लक्ष्मण यादव- नैना चौटाला का अपनों पर निशाना, कहां खड़ी है सरकार
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
शीतकालीन सत्र में कई मौके ऐसे आए जब भाजपा- जेजेपी के विधायक अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली पर हमला करते नजर आए। इसमें कोसली विधायक लक्ष्मण यादव एवं बाढड़ा से जेजेपी विधायक नैना चौटाला शामिल है। लक्ष्मण यादव का दर्द कोसली में फ्लाईओवर की मरम्मत को लेकर था वहीं नैना चौटाला अपने हलके के स्कूलों में खाली पड़े शिक्षकों के पदों को लेकर शिक्षा मंत्री से दो दो हाथ करती नजर आईं। यह गौर करने लायक बात यह है कि इन दोनों विधायकों की बयानगीं में बेबसी, बैचेनी और नाराजगी साफ नजर आ रही थी। लक्ष्मण यादव ने तो एक उदाहरण सुनाकर सीधा सरकार की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि एक महिला पति होते हुए भी विधवा पेंशन के लिए इसलिए अप्लाई करने को मजबूर है उसे पता है कि जब तक पेंशन बनकर आएगी तब तक उसका पति दुनिया में नहीं रहेगा। तीन साल गुजर गए। कोसली की जनता का दर्द अब बर्दास्त से बाहर हो रहा है। लक्ष्मण यादव को संतुष्ट करने का जिम्मा डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने लिया तो शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने आंकड़ों की रिपोर्ट पेश कर अपनी जिम्मेदारी का अहसास कराया।
सदन के अंदर की बात हो या बाहर सार्वजनिक मंचों की। भाजपा- जेजेपी में भीतरखाने जहां शीत युद्ध जारी हैं वहीं भाजपा विधायक भी अपनी सरकार के तौर तरीकों से खुश नहीं है। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि राज्य सरकार अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। इससे पहले भाजपा अपने दम पर पांच साल सरकार चलाने की डिग्री भी हासिल कर चुकी है। उसके बावजूद सदन में अपनी ही पार्टी के विधायकों की नाराजगी का बने रहना सीधे तौर पर विपक्षी पार्टी के नेताओं के लिए अच्छी खासी खुराक का काम करना है। इसमें कोई दो राय नहीं सत्ताधारी पार्टी के विधायक मजबूरी में सदन के अंदर इसलिए नाराजगी जताते हैं क्योंकि रूटीन में उनकी बातों को लगातार अनसुना कर दिया जाता है। कुल मिलाकर 2023 में भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरक सरक आगे बढ़ते हुए कार्यकाल की उम्र पूरी करता है या फिर 2024 विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर अपने एजेंडे के तहत अलग राह पर चलने के लिए तलाक का एलान कर देता है। यह देखने वाली बात होगी।