रूबी ओझा की कलम से (लेखिका केंद्रीय विद्यालय में शिक्षिका है)
मानव संसाधन मंत्रालय जो अब शिक्षा मंत्रालय हो गया है ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने की घोषणा कर दी है। निश्चित रूप से हमें 21वीं शताब्दी में एक नई शिक्षा नीति की शिद्दत से जरूरत थी और अंततः 20 वर्ष बीत जाने के बाद यह आई, पर कहते हैं देर आए दुरुस्त आए। किंतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में कुछ अहम चुनौतियां हैं जिनको तुरंत ही हमें हल करना पड़ेगा। नई शिक्षा नीति में लर्निंगआउटकम की बात तो की कही गई है पर उसको सुधारने के लिए जरूरी कदम कैसे उठाएं जायें इसका वर्णन कहीं पर भी नहीं है। राजकीय विद्यालयों में अकाउंटेबिलिटी का नितांत अभाव है, किस तरह से इस को सुधारा जा सकता है? इसका कहीं भी वर्णन नहीं है। शिक्षा को रोजगार परक बनाने की बात तो कही गई है पर लाखों अध्यापक जो आज काम कर रहे हैं वे कितने साल में नई शिक्षा नीति को लागू करने के योग्य बना दिए जाएंगे? नई शिक्षा नीति में व्यावसायिक शिक्षा पर बहुत जोर दिया गया है पर क्या हमारे विद्यालयों में उसके लिए पर्याप्त संसाधन है ? और नहीं है तो कितना समय लगेगा उसको विकसित करने में? इसका कोई जिक्र नहीं है। हमारे देश में प्रशिक्षित शिक्षकों का नितांत अभाव है जो संस्थान शिक्षकों को प्रशिक्षित करते हैं उनकी गुणवत्ता पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है। किस तरह से हम उसको सुधार सकते हैं इसका कोई वर्णन नहीं है। पर मैं यह जरूर कहूंगी कि चुनौतियां है तो संभावनाएं भी अपार है। अगर हम फिर से भारत को विश्व पटल पर सबसे ऊपर देखना चाहते हैं तो हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कुछ बदलाव के साथ उसे तुरंत लागू करना पड़ेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में न्यूमर्सी एंड लिटरेसी पर जोर दिया गया है और इसको कक्षा तीन तक प्राप्त करने पर जोर हैं। अगर हम इसमें कामयाब हो जाते हैं तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि जब नींव मजबूत होगी तो इमारत में भी मजबूती आएगी। इस शिक्षा नीति मेंशिक्षा केहब बनाने की बात है, खासकर पिछड़े इलाकों में। अगर हम इसमें कामयाब होते हैं तो निश्चित रूप से यह कदम हमें तरक्की की नई बुलंदियों को तक ले जाएगा। नेशनल अचीवमेंटसर्वे और स्टेट अचीवमेंटसर्वेलर्निंगगेप्स को कम करने में मदद करेगा, वहीं कला और विज्ञान का संगम और विद्यार्थी को अपने पसंद के ज्यादा चॉइस मिलने पर रिसर्च के नए द्वार भी खुलेंगे। अंत में मैं यही कहूंगी अगर इमानदारी से कुछ और सुधारों के साथ नई शिक्षा नीति 2020 को लागू कर दिया जाता है तो अगले 20 वर्षों में विश्व पटल पर एक नया आयाम लिखे जा सकता है।