संकट में भी नोंचते मानवता को गिद्ध, कोरोना के दौर में पुनः हुआ यह सिद्ध
भावों में लालित्य हो, भाषा में हो माधुरी, श्रेष्ठ तभी साहित्य हो। यह कहना है वरिष्ठ साहित्यकार तथा विख्यात दोहाकार डॉ रामनिवास ‘मानव‘ का। सफर कलम से, भिवानी (हरि) की प्रथम वर्षगांठ पर आयोजित वर्चुअल राष्ट्रीय कवि–गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कविता में कथ्य और शिल्प के समन्वय पर बल देते हुए कहा कि जीवन और समाज से जुड़कर ही कविता महान बनती है। अपने दोहों के माध्यम से कोरोना की विभीषिका का वर्णन करते हुए उन्होंने महामारी के दौर में भी जनता का शोषण करने वाले लोगों पर कटाक्ष किया– संकट में भी नोंचते मानवता को गिद्ध। कोरोना के दौर में पुनः हुआ यह सिद्ध। राष्ट्रीय रक्षा अनुसंधान कांग्रेस, हिसार (हरियाणा) के उपाध्यक्ष तथा पूर्व प्राचार्य डॉ एस के मिश्रा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि सफर कलम से का एक वर्ष का सफर बहुत ही उपलब्धिपूर्ण रहा है, जिसके लिए संस्था के सभी सदस्य और पदाधिकारी बधाई के पात्र हैं। कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था के अध्यक्ष विकास कायत ने संस्था की एक वर्ष की उपलब्धियों का लेखा–जोखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि संस्था द्वारा पूरे वर्ष साप्ताहिक कवि–गोष्ठियां, राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय कवि–सम्मेलन, साक्षात्कार तथा युवाओं और महिलाओं के विकास हेतु विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें भारत, अमेरिका, कनाडा, मारीशस और तंजानिया सहित पांच देशों की सत्तर से अधिक विशिष्ट विभूतियों ने सहभागिता की। सोनाली सेन द्वारा प्रस्तुत सरस्वती–वंदना के उपरांत युवा कवि विकास कायत के संचालन में संपन्न हुई इस कवि–गोष्ठी का मुख्य आकर्षण रहे भिवानी (हरियाणा) के विशिष्ट अतिथि कवि–गीतकार डॉ रमाकांत शर्मा। उन्होंने कोरोना संबंधी दोहों के अतिरिक्त अपना ‘प्रकृति–वंदना‘ गीत भी प्रस्तुत किया, जिसकी निम्नलिखित पंक्तियों को भरपूर सराहना मिली– फूल, पौधे, वनस्पतियां, शैल, निर्झर। प्रकृति मेरी प्रार्थना स्वीकार करना। हम नमन करते तुम्हारी रश्मियों को, सूर्य मेरी वंदना स्वीकार करना। पूर्णतया नवोदित कवियों–कवयित्रियों को समर्पित तथा लगभग दो घंटों तक चली इस कवि–गोष्ठी में पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) के ललित पांडेय, मुजफ्फरपुर (उत्तर प्रदेश) की अनुष्का त्यागी, सागर (मध्य प्रदेश) की सोनाली सेन तथा हरियाणा से यमुनानगर की पर्व पाल, पानीपत की ऋतु धौंचक, भिवानी के विकास कायत, दादरी के साहिल कौशल्य, रोहतक की मीनू सिंघल, सिवानी मंडी के रवींद्र कुमार तथा बहल की समित भालोठिया और आदित्य सिंह ने काव्य–पाठ किया। ललित पांडेय, अनुष्का त्यागी और सोनाली सेन की कविताओं को विशेष रूप से सराहा गया।