रणघोष अपडेट. देशभर से
दिल्ली पुलिस ने कहा कि संसद के अंदर-बाहर हुए प्रदर्शन और सुरक्षा भेदने की पूरी योजना का आनन-फानन में जांच करके खुलासा कर दिया है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक छह लोगों ने महीनों तक अच्छी तरह से सावधानीपूर्वक आपस में मिलकर इसकी योजना बनाई थी। पांच आरोपी अब पुलिस हिरासत में हैं। पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने पुलिस को बताया कि संसद की सुरक्षा भेदने का मुख्य उद्देश्य विभिन्न मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना था। एनडीटीवी के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि पांचों आरोपियों ने पुलिस को बताया है कि वे बेरोजगारी, किसानों की परेशानी और मणिपुर हिंसा जैसे मुद्दों से परेशान थे। उनका कहना है कि उन्होंने ध्यान आकर्षित करने के लिए रंगीन धुएं (पीली गैस) का इस्तेमाल किया ताकि सांसद इन मुद्दों पर चर्चा कर सकें।पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की अब तक की जांच में पता चला है कि सभी आरोपी भगत सिंह फैन क्लब नाम के सोशल मीडिया ग्रुप से जुड़े हुए थे।एक पुलिस अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा- “उनकी विचारधारा एक जैसी थी। इसलिए उन्होंने सरकार को संदेश देने का फैसला किया। सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या उन्हें किसी ने या किसी संगठन ने निर्देश दिया था।”बुधवार दोपहर को, जब लोकसभा में शून्यकाल चल रहा था, सागर शर्मा विजिटर गैलरी से बाहर निकलकर सदन में कूद पड़े। उन्होंने पीले रंग का धुंआ निकाला और लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने की कोशिश में एक डेस्क से दूसरे डेस्क पर छलांग लगा दी। सांसदों ने सागर पर काबू पा लिया और पकड़ लिया, जिनमें से कई ने उनकी पिटाई भी की। सागर के साथी मनोरंजन गैलरी में खड़े रहे, शायद ध्यान भटकाने के लिए उन्होंने भी धुएं का डिब्बा खोल लिया था।उनके दो साथी संसद के बाहर भी इसी तरह का पीला धुआं छोड़ते पाए गए। उन्होंने फौरन ही मीडिया को अपनी पहचान बता दी। उनके नाम नीलम और अमोल शिंदे थे। नीलम हरियाणा के हिसार की रहने वाली हैं। अमोल शिंदे महाराष्ट्र के लातूर के रहने वाले हैं। पुलिस ने उन्हें फौरन पकड़ लिया। उनके पकड़े जाने के समय ही इस प्रदर्शन का मकसद साफ हो गया था। लेकिन पुलिस ने बाद में जब पांचों से पूछताछ की तो सभी ने एक जैसा मकसद बताया। पुलिस कर्मी जब उन्हें पकड़ कर ले जा रहे थे तो एक प्रदर्शनकारी ने वहां पत्रकारों से कहा, “हम किसी संगठन से नहीं जुड़े हैं। हम छात्र हैं और बेरोजगार हैं। हमारे माता-पिता मजदूर और किसान के रूप में काम करते हैं और कुछ छोटे दुकानदार हैं। यह एक प्रयास है अपनी बात पहुंचाने का। हमारी आवाज दबाई जा रही है।” पुलिस ने बाद में गुड़गांव, हिसार, जीन्द और लखनऊ में आरोपियों के घर जाकर छानबीन की। सागर शर्मा लखनऊ के रहने वाले हैं। पुलिस वहां भी पहुंची। इस सारे मामले में अभी तक गिरफ्तार लोगों के नाम हैं- सागर शर्मा, डी. मनोरंजन, नीलम देवी, अमोल शिंदे, विकी शर्मा और ललित झा। विकी शर्मा और उनकी पत्नी ने गुड़गांव में अपने घर में इन्हें रुकने में मदद दी थी। विकी शर्मा की पत्नी भी हिरासत में हैं। गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के अलावा, आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप लगाए गए हैं। सभी को गुरुवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। ये चार मुख्य आरोपी सागर शर्मा, डी. मनोरंजन, नीलम देवी और अमोल शिंदे हैं।
कहां मिले थे सभी
आरोपी करीब डेढ़ साल पहले मैसूर में मिले और योजना को आगे बढ़ाने पर चर्चा की। एक और बैठक लगभग नौ महीने पहले चंडीगढ़ हवाई अड्डे के पास किसानों के विरोध प्रदर्शन में हुई थी।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि सागर शर्मा इसी जुलाई में लखनऊ से दिल्ली आए थे। उस यात्रा के दौरान, वह संसद में प्रवेश नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने बाहर से ही इसकी निगरानी की और सुरक्षा जांच को ध्यान से देखा। बुधवार की योजना को अंजाम देने के लिए आरोपी इस रविवार को दिल्ली पहुंचे। वे गुड़गांव में विक्की के घर पर रुके।यह भी पता चला है कि अमोल शिंदे धुआं फैलाने वाले डिब्बे महाराष्ट्र में अपने शहर लातूर से लाए थे। बुधवार को इंडिया गेट पर एक बैठक के दौरान समूह के सदस्यों ने आपस में धुएं वाले डिब्बे को आपस में बांटा।
पुलिस सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि सभी छह आरोपी संसद के अंदर जाना चाहते थे, लेकिन सिर्फ सागर शर्मा और डी. मनोरंजन ही पास पाने में कामयाब रहे। दोनों बुधवार दोपहर में संसद में दाखिल हुए थे। चारों लोग अपनी-अपनी योजना में सफल रहे। लोकसभा में चौंकाने वाला नजारा देखने को मिला जब सागर शर्मा दर्शक दीर्घा से कूदकर सदन में आ गए। उन्होंने सबस पहले पीला धुएं वाला डिब्बा खोला और एक डेस्क से दूसरे डेस्क पर कूदते चले गए। जैसे ही सांसद उन पर हावी हुए, डी. मनोरंजन ने दूसरा धुएं का डिब्बा खोल दिया। वह भी जल्द ही पकड़ लिए गए। उधर नीलम और अमोल ने बाहर पीला धुआं छोड़ा और “तानाशाही नहीं चलेगी”, मणिपुर की महिलाओं पर अत्याचार बंद करो, किसानों-मजदूरों पर अत्याचार बंद करो जैसे नारे लगाए। बहरहाल, दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर सेल सभी आरोपियों से पूछताछ कर रही है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सांसदों को उनकी सुरक्षा के बारे में आश्वस्त किया है और कहा है कि गहन जांच की जाएगी। 2001 के संसद हमले की बरसी पर यह बड़ा सुरक्षा उल्लंघन हुआ। आरोपियों पर लगाए गए आईपीसी के आरोपों में आपराधिक साजिश, दुश्मनी को बढ़ावा देना और लोक सेवक को कर्तव्य निभाने से रोकने के लिए बल का इस्तेमाल करना शामिल है।