आइए जाने क्या है इसका राज़?
रणघोष खास. विश्वभर से बीबीसी की रिपोर्ट
लुसिल रैंडन ने जनवरी में आखिरी सांस ली. तब उनकी उम्र 118 साल थी और उनके नाम दुनिया के सबसे उम्रदराज़ व्यक्ति का रिकॉर्ड था.
फ्रांस की नन लुसिल सिस्टर आंद्रे के नाम से मशहूर थीं. उन्होंने दोनों विश्व युद्ध देखे थे. वो इंसान के चांद पर उतरने की गवाह थीं और उन्होंने डिजिटल युग को भी देखा.
उनकी कहानी इस तथ्य की रोशनी में अनूठी लगती है कि वो उसी दुनिया का हिस्सा थीं जहां इंसानों की औसत आयु 73.4 साल है.हालांकि हर बीतते दिन के साथ लोगों की ज़िंदगी लंबी हो रही है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि इस सदी के मध्य तक इंसानों की औसत आयु बढ़कर 77 साल हो सकती है.
लोगों का जीवनकाल बढ़ रहा है. जन्मदर घट रही है. ऐसे में उम्रदराज लोगों की आबादी बढ़ती जा रही है. दुनिया में अब पांच साल से कम उम्र के जितने बच्चे हैं, उससे कहीं ज़्यादा आबादी 65 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों की है. हालांकि, दुनिया के सभी देशों में स्थिति एक सी नहीं है. मोनाको में जहां इंसानों की औसत आयु 87 साल है, वहीं, अफ़्रीका के गरीब देश रिपब्लिक ऑफ़ चाड में औसत आयु महज 53 साल है. लुसिल रैंडन ने जनवरी में आखिरी सांस ली. तब उनकी उम्र 118 साल थी और उनके नाम दुनिया के सबसे उम्रदराज़ व्यक्ति का रिकॉर्ड था. मोनाको के बाद नंबर आता है चीन प्रशासित हॉन्ग कॉन्ग का. तीसरे नंबर पर मकाऊ और चौथे नंबर पर है जापान. विश्व शक्तियों में जापान में इंसानों की औसत आयु सबसे ज़्यादा है.
संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट रिपोर्ट के मुताबिक अधिक औसत आयु से जुड़ी लिस्ट के बाकी देश हैं लिकटनस्टाइन, स्विट्ज़लैंड, सिंगापुर, इटली, दक्षिण कोरिया और स्पेन.
महामारी और विश्व युद्ध को परे रख दें तो बीते दो सौ साल से ज़्यादा वक़्त से दुनिया भर में इंसानों की औसत आयु लगातार बढ़ रही है. वैक्सीन, एंटीबायोटिक्स और बेहतर दवाओं के विकास के साथ साफ सफाई, खाने पीने और जीने की स्थितियां बेहतर होने से औसत उम्र बढ़ी है.
सही फैसले, बेहतर नतीजे
अनुवांशिक वजह उम्र अधिक होने में सबसे अहम होती है लेकिन इसमें दूसरी बातों की भी भूमिका होती है. मसलन किसी शख्स ने जहां जन्म लिया वहां रहने सहने की स्थितियां कैसी थीं और एक इंसान के तौर पर उन्होंने अपने जीवन में किस तरह के फैसले किए.
लंबी उम्र सिर्फ़ बेहतर हेल्थ सिस्टम और अच्छी डाइट की वजह से नहीं मिलती. इसके लिए वो फैसले भी अहम होते हैं, जिन्हें एक्सपर्ट ‘स्मार्ट डिसीजन’ कहते हैं, खासकर संतुलित डाइट (खान पान), भरपूर नींद लेने, तनाव पर नियंत्रण हासिल करने और व्यायाम करने से जुड़े फ़ैसले.
अधिक औसत उम्र के लिहाज से जिन देशों की रैंकिंग ऊंची है यानी जो आला पायदान पर हैं, उनमें एक बात आम है, अधिक आमदनी. उनमें एक और बात आम है, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या अनुमान विभाग के प्रमुख पैट्रिक गेरलैंड कहते हैं कि इस लिस्ट में मोनाको और लिकटनस्टाइन जैसे बहुत छोटे देश हैं. उनके यहां जनसंख्या में दूसरे देशों जैसी विविधता नहीं दिखती है. वो कहते हैं, “ये अनूठे देश नज़र आते हैं लेकिन हक़ीक़त में देखें तो उनकी जनसंख्या अलग सी है. दूसरे देशों में जिस तरह अलग-अलग तरह की जनसंख्या का मिश्रण दिखता है, वैसा यहां नहीं है.” बीबीसी से बातचीत में पैट्रिक कहते हैं, “उनके यहां रहन सहन का स्तर ऊंचा है. स्वास्थ्य सुविधाएं और पढ़ाई की सुविधाएं अच्छी हैं लेकिन यहां किसी किस्म का बेतरतीब चयन नहीं है. “अलग- अलग देशों के बीच बल्कि कई मामलों में एक ही देश के बीच बड़ा अंतर देखा जा सकता है. ख़ासकर जहां अधिक असमानता है, वहां अलग अलग सामाजिक समूहों की औसत आयु का अंतर बढ़ जाता है.वो कहते हैं, ” यूरोप के कई देशों में अस्सी साल से अधिक आयु वाले कई लोग हैं. वहां औसत आयु ज़्यादा है.”
इटली का सार्डिनिया इलाक़ा सबसे पहला ब्लू ज़ोन था
ब्लू ज़ोन आबादी का एक बहुत छोटा हिस्सा है. यहां दूसरे लोगों की तुलना में ज़्यादा उम्र तक जीने वाले लोग हैं.कुछ दशक पहले जनसांख्यिकी विशेषज्ञ मिशेल पुलैन और जेरंटलॉजिस्ट जानी पेस ये पता लगाने के अभियान में जुटे कि दुनिया में सबसे उम्रदराज़ लोग कहां रहते हैं.
जिन कस्बों और शहरों में सौ साल तक जीने वाले लोग मिले, उन्होंने नक्शे पर उन जगहों पर नीले मार्कर से गोल घेरे बना दिए.उन्होंने पाया कि नक्शे पर नीले रंग से रेखांकित एक इलाका बरबाजा है. ये इटली के द्वीप सारडिनिया पर है. उन्होंने इसे ‘ब्लू ज़ोन’ नाम दिया. उसके बाद से ये नाम ऐसी जगहों के साथ जुड़ गया जहां लोग बेहतर जीवन स्तर के साथ लंबी उम्र जीते हैं.
इस अध्ययन के आधार पर पत्रकार डैन ब्यूटनर ने विशेषज्ञों की एक टीम तैयार की ताकि दूसरी जगह ऐसे ही समुदायों की जानकारी की जा सके. दक्षिण जापान के ओकिनावा में लोग 90 साल की उम्र तक एक्टिव रहते हैं. उन्होंने पाया कि सारडिनिया के अलावा चार और ब्लू ज़ोन हैं. ये हैं जापान का द्वीप ओकिनावा, कोस्टा रिका का निकोया, ग्रीस का आइकैरिया द्वीप और कैलिफ़ोर्निया में लोमा लिंडा एडवेंटिस्ट कम्युनिटी.
इस बात में कोई शक नहीं है कि लंबी ज़िंदगी के लिए अनुवांशिक वजह वरदान की तरह हैं.
लेकिन डॉक्टरों और तमाम दूसरी विधाओं के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों के समूहों ने ये समझने की कोशिश की कि ब्लू ज़ोन को प्रभावित करने वाली बाकी दूसरी वजह क्या हैं. उन्होंने इसकी जानकारी के लिए दुनिया के अलग अलग हिस्सों का दौरा किया. कुछ साल बात यानी साल 2008 में ब्यूटनर की एक किताब प्रकाशित हुई ‘द ब्लू ज़ोन्स: लेसन फ़ॉर लिविंग लॉन्गर फ्रॉम द पीपुल हू हैव लिव्ड द लॉन्गेस्ट’
उसके बाद से ही उन्होंने खुद को इस विचार को आगे बढ़ाने के काम में लगा दिया.
हालांकि, उनकी कही बातों से हर कोई सहमत नहीं था. असहमति जताने वालों की राय थी कि उनके कई कथन लंबे वैज्ञानिक अध्ययन के बजाए निगरानी पर आधारित हैं.दूनिया के ब्लू ज़ोन इलाक़ों में लोग बेहतर सेहत के साथ लंबी उम्र जीते हैं.ब्यूटनर और उनकी टीम ने समुदायों पर किए अध्ययन के दौरान कुछ आम बातें पाईं. इनके आधार पर उन्होंने बताया कि बाकी दुनिया के मुकाबले उन समुदायों के लोगों का जीवन लंबा और बेहतर क्यों है. उनमें से कुछ बातें ये थीं
उनके जीवन का कोई मक़सद था. यानी वो वजह जिसके लिए वो हर सुबह उठते हैं.
वो पारिवारिक बंधन को मजबूत रखते हैं.
वो आम रूटीन के बंधन से अलग होकर तनाव घटाते हैं. वो दूसरी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं जो सामाजिक आदतों का हिस्सा बन चुकी हैं. उदाहरण के लिए लोमा लिंडा प्रार्थना करते हैं. ओकिनावा में महिलाओं के लिए चाय पार्टी आयोजित होती है.
वो ठूंसकर खाना नहीं खाते. पेट की क्षमता के 80 प्रतिशत ही खाते हैं.
वो संतुलित आहार लेते हैं. इसमें सब्जियां और फल बहुतायत में होते हैं.
वो सीमित मात्रा में अल्कोहल लेते हैं.
वो हर दिन टहलने जैसी शारीरिक गतिविधि करते हैं.
उनमें सामुदायिक भावना मजबूत होती है. वो सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं और अच्छी आदतों को बढ़ावा देते हैं.
वो ऐसे समूह का हिस्सा होते हैं जहां आस्था या धर्म को बढ़ावा मिलता है.
इनके अलावा दोस्ताना माहौल, अच्छा स्वभाव, हेल्दी फूड तक पहुंच और बड़े शहरी केंद्रों से दूरी भी उनकी जीवनचर्या का हिस्सा रही.
हालांकि, ब्लू ज़ोन का हिस्सा होने के लिए आपको वहां जन्म लेना होगा और उस समुदाय का सक्रिय सदस्य बनना होगा. लेकिन तमाम वो लोग जो लंबी और बेहतर ज़िंदगी की चाह रखते हैं, उनके लिए ये तौर तरीके उपयोगी हो सकते हैं.
105 साल की उम्र में बनाया रिकॉर्ड
एक्सपर्ट का कहना है कि आर्थिक हालात और गुणसूत्र में मिली खूबियों के अलावा भी कुछ बाते हैं, जिन पर कम ध्यान दिया गया है. ये बाते हैं दूसरे लोगों के साथ संपर्क और जीवन का मक़सद.
ये बातें साधारण सी लगती हैं लेकिन जो लोग लंबे वक़्त तक अच्छे स्तर का जीवन जीना चाहते हैं, उनके लिए ये एक बड़ी चुनौती है.नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग के साइंटिफिक डायरेक्टर लुइगी फरूची कहते हैं कि स्वस्थ बुजुर्ग शारीरिक तौर पर सक्रिय रहते हैं. कुछ वक़्त घर के बाहर बिताते हैं. उनके दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मजबूत संबंध होते हैं.किसी इंसान की लंबी उम्र के लिए जीन और जीवनशैली का कितना असर होता है, इसे लेकर विशेषज्ञों की राय एक नहीं है.कुछ शोधकर्ताओं की राय है कि गुणसूत्रों की भूमिका 25 प्रतिशत होती है. इसके अलावा जो कारण अहम होते हैं, वो हैं कि एक व्यक्ति कहां रहता है, वो क्या खाता है, कितना व्यायाम करता है, दोस्तों और परिवार से जुड़ा उनका सपोर्ट सिस्टम कैसा है.
वैज्ञानिक समुदाय के बीच लंबे और स्वस्थ जीवन में अनुवांशिक वजहों की भूमिका को लेकर बहस जारी है.
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