रणघोष खास. यूपी से
शिक्षा के मंदिर में अब हेरा फेरी का जाल इतना फैल चुका है कि समझ में नहीं आता कि बेहतर बदलाव को दिशा देने वाली शिक्षा खुद सरकारी सिस्टम में अपने भरोसे एवं गरिमा की लड़ाई लड़ रही है। यूपी से शिक्षा से जुड़ा एक ओर बड़ा मामला सामने आया है। पहले फर्जी कागज़ से नौकरी का मामला शांत नहीं हुआ कि अब कागज़ पर शिक्षक तो दिख रहे है पर उनका कुछ हिसाब और रिकार्ड नही मिल रहा है।बेसिक विभाग मे 18110 का तो कोई डेटा ही अवेलबल नहीं है,और ये कर्मचारी,शिक्षक कहां हैं, कहां काम कर रहे हैं, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में टीचिंग और नॉन टीचिंग सभी मिलाकर 643055 कर्मचारी हैं और विभाग ने इन सभी शिक्षकों और कर्मचारियों का डेटा विभाग के मानव सम्पदा पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दे रखा है, विभाग के इसी निर्देश के तहत जब सभी कर्मचारियों का डेटा मानव सम्पदा पोर्टल पर अपलोड किया जाने लगा तो पता चला कि 6 लाख 43 हज़ार 55 कर्मचारियों में से 18110 का तो कोई डेटा ही अवेलबल नहीं है, और ये कर्मचारी कहां हैं, कहां काम कर रहे हैं, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है।
इस खुलासे के बाद विभाग में हड़कंप मच गया। विभाग के आला अधिकारी सर्वेन्द्र विक्रम सिंह, निदेशक, बेसिक शिक्षा ने सभी जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को ये आदेश जारी किया है,कि इन 18110 शिक्षकों और कर्मचारियों का डेटा भी 17 दिसम्बर से पहले ह्यूमन रिसोर्स पोर्टल पर अपलोड करें, नहीं तो इस पूरे मामले की जांच stf से कराई जाएगी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी होगी। सर्वेन्द्र विक्रम सिंह ने स्वीकार किया कि इस बात की भी आशंका से इनकार नहीं किया कि गायब 18110 कर्मचारियों में से कई फर्जी भी हो सकते हैं, जो बिना काम की सैलरी ले रहे होंगे,इसी लिए सभी कर्मचारियों का डेटा पोर्टल पर डालने की डेडलाइन तय की गई है, और अगर ऐसा नहीं होता है तो हम सरकार से इसकी जांच stf के माध्यम से कराने की सिफारिश भी करेंगे.