रणघोष खास. सुभाष चौधरी
हरियाणा में 2 हजार से ज्यादा ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जिसने अपने एक साल के कार्यकाल में विकास के नाम पर मिली ग्रांट को भी समय पर खर्च नहीं किया। नतीजा इन पंचायतों को ग्रांट के नाम पर मिलने वाली दूसरी किश्त कुल राशि का 25 प्रतिशत जारी हो रही है। इसकी वजह भी साफ है। राज्य सरकार का मानना है कि जो पंचायतें समयावधि में ही मिली राशि को खर्च कर पाने में सक्षम नहीं है उसे दूसरी किश्त किस आधार पर समान जारी हो सकती है। इस राशि को पूरी तरह से खर्च नहीं कर पाने की तीन प्रमुख वजह सामने आ रही है। पहली सरकार से पंचायतों का अपने अधिकार को लेकर चल रहा टकराव। जिसके चलते ये पंचायतें राजनीति कारणों से ग्रामीणों से यह बतानें का प्रयास कर रही है कि सरकार उनके साथ पक्षपात कर रही है। दूसरा विकास नहीं कराके जनता में सरकार की छवि को नकारात्मक दिखाकर दबाव बनाना। तीसरा गांव के मुखिया का जागरूक नहीं होना। यहां बताना जरूरी है कि प्रदेश की 60 प्रतिशत से ज्यादा पंचायतों ने विकास की राशि को समय पर खर्च किया है। इसलिए उन्हें आबादी के हिसाब से तय बजट जारी हो रहा है। सवाल बची 30 से 40 प्रतिशत पंचायतों पर है जिसे समय पर खर्च नहीं करने पर अक्टूबर में मिली विकास किश्त कुल का 25 प्रतिशत मिला जिसका खामियाजा गांव को समय पर विकास नहीं होने के तौर पर भुगतना पड़ रहा है
हरियाणा के पंचायती राज विभाग की तरफ से विधानसभा स्तर पर ऐसी ग्राम पंचायतों की सूची तैयार की जा रही है जिसने जानबूझकर विकास की राशि को समय पर खर्च नहीं किया। आने वाले दिनों में विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी ग्राम सभाओं एवं जागरूकता अभियान में यह बताएंगे कि किस गांव को कितनी राशि जारी हुई ओर कितनी खर्च हुईं। इससे प्रत्येक गांव में विकास को लेकर खर्च राशि की पारदर्शिता भी सामने आ जाएगी। यहां बता दें कि पंचायतों को केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा एसएफसी एवं एफएफ सी के द्वारा राशि जारी होती है।
गांव की आबादी के हिसाब से जारी होती है ग्रांट
केंद्र व राज्य सरकारें गांव की आबादी के हिसाब से ग्रांट की राशि जारी करती है आमतौर पर यह राशि जनवरी से मार्च एवं अक्टूबर से दिसंबर के दरम्यान मिली ग्रांट के तौर पर जारी होती है। राज्य सरकार राशि जारी करते समय पंचायतों के खातों में बची राशि के आधार पर अगली ग्रांट का बजट तय करके जारी करता है।
कोसली विधानसभा में 51 गांव, जिसने समय पर ग्रांट खर्च नहीं की
कोसली विधानसभा में 51 ऐसे गांवों को सूचीबद्ध किया गया है जिसने समय पर मिली ग्रांट को खर्च नहीं किया। जिस वजह से उन्हें दूसरी किश्त में कुल का 25 प्रतिशत ही जारी हुआ। जिस गांवों ने समय पर राशि खर्च की उसे पूरा बजट मिला। गांव औलांत, बिटोडी, बोहका, ढाणी जरावत, गुलाबपुरा, कुमरोदा, मसीत, मोतला खुर्द, मूंदी, रामपुरी, आसिया की गौरावास, बाबडौली, बालधन कलां, बेरली कला, बिहारीपुर, बोडिया कमालपुर, चांदावास, गोपालपुर गाजी, गुरावड़ा, हांसावास, जाटूसाना, कन्होरा, कन्होरी, लाला, मांढैया खुर्द, मुरलीपुर, मुसेपुर, नांगल पठानी, पहराजवास, पुरुखोतमपुर, रसौली, रोहडाई, रोझुवास, शादीपुर, सुमा खेड़ा, बहाला, भंडगी, भुरथला, गढ़ी, जखाला, जुडडी, कोसली, लूला अहीर, मुमताजपुर, नाहड़, नठेडा, नया गांव, नेहरूगढ़, साकेत नगर, श्याम नगर, टुमना ऐसे गांव है जिसने समय पर विकास राशि को खर्च नहीं किया।