– डीसी इमरान रजा की पहल सराहना व चर्चा का विषय रही
– आंगनवाडिय़ों में प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य का भी रखा जाता है पूरा ख्याल : डीसी
रणघोष अपडेट. रेवाड़ी
डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने समाज और उच्च पद पर आसीन अधिकारियों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण पेश करते हुए अपनी बेटी इशरा का दाखिला गांव ढालियावास स्थित आंगनवाड़ी केन्द्र के प्ले स्कूल में कराया है। 2015 बैच के आईएएस अधिकारी इमरान रजा की यह पहल रेवाड़ी में सराहना व चर्चा का विषय बनी हुई है। डीसी की धर्मपत्नी डा. सदफ माजिद गुरुवार को ढालियावास स्थित आंगनवाड़ी केंद्र पहुंची और अपनी बेटी इशरा के दाखिले से संबंधित सभी औपचारिकताएं पूरी कीं। इस अवसर पर डा. सदफ ने जिला कार्यक्रम अधिकारी शालू यादव व आंगनवाड़ी संचालिका से आवश्यक जानकारी भी प्राप्त की। रजा दंपत्ति द्वारा उठाया गया यह कदम समाज को कई संदेश देता है। शिक्षा सिर्फ संसाधनों पर निर्भर नहीं है बल्कि दृढ़ इच्छा शक्ति से इसे कहीं भी पाया जा सकता है। मौजूदा समय में लोग निजी स्कूलों की ओर अधिक रुख कर रहे हैं. जिस वजह से एक दूसरे को देख कर अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाते हैं। ऐसे में यह मिसाल पेश कर डीसी मोहम्मद रजा ने समाज को नई दिशा देने का काम किया है। समाज के उच्च वर्ग के अधिकतर लोग जहां अपने बच्चों को सुख-सुविधाओं वाले प्ले स्कूल और महंगे बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाना पसंद करते हैं, वहीं रेवाड़ी डीसी ने समाज के समक्ष एक उदाहरण पेश किया है। उनकी इस पहल से न सिर्फ आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि यह पहल लोगों के इस मिथक को भी तोड़ेगी की कि सरकारी स्कूलों व आंगनवाडिय़ों में प्राइवेट स्कूल से कम पढ़ाई होती है। डीसी इमरान रजा और उनकी पत्नी डा. सदफ माजिद ने कहा कि उन्होंने बेटी इशरा की शुरुआती शिक्षा आंगनवाड़ी केंद्र के प्ले स्कूल से कराने का निर्णय लिया है। इशरा अब नियमित रूप से आंगनवाड़ी केंद्र आएगी और सामान्य बच्चों संग पढ़ाई करने के साथ-साथ मिड डे मिल भी ग्रहण करेगी। उनका कहना है कि आंगनवाड़ी समेकित बाल विकास केंद्र होते हैं, जो बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखते हैं। यहां उच्चों के लिए सभी सुविधाएं हैं। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि उनकी बच्ची समाज के सभी वर्गो के बच्चों के साथ समय बिताए और अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करें। जब आंगनवाडिय़ों में अफसरों के बच्चे पढ़ते नजर आएंगे तो आमजन में भी यह विश्वास पैदा होगा कि अब सरकारी स्कूल में भी उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित है।