राहुल गांधी कुली बने, क्या है इसके पीछे की राजनीति

रणघोष अपडेट. देशभर से 

कांग्रेस नेता गुरुवार सुबह आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर कुली बनकर पहुंचे। कुली भी उनको देखकर चकरा गए। इसके बाद कुलियों ने राहुल गांधी को घेर लिया। राहुल गांधी उनका दर्द जानने पहुंचे थे लेकिन अधिकांश कुली राहुल गांधी से हाथ मिलाने, उन्हें छूने और साथ में फोटो खिंचाने को बेचैन थे। कांग्रेस पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर राहुल गांधी को फौरन जननायक घोषित करते हुए आनंद विहार स्टेशन के फोटो और वीडियो जारी किए। यह पहला मौका नहीं है, जब राहुल गांधी समाज के ऐसे वर्ग के लोगों से मिले, जो दूसरों का बोझ उठाते हैं। जो दूसरों के लिए समर्पित हैं। इससे पहले वो ट्रक भी चला चुके हैं। खेतों में धान भी रोप चुके हैं और सब्जी बेचने वाले को अपने घर बुलाकर खाना भी खिला चुके हैं। राहुल गांधी का दर्शन भारत जोड़ो अभी तक जारी है। बेशक वो इस समय यात्रा पर नहीं हैं लेकिन कुलियों, किसानों, महिलाओं, सब्जी विक्रेताओं से मुलाकात भारत जोड़ो का हिस्सा नजर आता है। लेकिन इसके पीछे राजनीति भी है। अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं, जब राहुल गांधी 1 अगस्त को सुबह – सुबह अचानक दिल्ली की आजादपुर मंडी पहुंचे। यहां उन्होंने सब्जी-फल बेचने वालों से बातचीत कर उनकी समस्याएं सुनी। इस दौरान सब्जियों और फलों के बढ़ते दाम को लेकर विक्रेताओं से बात की और पूछा कि इससे आपको क्या परेशानियां हो रही हैं। लेकिन इसके पीछे वो वीडियो था, जिसको देखकर पूरा देश पिघल गया था। उस वीडियो में आजादपुर सब्जी मंडी में थोक में टमाटर खरीदने आए सब्जी विक्रेता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो वहां से महंगे टमाटर खरीद कर मामूली मुनाफे पर बेच सके। राहुल ने भी वो वीडियो देखा था ।  राहुल गांधी लगातार यह संदेश दे रहे हैं कि वो देश के उस तबके के साथ जुड़े हुए हैं या उनका दर्द महसूस करने के लिए पहुंचते हैं, जिन्हें समाज ने हाशिए पर छोड़ा हुआ है  लेकिन ऐसे लोग बहुत जरूरी काम में जुटे हैं। रेलवे स्टेशन तमाम तरह से आधुनिक होने के बावजूद कुलियों की भीड़ से कम नहीं हुए हैं। कुली समुदाय में अधिकांश वो लोग हैं जो गरीब हैं। इनमें भी उनकी संख्या ज्यादा है, जिन्हें उनके समाज में वो रुतबा हासिल नहीं है जो बाकी लोगों को हासिल है। राहुल गांधी की कुली वाली छवि पीएम मोदी की चाय बेचने वाले बच्चे की छवि पर भारी पड़ेगी। क्योंकि देश ने पीएम मोदी की सिर्फ कहानियां सुनी हैं कि वो कभी गुजरात में रेलवे प्लैटफॉर्म पर चाय बेचा करते थे। उसका कोई वीडियो या फोटो उपलब्ध नहीं है। मोदी ने अक्सर अपनी गरीबी और चाय बेचने की चर्चा की है। लेकिन राहुल गांधी को लोग रेलवे स्टेशन पर बोझ उठाकर कुली बनता देख रहे हैं। यह एक प्रतीक छवि है, असल में राहुल न तो कुली हैं, न किसान हैं और न ट्रक ड्राइवर। लेकिन अगर आप ऐसे लोगों के नजदीक जाकर उनका दर्द नहीं जान सकते तो जब जिम्मेदार पद पर होंगे तो कैसे उस दर्द को महसूस करेंगे। राहुल गांधी इसी काम में जुटे हैं। कांग्रेस ने समय समय पर आरोप लगाया है कि भाजपा ने राहुल गांधी की छवि खराब करने के लिए बेतहाशा पैसा खर्च किया। उन्हें पप्पू तक कहा गया। लेकिन कांग्रेस ने आज उसी पप्पू को जब जननायक घोषित किया है तो भी रणनीति का हिस्सा है। हालांकि भारतीय राजनीति में एक लंबी उम्र गुजार कर उभरे नेताओं को जननायक कहा गया है लेकिन राहुल को यह पदवी जल्द ही मिल गई है। पीएम मोदी सुरक्षा कारणों से अब आम जनता से दूर हो चुके हैं और राहुल बिना सुरक्षा की परवाह किए आम जनता के बीच पहुंच रहे हैं। इसलिए लोकसभा में बुधवार को और राज्यसभा में गुरुवार को जब महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया तो कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी कोटे की मांग की। कांग्रेस ने जाति जनगणना की मांग की। ये दोनों मांगे उसी समुदाय से जुड़ी हैं, जिनके नजदीक इन दिनों राहुल गांधी पहुंच रहे हैं। इसलिए राहुल की तमाम पहल बेशक राजनीति है लेकिन अगर उस राजनीति से किसी समुदाय को फायदा हो रहा है तो ऐसी राजनीति से परहेज ही क्यों किया जाए।

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