लखीमपुर: ‘…इस तरह सुबूत जुटाए जा रहे हैं कि एक अभियुक्त को बचाया जा सके’

लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगातार उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य की पुलिस के कामकाज पर टिप्पणी की जा रही है। सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सोमवार को इस मामले में फिर से सुनवाई की। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सुझाव दिया कि हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज को लखीमपुर खीरी के मामले में चल रही जांच की निगरानी करनी चाहिए। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह शुक्रवार तक इस मामले में जवाब दे। अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा था कि अभी तक सिर्फ़ 23 गवाहों से ही पूछताछ क्यों की गई है। अदालत ने सरकार को आदेश दिया था कि वह और गवाहों को खोजे और उन्हें सुरक्षा भी दे।  उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि इस मामले में अभी तक 13 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि लोगों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपको उन लोगों की खोज करनी चाहिए जो किसानों की निर्मम हत्या में शामिल थे। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमने एसआईटी से उम्मीद की थी कि वह किसानों की हत्या मामले में दर्ज एफ़आईआर नंबर 219 और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर दर्ज एफ़आईआर नंबर 220 को लेकर अलग-अलग जांच करेगी। इस पर साल्वे ने कहा कि सरकार दोनों में अलग-अलग जांच कर रही है। इस पर सीजेआई रमना ने कहा कि अगर कोई एफ़आईआर दर्ज कराता है तो, इसमें जांच की ही जानी चाहिए। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “अब यह कहा जा रहा है कि दो एफ़आईआर दर्ज की गई हैं और एक एफ़आईआर में दर्ज किए गए गवाहों को दूसरी एफ़आईआर में इस्तेमाल किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि ख़ेद के साथ कहना पड़ रहा है कि 220 वाली एफ़आईआऱ में इस तरह सुबूत जुटाए जा रहे हैं कि किसी एक अभियुक्त को बचाया जा सके। दो वकीलों की ओर से दायर याचिका में मांग की गई है कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की समयबद्ध सीबीआई जांच की जानी चाहिए। लखीमपुर खीरी में 4 किसानों सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें बीजेपी के तीन कार्यकर्ता और एक पत्रकार भी शामिल है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाईयों में कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश पुलिस बिना मन के काम कर रही है और वह कार्रवाई नहीं करना चाहती।

मिश्रा की बर्खास्तगी की मांग 

सुप्रीम कोर्ट की फटकार, किसानों और विपक्ष के दबाव के बाद मामले के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था। लेकिन आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की मोदी कैबिनेट से बर्खास्तगी की मांग को लेकर किसान और विपक्ष लगातार आवाज़ उठा रहा है।

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