रणघोष की सीधी सपाट बात

असली जंग तो अब इंसानी वायरस से हैं जो सरेआम लूटपाट- मारपीट की शक्ल में बेखौफ नजर आ रहा है..


रणघोष खास.  सुभाष चौधरी की रिपोर्ट


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घायल संजय कुमार

यह  लेख आप तक पहुंचे उसी दौरान एक ओर वारदात हो जाए बड़ी बात नहीं। सोमवार को दो बड़ी घटनाओं ने कोरोना के डर से भी बड़ा खौफ पैदा कर दिया। शहर में  अग्रवाल मेडिकोज के मालिक विजय अग्रवाल घर से दुकान के लिए निकले। बावल रोड पर बदमाश पिस्टल का बट मारकर थैला छीनकर भाग गए। दूसरी घटना डहीना- जैनाबाद की है। जहां स्थानीय पत्रकार संजय कुमार पर तीन बदमाशों ने जान लेवा हमला कर दिया। वजह उसने क्षेत्र में चल रहे नशे के चल रहे धंधे को उजागर किया था। समाज में आपराधिक घटनाएं पहले भी होती रही है। बड़ी बात नहीं है लेकिन यह इतनी बेखौफ- सरेआम- छाती ठोंकते हुए दिन दहाड़े टहलती हुए नजर आएगी। ऐसा पहली बार हो रहा है वो भी कोरोना काल में। एक तरफ वायरस के डर ने जिदंगी की दिनचर्या को पूरी तरह से बिखेर कर रख दिया है। ऐसे हालात में सिस्टम को चलाने वाले नेताओं के भाषण एवं दावें संडाध मारते नजर आ रहे है। मौजूदा हालात में नेताओं के चेहरों को गौर से देखिए और शब्दों को गंभीरता से पढ़िए तुरंत समझ जाएंगे कि ये लाशों के ढेर में भी वोट बैंक तलाश रहे हैं। सबक लेना होता तो एक साल पहले कोरोना की दस्तक से सीख लेते। सीखना होता तो हमारे देश के नेता गुरुग्राम- फरीदाबाद जिलों की आबादी जितने  न्यूजीलैंड देश की पीएम जैसिंडा केट लॉरेल अर्डरन से सीख लेते जहां कोरोना इस देश के अनुशासन, समर्पण, अधिकार- कर्तव्य के सामने दम तोड़ चुका है। वह उनके आस पास मंडराने की हिमाकत भी नहीं कर पा रहा है। हमारे नेताओं के झूठे दावों को देखिए। इतना गजब का आत्मविश्वास है कि सच भी कुछ पल के लिए सहम जाता है। हमारा सिस्टम मास्क नहीं पहनने पर दुकान पर बैठे दुकानदार का चालान तो काटने में देर नहीं लगाता लेकिन जब व्यापारी के साथ लूटपाट होती है तो वह किसका चालान करें। इसका जवाब हमारी अफसरशाही और नेताओं को देना ही पड़ेगा।  बहुत हो चुका। जिस तरह मारपीट- लूटपाट की खुलेआम वारदातें  हो रही हैं। यह कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है।  कोरोना वायरस से तो सोशल डिस्टेंस, मास्क से बचा जा सकता है। लूटपाट जैसी वारदातों से कैसे निपटे जो नकाब की आड़ में  एक ऐसा डर कायम कर रहे हैं जिसकी कोई जवाबदेही लेने को तैयार नहीं है। अगर इन वारदातों पर तुरंत लगाम नहीं लगी तो समझ जाइए असली जंग कोरोना से नहीं उस इंसानी वायरस से हैं जो हमारे जर्जर हो चुके सिस्टम, सत्ता के लिए किसी भी हद तक जाकर कुर्बानी लेते आ रहे नेताओं की मानसिक विकृति से जन्म ले चुका हैं।   

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