रेवाड़ी सीट पर सीएम के जनसंवाद कार्यक्रम के साइड इफेक्ट

 सीएम वोट बढ़ाने का काम कर गए या घटाने का, यह सवाल पीछा नहीं छोड़ रहा


रणघोष खास. सुभाष चौधरी

मेवात में हिंसा की घटनाओं से पहले मुख्यमंत्री मनोहरलाल तीन दिन रेवाड़ी में जनसंवाद कार्यक्रम के तहत जनता, भाजपा पदाधिकारियों, विधायक एवं मंत्री के बीच रहे। जाहिर है सीएम के कार्यक्रमों का शैडयूल आने से पहले ही निर्धारित हो जाता है। इसलिए सहमति और असहमति के बीच होने वाली तोड़फोड़ को पहले ही ठीक कर दिया जाता है।  कार्यक्रम बिना किसी विवाद या झमेले के राजी खुशी निपट गया लेकिन केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह समर्थकों के दिलों दिमाग में असल भाजपाई होने या नहीं होने के सवाल पैदा कर गया। जिसकी तपिश मेवात हिंसा के बाद आ रही प्रतिक्रियों में साफ महसूस हो रही है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि सीएम कार्यक्रमों में राव समर्थकों की दूरियां भी पहले से निर्धारित थी। विशेषतौर से रेवाड़ी विधानसभा में हुए आयोजनों  में यह तस्वीर साफ नजर आईं जब पूरी कमान राव के सबसे प्रिय विरोधी हरियाणा टूरिज्म निगम के चेयरमैन अरविंद यादव ने संभाल रखी थी। सीएम कहां कहां जाएंगे और कहां नहीं। यह सारा खाका अरविंद यादव की सोच से तैयार हुआ था। अरविंद यादव 2019 में यहां से टिकट के प्रमुख दावेदार थे जिनकी उम्मीदों पर राव ने पानी फेर दिया था। जिसका फायदा  इस सीट पर कांग्रेस से विधायक बने चिरंजीव राव ले गए।  जाहिर सीएम और भाजपा के लिए यह सीट दक्षिण हरियाणा की राजनीति का केंद्र होने के साथ साथ प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है। यहां से 2014 में रणधीर सिंह कापड़ीवास भाजपा के पहले विधायक बने थे। 2019 में राव समर्थक सुनील मुसेपुर ने पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़कर भाजपा के भीतर टिकट दावेदारों का सारा गणित बदलकर रख दिया था। हालांकि वे महज 1331 मतों से हार गए लेकिन राव के आशीर्वाद से अपनी राजनीति चाहत को अभी तक पाल पोसकर बड़ा कर रहे हैं। सुनील यादव को यह भरोसा था कि सीएम के जनसंवाद कार्यक्रमों को लेकर बनाई गई परपंरा को रेवाड़ी में भी दोहराया जाएगा। जिसके अनुसार जिस विधानसभा पर भाजपा विधायक नहीं है वहां सीएम के बगल वाली सीट पर  पिछला चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार बैठेगा। ऐसा कई जगह देखा गया। रेवाड़ी आते ही सबकुछ बदल गया जब अरविंद यादव सीएम के  भावी उम्मीदवार की तरह आयोजन को संभालते नजर आए। यहीं वजह है कि राव समर्थकों ने शुरूआत से ही जनसंवाद कार्यक्रमों में संवाद से दूरियां बना ली। सुनील यादव की माने तो उन्हें तो इस आयोजन के लिए निमंत्रण तक नहीं मिला। इसकी वजह आयोजन की जिम्मेदारी संभालने वाले ही बेहतर बता पाएंगे। वे इतना जरूर जानते हैं कि पिछले चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह के मजबूत जनाधार व आशीर्वाद के चलते यहां की जनता ने 42533 वोट देकर पार्टी को मजबूत करने का काम किया। हार जीत के बहुत से कारण रहे जिसे बताने की जरूरत नहीं है। महज 1331 वोटों से पीछे रहना चुनाव परिणाम में हार हो सकती है लेकिन जनता का भरोसा गंगाजल की तरह पवित्र हो गया यहीं इस हार में छिपी सबसे बड़ी जीत थी। उधर पिछले चुनाव में सुनील मुसेपुर को टिकट दिए जाने से बेहद खफा रणधीर सिंह कापड़ीवास निर्दलीय मैदान में उतर गए थे और अपने दम पर 36778 वोट लेकर यह बताने में सफल हुए थे कि इस सीट पर भाजपा की पैदावार ऊपरी झिड़काव से नहीं मिटटी की उर्वरका शक्ति से तय होती है। यहां भी जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान सीएम को चूरमा खिलाते समय कापड़ीवास अपनी चित परिचित शैली से  शिकायत करना नहीं भूले कि कम से कम निमंत्रण तो मिल जाता। हालांकि यह नाराजगी चूरमें की मिठास के साथ ही खत्म हो गई थी। कुल मिलाकर सीएम का यह दौरा अगले चुनाव  लिए वोटों का गणित ठीक ठाक करके चला गया या  इधर उधर बिखेर गया। यह आने वाले समय में होने जा रही हलचलों से साफ हो जाएगा। इतना जरूर है कि रेवाड़ी सीट पर भाजपा के अंदर बाहर की खटास बजाय कम होने फैलाव करती जा रही है जिसका सीधा फायदा उनके विरोधी दलों को घर बैठी खुराक के तौर पर मिल सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: