रणघोष की सीधी सपाट बात : नेता जी निश्चिंत रहे देश में श्मशान घाट. कब्रिस्तान को कोई शिकायत नहीं है

रणघोष खास. एक भारतीय की कलम से


जितनी जल्दी यह भ्रम निकाल देंगे सत्ता के हुक्मरान आपकी चिंता कर रहे है। काफी हद तक आने वाली मुश्किलों से बच जाएंगे। यह संकट पैदा करने वाली मशीन जिसे हम अपनी सरकार कहते हैं। हमें इस तबाही से निकाल पाने के क़ाबिल नहीं है। ख़ासकर इसलिए कि सरकार में जब भी कोई अकेले फ़ैसले करता है वो ख़तरनाक है। स्थितियां बेशक संभलेंगी लेकिन हम नहीं जानते कि उसे देखने के लिए हममें से कौन बचा रहेगा। पिछले कुछ सालों में धर्म.जाति के नाम पर चुनाव में एक नारे ने जोर पकड़ा था जो आज एक डरावनी गूंज बन गई है। गांव में अगर कब्रिस्तान बनता है तो गांव में श्मशान भी बनना चाहिए। बधाई हो शायद आज  वे अब खुश हों कि भारत के श्मशानों से सामूहिक अंतिम संस्कारों से उठती लपटों की तकलीफ देह तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय अखबारों के पहले पन्ने पर आ रही हैं। और देश के सारे कब्रिस्तान और श्मशान ढंग से काम कर रहे हैं। अपनी.अपनी आबादियों के सीधे अनुपात में और अपनी क्षमताओं से कहीं ज्यादा। क्या विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले भारत को अलग.थलग किया जा सकता है। इसलिए खुद पर भरोसा करें। यही सोच ही हमें एक दूसरे के प्रति जाति व धर्म के नाम पर जहर फैलाती इस राजनीति से बचा पाएगी।