शिक्षक भर्ती परीक्षा में जाति आधारित प्रश्न के मामले में केस दर्ज करने का निर्देश

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा प्राथमिक शिक्षक परीक्षा में 13 अक्टूबर, 2018 के प्रश्न पत्र में जाति आधारित अपमानजनक शब्दों को शामिल किया गया था और अगले वर्ष 18 अगस्त, 2019 के प्रश्न पत्र में फिर से यह दोहराया गया.


दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) द्वारा प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में कथित रूप से जाति आधारित प्रश्न पूछे जाने के मामले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत संबंधित प्राधिकरण को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंदर बेदी ने कहा कि प्रथम दृष्टया 2018 और 2019 के प्रश्न पत्रों में कथित शब्दों ने डीएसएसएसबी द्वारा किए गए विभिन्न संज्ञेय अपराधों का खुलासा किया। कोर्ट ने अधिनियम के तहत सक्षम अधिकारी से मामले में जांच कराने और अदालत के समक्ष मासिक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। शिकायतकर्ता ने बताया, ‘मैंने देखा कि 13 अक्टूबर, 2018 के प्रश्न पत्र में जाति आधारित अपमानजनक शब्दों को शामिल किया गया था और अगले वर्ष 18 अगस्त, 2019 के प्रश्न पत्र में फिर से यह दोहराया गया। न्यायाधीश ने 17 फरवरी को पारित अपने आदेश में कहा, ‘प्रथम दृष्टया 2018 और 2019 के प्रश्न पत्रों में कथित शब्दों का शिकायतकर्ता द्वारा प्रतिवादी/डीएसएसएसबी द्वारा किए गए विभिन्न संज्ञेय अपराधों का खुलासा किया गया है और इनकी जांच की आवश्यकता है। अदालत के निर्देश अधिवक्ता सत्यप्रकाश गौतम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए गए, जिसमें डीएसएसएसबी अध्यक्ष और परीक्षा समिति के दोषी अधिकारियों के खिलाफ अधिनियम के तहत कार्रवाई की मांग की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि डीएसएसएसबी द्वारा 13 अक्टूबर 2018 को आयोजित परीक्षा में जाति आधारित प्रश्न पूछा गया था। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, न्यायाधीश ने कहा कि बोर्ड ने उनका ध्यान भटका कर सितंबर 2019 में दायर जांच अधिकारी द्वारा विस्तृत रिपोर्ट और अदालत के बार-बार आदेश के बावजूद प्रश्न पत्र के जानकारी को छुपाने का प्रयास किया। अदालत ने कहा, ‘डीएसएसएसबी की प्रतिक्रिया सुनवाई के दौरान दायर की गई थी कि डीएसएसएसबी के पास पेपर सेटिंग या पुनरीक्षण के लिए इन-हाउस सुविधा नहीं थी, यह एक अत्यधिक गोपनीय प्रक्रिया है, जहां पेपर की सामग्री किसी के साथ साझा नहीं की जाती है। अदालत ने पहले पुलिस को दो पेपर सेटरों की पहचान नहीं करने पर फटकारा था, जिन्होंने कथित तौर पर परीक्षा में जाति-आधारित प्रश्न रखा था और कहा था कि यह बहुत ही निराशाजनक है। उन्होंने कहा, ‘यह अदालत इस तथ्य से निराश है कि शिकायत नवंबर, 2018 से लंबित है और एसीपी (सहायक पुलिस आयुक्त)/अधिकारी इसे लेकर असंवेदशील बने रहे और उन्होंने 13 अक्टूबर 2018 को हुई डीएसएसएसबी की शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए पेपर बनाने वालों के नाम/पदनाम की पहचान करने का भी कोई प्रयास नहीं किया। अदालत ने डीएसएसएसबी के अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वह इसके लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में बताए और अदालत में जमा हुए कागजों पर विवरण प्रस्तुत करे.

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