गांव मनेठी के सरपंच श्योताज सिंह को निलंबित करने की कार्रवाई अलग ही तस्वीर पेश कर रही है। श्योताज सिंह ने कहा कि वे हैरान है कि इस पूरे मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और उन पर यह कार्रवाई कर दी गईं। हाईकोर्ट में यह केस विचाराधीन है जिस पर 10 मई को सुनवाई होनी है। यहां बता दें कि श्योताज सिंह एम्स संघर्ष समिति के प्रधान भी है।
श्योताज सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायत मनेठी के अंतर्गत आने वाली लाइन पार ढाणी में गंदे पानी की निकासी को लेकर जो भी कार्रवाई की है वह मौके पर ज्येा की त्यो है। नए सिरे से इसकी जांच होनी चाहिए। अधिकारी मौके पर जाकर ग्रामीणों से बातचीत करें सबकुछ शीशे की तरह साफ हो जाएगा। उन्हें तो बलि का बकरा बना दिया गया है। श्योताज सिंह ने बताया कि ढाणी में बसावट से लेकर आज तक गंदे पानी की निकासी की सबसे बड़ी समस्या थी। वहां के ग्रामीणों ने मीटिंग कर उन्हें बुलाया। उन्होंने प्रस्ताव पास कर पंचायत की सीमा तक पानी की निकासी के लिए पाइप बिछा दिए। इस ढाणी में मास्टर श्यामलाल के घर के पास जाकर पंचायत की सीमा खत्म हो जाती है।
हमने ग्रामीणों से कहा कि अब इसके आगे का कार्य उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इसके बाद ग्रामीणों ने राशि एकत्र कर अपने स्तर पर पाइप लाइन बिछा दी। इस कार्य के लिए श्यामलाल परिवार को एतराज था। इसलिए वे हाईकोर्ट में चले गए। कोर्ट में 75 प्रतिशत ग्रामीणों ने शपथ पत्र दिया हुआ है कि निजी जमीन में पाइप उन्होंने बिछाए हैं। इसमें सरपंच की कोई भूमिका नहीं। इसी दौरान प्रशासन की तरफ से बीडीपीओ और डीडीपीओ भी मौके पर आए। अधिकारियों ने कहा कि सरपंच इन पाइप लाइनों को हटवा दे। जिस पर उन्होंने कहा कि यह उनके दायरे में नहीं आता कि किसी निजी जमीन से पाइप हटवा दे। इस विवाद को लेकर 4 फरवरी को कोर्ट में तारीख थी जिस पर अगली सुनवाई के लिए 10 मई रख दी। 5 फरवरी को डीसी ने इसकी जांच एसडीएम को सौंप दी। एक घंटे बाद ही उनके सस्पेंड के आदेश जारी कर दिए।
यह समझ में नहीं आया कि एक ही घंटे में जांच भी हो गई और उन्हें इसके लिए दोषी भी मान लिया। श्योताज सिंह ने कहा कि वे इस पूरे मामले की नए सिरे से जांच कराने के लिए तैयार है। मौके पर स्थिति यथावत है। उन्हें गलत तरीके से इस मामले में बलि का बकरा बनाया गया है।