भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी, दीपेंद्र के लिए आसान नही वापसी
-22 मई को धाकड़ नेता नितिन गडकरी,राव इंद्रजीत सिंह,बाबा बालकनाथ के साथ कोसली में होगे
रणघोष अपडेट. रोहतक. कोसली से सुभाष चौधरी
हरियाणा की राजनीति का ब्लड प्रेशर ऊपर नीचे करने वाली रोहतक संसदीय सीट पर भाजपा- कांग्रेस की प्रतिष्ठा पूरी तरह दांव पर लग चुकी है। यह वो सीट है जिस पर मिलने वाली हार जीत एक तरह से दोनों दलों में आक्सीजन का काम करेगी। इस सीट पर कांग्रेस की जीत बची हरियाणा की 9 सीटों के बराबर इसलिए है की यह सीधे तौर पर हरियाणा में कांग्रेस के सरदार पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडडा की हैसियत बताने जा रही है। इसलिए राज्यसभा की सदस्यता छोड़कर दीपेंद्र हुडडा ने इस सीट पर लड़कर सीधे तौर पर अपनी राजनीति जीवन का सबसे बड़ा दांव खेला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री गृह मंत्री अमित शाह के बाद देश के धाकड़ मंत्री वह नेता नितिन गडकरी 22 मई को गुरुग्राम से भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह एवं राजस्थान से विधायक बाबा बालकनाथ के साथ कोसली की जमीन से भाजपा उम्मीदवार डॉ. अरविंद शर्मा की जीत को सुनिश्चित करने का वायदा लेकर व देकर जाएंगे। यहा से विधायक लक्ष्मण यादव पर विशेष तौर से रैली आयोजन की जिम्मेदारी है। पिछले कुछ दिनों से जिस तरह भाजपा के ताकतवर व असरदार नेताओं ने रोहतक की तरफ रूख किया है उससे कार्यकर्ताओं में जबरदस्त करंट आ गया है। हाईकमान की तरफ से सख्त दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं कि अगर किसी ने अपने निजी हित के लिए भीतरघात की भूमिका निभाई तो चुनाव के बाद उनकी भाजपा में कोई जगह नही रहेगी। सभी पर नजरें रखी जा रही है।
राव इंद्रजीत सिंह की मौजूदगी ने अटकलों पर विराम लगाया
अभी तक कोसली से दूरिया बनाते आ रहे राव इंद्रजीत सिंह की मौजूदगी भी डॉ. अरविंद शर्मा के लिए राम बाण का काम करेगी। राव इंद्रजीत ने इसी जमीन से अपनी राजनीति की शुरूआत की थी यह उनका आज भी मजबूत किला है। राव पिछले दो चुनाव में भाजपा विधायक को जीताने के कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते आ रहे अपने छोटे भाई यादुवेंद्र सिंह को हराने में पीछे नही हटे।
कोसली ही भाजपा की जीत का आधार
इस सीट पर कोसली की भारी भरकम बढ़त ही भाजपा की जीत का आधार है। भाजपा हर हालत में 2019 वाली बढ़त को बरकरार रखना चाहती है जबकि कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत इस बढ़त को कम करने में लगा रखी है। इसलिए भाजपा के अधिकांश बड़े नेता कोसली में ज्यादा डेरा डाले हुए हैं।
दीपेंद्र हुडडा का कमजोर प्रबंधन बनेगा हार की वजह
इस सीट पर कांग्रेस को वोट दीपेंद्र हुडडा के नाम पर मिलेगे। वे बेहद मजबूत चेहरा है लेकिन बेहद कमजोर प्रबंधन कही ऐन वक्त पर उनकी हार की वजह भी बन सकता है। दरअसल जो गलती 2019 के चुनाव में दीपेंद्र ने की थी वही हालात एक बार फिर बनते जा रहे हैं। दीपेंद्र का मजबूत पक्ष यह है की जनता खुद आगे आकर उसे मजबूत बना रही है जबकि संगठन के तौर पर जितने भी पदाधिकारी व कार्यकर्ता नजर आ रहे हैं वे मीडिया में चेहरा दिखाने में ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं। प्रबंधन भी ऐसा है जिन्हें क्षेत्र की पृष्ठभूमि तक का नही पता है। दीपेंद्र के साथ नजर आने वाले अधिकांश चेहरों में सामाजिक तौर पर मजबूत हैसियत नही रखते। पूर्व मंत्री जगदीश यादव व पूर्व विधायक यादुवेंद्र सिंह का बाहरी तौर पर मेल मिलाप दीपेंद्र को फायदा पहुंचा रहा है वही अंदरखाने चोट भी पहुंचा सकता है। कुल मिलाकर कुछ दिन पहले तक यह सीट पूरी तरह से कांग्रेस की तरफ जाती दिखाई दे रही थी अब भाजपा के चौतरफा हमले से पूरी तरह से मुकाबले में आ चुकी है।