संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा दिये कार्यक्रम को पहनाएंगे अमलीजामा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोकसभा में दिया गया भाषण झूठ के पुलिंदे के सिवाए कुछ नहीं है। यह बात अनेक वक्ताओं ने कितलाना टोल पर चल रहे किसानों के अनिश्चित कालीन धरने को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सदन में कहा कि सती प्रथा, बाल विवाह, तीन तलाक पर कानून बनाने की किसी ने मांग नहीं की थी। नरेंद्र मोदी को अपनी यादाश्त की जांच करवानी चाहिए। वो भूल गए कि सती प्रथा रोकने के लिए राजा राम मोहन राय ने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी थी वहीं बाल विवाह रोकथाम के लिए आर्य समाज के साथ अनेक महिला संगठनों ने संघर्ष किया था। मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक पर रोक के लिए लंबी जिद्दोजहद की है। प्रधानमंत्री को शायद आंदोलन के नाम से ही चिढ़ है तभी हर रोज कोई ना कोई कटाक्ष करते रहते हैं। कितलाना टोल पर संयुक्त अध्यक्ष मंडल की बैठक में नरसिंह डीपीई, बिजेंद्र बेरला, गंगाराम श्योराण, मास्टर राज सिंह, राकेश आर्य, रणधीर कुंगड़, सुभाष यादव, रत्तन जिंदल, दिलबाग ग्रेवाल, राजेश झोझूकलां के साथ राजू मान, कमल प्रधान, कृष्णा छपार शामिल हुए और सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 18 फरवरी तक के जो कार्यक्रम घोषित किये गए हैं उनका पूरा अनुसरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 14 फरवरी को पुलवामा हमले में शहीद जवानों के बलिदान की याद में कैंडल मार्च व मशाल जुलूस निकालकर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसके बाद चौधरी छोटूराम की जंयती पर 16 फरवरी को किसान बड़ी संख्या में जुटेंगे। उन्होंने कहा कि 18 फरवरी को भिवानी और दादरी में दोपहर 12 से 4 बजे तक रेल रोकी जाएगी। हरियाणा राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक सेवानिवृत्त कर्मचारी वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान महिपाल सिंह सांगवान और सचिव प्रह्लाद सिंह ने कितलाना टोल पर धरने का समर्थन देते हुए कहा कि किसानों की मांगें हर तरह से जायज हैं और इस संघर्ष में डटकर साथ देंगे। धरने का मंच संचालन कामरेड ओमप्रकाश और रणधीर घिकाड़ा ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर राजेन्द्र डोहकी, कृष्ण फौगाट, बलवान सिंह पार्षद, दिलबाग ढुल, राजबीर बोहरा, बलबीर बजाड़, रामफल देशवाल, सुरेंद्र घिकाड़ा, राजेंद्र फौजी, बीरमति, निर्मला, सुनिता, अजित सिंह फौजी, जगराम, मास्टर ओमप्रकाश, दिलबाग गोपी, राकेश पैंतावास, पूर्व सरपंच समुन्द्र सिंह, रामू इत्यादि मौजूद थे।