोना संक्रमण से निपटने में बीजेपी के ही सांसद-विधायक और पूर्व विधायक सरकार की अव्यवस्था उजागर कर रहे थे उसी यूपी की सरकार के लिए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘सेकेंड वेव के दौरान यूपी ने जिस तरह कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका, वह अभूतपूर्व है।’अगर यह सच है तो यह स्वीकार कर लिजिए कोविड-19 हमलों में गलती सिस्टम की नहीं आमजन की है जो इस वायरस की चपेट में आए।दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने जहाँ बाज़ारों और हिल स्टेशनों पर भीड़ इकट्ठा होने को लेकर कोरोना की संभावित तीसरी लहर के प्रति आगाह किया था वहीं उन्होंने आज बड़ी संख्या में लोगों की सभा को संबोधित किया। हालाँकि, आयोजकों की ओर से दावा किया गया कि सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया गया। पीएम मोदी चाहते तो दिल्ली से भी इन परियोजनाओं का शुभारंभ कर सकते थे। सोशल डिस्टेंस व इस महामारी की गंभीरता को लेकर बेहतर संदेश चला जाता। वहीं गलती दोहराई जा रही है जो पिछले दिनों पांच राज्यों के हुए चुनाव में खुलेआम हुई थी। इसमें कोई दो राय नहीं की यह वही यूपी है जहाँ कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मई महीने में गंगा किनारे पानी में तैरती हुई सैकड़ों लाशें मिल रही थीं। सबसे पहले बिहार के बक्सर में शव मिले थे और वहाँ दावा किया गया था कि यूपी से बहकर ये शव वहाँ पहुँचे थे। बाद में यूपी में भी शव गंगा में तैरते हुए पाए गए। कई मीडिया रिपोर्टें आईं। अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों को भर्ती कराना मुश्किल हो रहा था। इसको लेकर ख़ुद बीजेपी के नेताओं ने ही शिकायतें की थीं। तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री और बरेली के सांसद संतोष गंगवार, आंवला सांसद समेत कई बीजेपी नेताओं ने सीएम के सामने सरकारी व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी थी। संतोष गंगवार का सीएम को भेजा गया एक ख़त वायरल हुआ था। गंगवार ने कोरोना संक्रमित मरीजों की अस्पतालों में भर्ती को लेकर व्याप्त अव्यवस्था और अधिकारियों द्वारा फ़ोन नहीं उठाये जाने की शिकायत की थी। उन्होंने पत्र में कहा था कि बरेली में खाली ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी कमी है। कई अन्य शिकायतें भी की थीं। बता दें कि संतोष गंगवार को अब मंत्री पद से हटा दिया गया है। इससे पहले अप्रैल महीने के पहले पखवाड़े में यूपी के क़ानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) और प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) को चिट्ठी लिखी थी और कहा था कि लखनऊ में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात काफी चिंताजनक हैं। अप्रैल के आख़िरी पखवाड़े में लखनऊ के मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र से बीजेपी सांसद कौशल किशोर के बड़े भाई की कोरोना से मौत हो गई थी। सांसद कौशल किशोर ने उससे कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की अपील की थी। कुल मिलाकर पीएम मोदी कोविड-19 की जमीनी हकीकत को स्वीकार करने की बजाय यूपी में कोरोना नियंत्रण को अभूतपूर्व बताकर जल्दबाजी कर गए। दूसरे लहर से बनी तबाही की तस्वीर अभी धुंधली नहीं हुई है।