एम्स संघर्ष समिति की डोज मिलते ही सरकार को एम्स याद आता है
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
हरियाणा के रेवाड़ी जिला गांव माजरा में प्रस्तावित एम्स की हालत उस मरीज की तरह है जिसका इलाज कर रहे डॉक्टर ना तो उसकी बीमारी पकड़ पा रहे है और ना ही डिस्चार्ज कर रहे है। जैसे ही मरीज के परिजन शोर मचाते हैं डॉक्टर्स झट एक दवा की गोली मरीज के मुंह में डालकर कुछ दिन के लिए आराम का इंजेक्शन का लगा देते है। ना डाक्टर बदला गया है और ना ही मरीज के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। स्थिति यह है कि मरीज को अब इसी दवा को लेने की आदत पड़ गई है।
एम्स को जमीन पर उतारने के लिए जैसे ही एम्स संघर्ष समिति जमीन पर उतने की धमकी देती है तो तुरंत दिल्ली व जिला प्रशासन हरकत में आकर एम्स को कागजों में जिंदा करने का प्रचार शुरू कर देता है। पिछले आठ सालों से इस परियोजना के नाम पर क्षेत्र की जनता के साथ भददा मजाक ही हो रहा है। 5 जुलाई 2015 को एम्स निर्माण की घोषणा की गई थी। धन्यवाद करिए एम्स संघर्ष समिति का जो लगातार संघर्ष के रास्ते एम्स को आक्सीजन देकर जिंदा रखे हुए हैं। इस समिति के सदस्यों ने विपरित परिस्थितियों में अपनी एकजुटता को कमजोर नहीं होने दिया। राजनीति व प्रशासनिक स्तर पर इस समिति को इधर उधर करने के प्रयास भी हुए लेकिन समिति सदस्य पूरे जोश के साथ अपने इरादों को मजबूत करते चले गए। समिति ने कुछ दिन पहले 5 जुलाई को धिक्कार दिवस मनाने की घोषणा की तो प्रशासन व दिल्ली स्वास्थ्य मंत्रालय हरकत में आ गया। मीडिया में प्रेस नोट जारी किए गए कि इस परियोजना को लेकर सरकार फाइनल स्टेज पर पहुंच चुकी है। इससे पूर्व ऐसा कई बार हो चुका है जब भी समिति कोई चेतावनी देती है भाजपा नेता एवं प्रशासनिक अधिकारी इस तरह हरकत में आ जाते हैं कि मानो जल्द ही एम्स की ईंट रखी जा रही है। सूत्रों की माने तो इस परियोजना को लोकसभा चुनाव में भुनाने के लिए जानबूझकर देरी की जा रही है। अगर सरकार इसका अभी शिलान्यास कर देती हैं तो उसे चुनाव में खास फायदा नहीं होगा। कुल मिलाकर एम्स का राजनीति प्रयोगशाला में चुनाव के नजदीक आने तक इलाज ही चलता रहेगा।
एम्स संघर्ष समिति ने धिक्कार दिवस मनाकर जताया रोष
एम्स संघर्ष समिति मनेठी के आह्वान पर सरकार द्वारा 8 साल में एम्स का निर्माण न करने के विरोध में ‘धिक्कार दिवस‘ मनाया गया। आज के दिन ही 5 जुलाई 2015 को एम्स निर्माण की घोषणा की गई थी। ‘धिक्कार दिवस‘ में ग्रामीणों ने भागीदारी की और सरकार एवं जन प्रतिनिधियों के प्रति खुलकर अपनी नाराजगी प्रकट की। मनेठी उपतहसील परिसर में पहले सभा की गई जिसकी अध्यक्षता कार्यकारी अध्यक्ष कैलाश चंद ने की। उसके बाद तहसील से शुरू कर एम्स निर्माण के लिए अधिग्रहित जमीन तक जुलूस निकाला गया। एम्स निर्माण की जगह की मिट्टी को हाथ में लेकर शपथ ली गई जब तक निर्माण नही होंगा संघर्ष को जारी रखा जायेगा। जिसका नेतृत्व एम्स संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष कैलाश चंद ,समिति के प्रवक्ता कॉमरेड राजेंद्र सिंह एडवोकेट, सचिव ओमप्रकाश सैन डॉक्टर एच डी यादव,मास्टर लक्ष्मण सिंह , कर्नल राजेंद्र ने किया। समिति का सुविचारित मत है कि पिछले 8 सालों में सरकार ने मीठी गोली देने और जनता के आपसी तालमेल व एकता को तोड़ने के अलावा एम्स निर्माण में कोई रुचि नहीं दिखाई। नतीजतन, जनता को आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। सरकार की तरफ से एम्स निर्माण के लिए जमीन लेने के कोई प्रयास नहीं किए। आंदोलन से चिड़कर, उल्टे, एम्स संघर्ष समिति को ही कोसने का काम किया। ‘एम्स जमीन पर बनेगा, हथेली पर नहीं‘ – इस तरह के जले-कटे कटाक्ष इलाके की जनता पर किये गये और मनेठी गांव की पंचायती जमीन को जबरन अरावली की जमीन बताया गया। आज तक भी सरकार ऐसा कोई रिकॉर्ड पेश नहीं कर सकी है जिसमें यह ‘अरावली‘ का हिस्सा दर्शाई गई हो। असल में, सरकार की मंशा ‘जमीन ना मिलने का बहाना‘ बनाकर एम्स से वंचित करने की थी। परंतु धन्य है माजरा गांव जहां के किसानों और पंचायत ने अपनी बेशकीमती जमीन देकर एम्स को बाहर जाने से रोक लिया। अब जमीन भी पूरी है, तब सरकार और यहां के जन प्रतिनिधियों को किस बात का इंतज़ार है। एम्स का निर्माण क्यों नहीं किया जा रहा है। ‘एम्स संघर्ष समिति तो उंगली कटाकर शहीद होना चाहती है‘। इस तरह के तुच्छ व कटे-जले कटाक्ष करने वाले जन प्रतिनिधि अब भी एम्स का निर्माण क्यों नहीं करवाते, निर्माण कार्य पूरा होने तक ‘ओपीडी‘ चालू क्यों नहीं करवाते। समिति ने फ़ैसला लिया कि 31 जुलाई तक शिलायनास नही किया गया तो 1 अगस्त डबल इंजन की सरकार के जन प्रतिनिधियों को खोल ब्लॉक के गांवो में नही घुसने दिया जायेगा। रैली में मुख्य रूप से प्रो वेद प्रका श, धर्मवीर बुलदोधिया, ,रामेश्वर पाली अमर सिंह,ईश्वर सिंह,राजबीर नंबरदार दयाराम ,रामकुमार ,विजय कुमार राजेंद्र सिंह पुंसिका,शीलादेवी,रतनलाल पूर्व सरपंच ,भूपेंद्र आर्य मंजीत सिंह रामसरुप बीडी यादव,,नरेंद्र माजरा ,देशराज दिलबाग सिंह इत्यादि ने सम्बोधित किया।