रणघोष अपडेट. देशभर से
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसानों के आंदोलन के एक प्रमुख चेहरे राकेश टिकैत ने बड़ा बयान दिया है। टिकैत ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा है कि ऐसा लग रहा है कि अब देश में जंग होगी। यह पूछे जाने पर कि आंदोलन कितना चलेगा, टिकैत ने कहा कि यह तो सरकार बताएगी क्योंकि किसान तो वापस नहीं जाएगा। किसान नेता ने कहा कि सरकार को बातचीत करनी चाहिए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 5 सितंबर को एक बड़ी पंचायत बुलाई गई है, आगे के बारे में फ़ैसला उसमें लिया जाएगा और तब तक के लिए सरकार के पास दो महीने का वक़्त बचा है। इसके बाद टिकैत ने यह बयान दिया कि ऐसा लग रहा है कि देश में अब जंग होगी, युद्ध होगा।
मुज़फ्फरनगर में होगी पंचायत
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव में हुंकार भरने जा रहा है। इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और 7 महीने बाद इन राज्यों में चुनाव होने हैं। किसानों की इस हुंकार की शुरुआत 5 सितंबर को मुज़फ्फरनगर से होगी, जहां इस दिन राष्ट्रीय महापंचायत रखी गई है।
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में फ़ैसला लिया गया है कि 5 सितंबर की राष्ट्रीय महापंचायत से पहले अगस्त के महीने में उत्तर प्रदेश के हर जिले में बैठक की जाएंगी।महापंचायत के बाद उत्तर प्रदेश के 17 और उत्तराखंड के 2 मंडलों में अक्टूबर व नवंबर में बैठकें होंगी। इसे ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ नाम दिया गया है। मोर्चा ने कहा है कि मोर्चा के नेता इस दौरान लोगों के बीच में पहुंचेंगे।
सभी राज्यों से आएंगे किसान
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने दोहराया कि अगले कुछ महीनों में किसान ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ में पूरी ताक़त के साथ जुटेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इस आंदोलन को मज़बूत करना है। किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा है कि किसानों की यह लड़ाई नवंबर, 2021 में बुलंदियों पर होगी और मुज़फ्फरनगर की महापंचायत में देश के सभी राज्यों के किसान संगठन भाग लेंगे। 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद से ही किसानों और सरकार के बीच बातचीत बंद है। लेकिन किसानों ने साफ कर दिया है कि 5 सितंबर को होने वाली राष्ट्रीय महापंचायत के बाद किसान आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा। किसानों का मिशन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी को हराना है। इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान भी किसानों ने बीजेपी को हराने की अपील की थी। बीजेपी जानती है कि किसान आंदोलन उसके लिए मुश्किल का सौदा है। किसानों ने पिछले 7 महीने के दौरान ठंड, बरसात, गर्मी बर्दाश्त कर दिखा दिया है कि वे अपनी मांगों के पूरे हुए बिना यहां से नहीं जाएंगे।
सियासी नुक़सान होगा?
यूपी और उत्तराखंड में होने वाले चुनाव से पहले अगर किसान आंदोलन ख़त्म नहीं होता है तो निश्चित रूप से चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं और किसानों के बीच झड़पें हो सकती हैं। जैसा हम हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक में देख भी चुके हैं। साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड के दो जिलों हरिद्वार और उधमसिंह नगर में किसान आंदोलन का ख़ासा असर है। इन इलाक़ों में हुई किसान महांपचायतों में उमड़ी भीड़ बीजेपी को किसानों की ताक़त का अंदाजा करा चुकी है। ऐसे में 5 सितंबर की महापंचायत के बाद बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और उसे इन दोनों राज्यों में सियासी नुक़सान हो सकता है।