रणघोष खास. साकिब खान. साभार सत्य
2024 के लोकसभा चुनाव में अब करीब 6 माह ही शेष हैं। ऐसे में सभी राजनैतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। चुनावी तैयारियों के मामले में भाजपा सब से आगे दिख रही है। लोकसभा चुनाव में अपनी 40 सीटों के कारण बिहार का महत्व काफी अधिक है। बिहार फतह करने के लिए भाजपा पिछले करीब 2 वर्ष से जमीनी स्तर पर अभियान चला रही है। इसका असर अब दिखने भी लगा है। बड़ी संख्या में भाजपा ने युवाओं को खुद से जोड़ा है। गांव-गांव में आरएसएस और उससे जुड़े अनुषांगिक संगठनों का विस्तार हो चुका है।
इस विस्तार के लिए धर्म का सहारा सबसे ज्यादा लिया जा रहा है। इसके साथ ही पीएम मोदी के चेहरे और जाति समीकरणों को साध कर भाजपा ने अपना आधार वोट बैंक अब काफी बढ़ा लिया है। आरएसएस और उसके सहयोगी संगठन बिहार में पूरी योजना के साथ लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के लिए काम कर रहे हैं। ये घर-घर जाकर और लोगों से सीधा संपर्क स्थापित कर के उन्हें भाजपा से जोड़ रहे हैं। बिहार के गांव-गांव में सक्रिय ये संगठन जनसंपर्क के लिए जितनी मेहनत कर रहे हैं उसके आसपास भी राजद, जदयू और कांग्रेस जैसी पार्टियां नहीं हैं। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को बिहार में बड़ी जीत मिल सकती है।भले ही नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जाति जनगणना के सहारे या अपने जातीय समीकरणों के सहारे इस उम्मीद में हैं कि बिहार में इंडिया गठबंधन ज्यादातर लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करेगा लेकिन इनके कदमों के नीचे से जमीन खिसकाने के लिए आरएसएस और उसके सहयोगी संगठन लगातार काम कर रहे हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार से बड़ी जीत के लिए भाजपा और आरएसएस किस रणनीति पर काम कर रहे हैं इसको लेकर हमने बिहार के तीन वरिष्ठ पत्रकारों से सवाल पूछे। उन्होंने जो बताया वह इंडिया गठबंधन के लिए चिंता की बात हो सकती है।
हर पंचायत में होगा अष्टजाम, विस्तारकों को दी गई बाइक
वरिष्ठ पत्रकार इंद्रभूषण कहते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए आरएसएस और उससे जुड़े संगठन लगातार काम कर रहे हैं। अभी अयोध्या में मंदिर जो बन रहा है उसको लेकर इन संगठनों को कहा गया है कि हर पंचायत में अगले दो महीने में एक-एक अष्टजाम करने को बोला गया है। एक अष्टजाम में उस गांव या टोले के कम से कम 500-600 लोग जुटते हैं। लगातार 24 घंटे पूजा होती है। इसके जरिए वे जनसंपर्क करेंगे। प्रखंड स्तर पर आरएसएस और भाजपा के बीच कड़ी का काम विस्तारक नाम का पदाधिकारी करता है। हर प्रखंड में एक विस्तारक तैनात है। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर इन्हें इलाके में घूमने के लिए हाल में बाईक दी गई है। इन्हें अपने-अपने प्रखंड में घूम कर फीडबैक देना है कि कहां पर भाजपा कमजोर है। भाजपा को लोकसभा चुनाव में जीत दिलाने के लिए संघ परिवार और इससे जुड़े संगठन काफी मेहनत कर रहे हैं।वहीं महिलाओं के संगठन दुर्गा वाहिनी को निर्देश दिया गया है कि अभी से लेकर अप्रैल तक गांव स्तर पर महिलाओं के बीच पैठ बढ़ाने के लिए शिव पूजा समेत दूसरे धार्मिक आयोजन करने हैं। वे कहते हैं कि सोमनाथ से अयोध्या तक चलने वाली रथ यात्रा में बिहार से भी बड़ी संख्या में लोग जा रहे हैं। उसमें से आकर वे लोग गांव-गांव यह बात फैलाएंगे कि कैसे भाजपा ने संघर्ष कर के अयोध्या में मंदिर बनावाया है। वे कांग्रेस और दूसरी पार्टियों को मंदिर का विरोधी बताएंगे। इसके साथ ही काशी विश्वनाथ में जैसा कॉरिडोर बना है वैसा ही अब मथुरा में बनेगा इसे भी बिहार के गांव-गांव में प्रचारित कर भाजपा यादव मतदाताओं को राजद से तोड़ने की कोशिश कर रही है।बिहार के यादव मतदाताओं को अपनी तरफ करने के लिए ही भाजपा ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को सीएम बनाया है। इसके पीछे मकसद यह है कि जहां-जहां लालू-तेजस्वी या अखिलेश यादव की सभा होगी वहां भाजपा मोहन यादव की सभा कराएगी। इससे वह संदेश देगी कि यादवों की असली हितैषी भाजपा ही है। वह दिखाएंगी कि भाजपा में भी यादवों के पास पावर है।
भाजपा कार्यकर्ताओं से पहले ये पहुंचते हैं लोगों के बीच
हिंदुस्तान अखबार के बिहार में पूर्व राजनैतिक संपादक और वरिष्ठ पत्रकार भोलानाथ कहते हैं कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की काम करने की अपनी एक खास प्रणाली है। उसके लोग भाजपा कार्यकर्ताओं के चुनाव क्षेत्र में जाने से पहले ही पहुंच जाते हैं। वे भाजपा के पक्ष में लोगों को करने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। वे लोगों के बीच जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। वे भाजपा की ब्रांडिंग करते हैं। अभी वे लोगों के बीच जाकर कहते हैं कि नरेंद्र मोदी की सरकार काफी अच्छा काम कर रही है। वे लोगों से अपील करते हैं कि भाजपा और आरएसएस से आप भी जुड़ कर देश और धर्म की सेवा करें। ये लोगों के बीच परोक्ष रूप से रहते हैं। इन्हें लोगों का फीडबैक भी काफी बेहतर तरीके से मिलता है कि इलाके से कौन उम्मीदवार चुनाव जीत सकता है। ये फीडबैक आरएसएस के वरीय अधिकारियों तक पहुंचाते हैं जिसका इस्तेमाल कर भाजपा टिकट बांटती है।अब तो पेड कार्यकर्ता भी जिला प्रभारी के रूप में रखे जा रहे हैं जिन्हें वेतन, भत्ता और हर तरह का सहयोग संगठन की ओर से मिलता है। आरएसएस से जुड़े सभी संगठन बिहार में काफी सक्रिय हैं। इनकी बैठके बंद कमरे में होती है। भोलानाथ कहते हैं कि भाजपा के लिए कई लेयर में जमीनी स्तर पर काम हो रहा है। अयोध्या में राम मंदिर बनने का श्रेय भाजपा को देकर ये संगठन गांव-गांव तक जनसंपर्क करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
नीतीश के आधार वोट बैंक में सेंध लगा रही भाजपा
हिंदुस्तान अखबार पटना में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार और भाजपा के कामकाज पर गहरी नजर रखने वाले आलोक चंद्रा कहते हैं कि भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार से बड़ी जीत हासिल करने के लिए भाजपा अतिपिछड़ा तबके में पैठ बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है। वरिष्ठ पत्रकार आलोक चंद्रा कहते हैं कि, भाजपा नीतीश कुमार के आधार वोट बैंक में से कुशवाहा और धानुक को तोड़ कर अपने में मिलाने की रणनीति पर काम कर रही है। नीतीश कुमार की सबसे बड़ी ताकत अतिपिछड़ा वोट बैंक ही है। भाजपा की रणनीति यह है कि इसमें से अगर वह कुशवाहा और धानुक को तोड़ लेगी तो नीतीश को कमजोर कर सकती है। इसमें वह कुछ हद तक कामयाब होती भी दिख रही है।इस मकसद से उसने दूसरी पार्टी से आए सम्राट चौधरी को राज्य भाजपा का अध्यक्ष बनाया है। उसने तमाम दिग्गज नेताओं को किनारे कर युवा माने जाने वाले सम्राट चौधरी को यह पद दिया है। सम्राट कुशवाहा जाति से आते हैं। उनके जरिए भाजपा कुशवाहा जाति को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है। इसके साथ ही भाजपा ने धानुक जाति के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए शंभू शरण पटेल को राज्यसभा भेजा था। वह इनके जरिए धानुक मतदाताओं को अपने पक्ष में लाना चाहती है। शंभू शरण पटेल भी दूसरी पार्टी से आएं थे। इसके बावजूद उन्हें भाजपा ने राज्यसभा में भेजा है। भाजपा की रणनीति यह भी है कि राजद के यादव और मुस्लिम वोट बैंक का मुकाबला करने के लिए अतिपिछड़ा वर्ग को अपने करीब लाया जाए। वह बिहार में यादवों के खिलाफ अतिपिछड़ा को संगठित करने की भी कोशिश कर रही है।इसे पिछले दिनों बिहार के मुजफ्फरपुर में गृहमंत्री अमित शाह के भाषण से भी समझा जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार सरकार ने जाति गणना में यादव और मुस्लिम की संख्या को बढ़ा कर दिखाया है। ऐसा बयान देकर वह मैसेज देना चाहते थे कि यादवों के खिलाफ अतिपिछड़ी जातियां संगठित हो।
पिछले 2 वर्ष से चल रही लोकसभा चुनाव की तैयारी
आलोक चंद्रा के मुताबिक आरएसएस और उसके अनुषांगिक संगठन लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को जीताने के लिए पिछले करीब 2 वर्ष से बिहार में जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। ये पूरे राज्य में प्रखंड से लेकर गांव-गांव में काम कर रहे हैं। ये एक-एक व्यक्ति जो भाजपा का संभावित मतदाता हो सकता है उससे मिलकर भाजपा और आरएसएस की विचारधारा से उसे जोड़ने का काम कर रहे हैं। बिहार में आरएसएस से जुड़े करीब दो दर्जन संगठन अलग-अलग स्तर पर लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के लिए काम कर रहे हैं। वे कहते हैं कि ये संगठन वन टू वन लोगों से संपर्क कर रहे हैं।