रणघोष खास. सुभाष चौधरी
दक्षिण हरियाणा की चौधर सीट कोसली से पूर्व मंत्री जगदीश यादव के कांग्रेस में शामिल होते ही साइड इफेक्ट आने शुरू हो गए हैं। शनिवार को अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह की पुण्य तिथि के मौके पर यहां से कांग्रेस के पूर्व विधायक राव यादुवेंद्र सिंह ने दावा किया है कि जगदीश यादव की बिना शर्त एंट्री हुई है। 2024 में पार्टी उन्हें ही यहां से टिकट देगी। जगदीश यादव का कोई मतलब नहीं बनता। वे पांच चुनाव में चार बार हारे हैं।
यादुवेंद्र सिंह के इस बयान से कोसली में कांग्रेस में अभी से घमासान शुरू हो गया है। जिसका सीधा असर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा एवं सांसद दीपेंद हुडडा की राजनीति जमीन पर पड़ेगा। जगदीश यादव सीधे तौर पर हुडडा खेमें से कांग्रेस में शामिल हुए हैं और दावा भी कर रहे हैं कि उन्हें कोसली से चुनाव लड़ाने का पूरा भरोसा मिला है। उधर यादुवेंद्र सिंह का कहना है कि जगदीश यादव को शामिल करने से पहले हुडडा परिवार ने उनसे चर्चा की थी जिसमें कहा गया था कि जगदीश यादव बिना शर्त पार्टी में आना चाहते हैं। इस पर उनकी कोई आपत्ति नहीं है। यादुवेंद्र सिंह के बातों एवं इशारों से साफ जाहिर हो रहा था कि कोसली में एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती। मतलब साफ है कि अगर कांग्रेस से जगदीश यादव को टिकट मिलती है तो राव यादुवेंद्र सिंह बड़ा फैसला लेने में पीछे नहीं हटेंगे। अगर यादुवेंद्र सिंह को टिकट लेकर आते हैं जाहिर है जगदीश यादव कांग्रेस को भी नमस्कार कर निर्दलीय या अन्य दलों से टिकट लेकर मैदान में जरूर उतरेंगे। इस स्थिति में हुडडा परिवार पूरी तरह से कोसली सीट को लेकर धर्म संकट में फंस चुका है। हुडडा किसी भी सूरत में रामपुरा हाउस से पूरी तरह से रिश्ता खत्म करना नहीं चाहेंगे। वे जानते हैं कि इस परिवार में भाई बेशक अलग अलग विचारधाराओं की राजनीति कर रहे हैँ लेकिन रामपुरा हाउस की विरासत को किसी सूरत में तीसरे के लिए कमजोर नहीं होने देंगे। इसमें कोई दो राय नहीं की हुडडा परिवार के लिए कोसली कार्यक्रमों में जगदीश यादव एवं राव यादुवेंद्र सिंह को एक मंच पर लाना आसान नहीं होगा। जाहिर है इस स्थिति में चुनाव से एक साल पहले ही कांग्रेस इस क्षेत्र में अलग अलग धड़ों में बंटती चली जाएगी। यहां बताना जरूरी है कि जगदीश यादव की राजनीति पूरी तरह रामपुरा हाउस के खिलाफ जन्म से लेकर आज तक पली बढ़ी है। जब भी मौका मिलता है दोनों तरफ से एक दूसरे पर राजनीति हमला ही नहीं जड़ों से भी उखाड़ने के लिए सभी हदों को पार कर दिया जाता है। राव इंद्रजीत सिंह रामुपरा हाउस के अकेले ऐसे नेता है जिसने अपने पिता की राजनीति विरासत को काफी हद तक अपने विरोधियों का इंतजाम करते हुए संभालकर रखा हुआ है। हालांकि भाजपा में उनके विरोधियों की संख्या कम नहीं है लेकिन जगदीश यादव जैसी उनकी राजनीति टशन किसी के साथ नहीं है। रामपुरा हाउस जगदीश यादव को हर हालत मे उभरने से पहले दबोचने के लिए सभी तरह के हथकंडों का इस्तेमाल कर सकता है। पिछले दो चुनाव में ऐसा करने में वह सफल रहा है। कुल मिलाकर जगदीश यादव का कांग्रेस में आना कहीं खुशी कहीं गम ज्यादा बनता जा रहा है।