संसद में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिये भाषण की चहुंओर आलोचना, इसे बताया किसान और जवान का अपमान

रोषस्वरूप किसानों ने फूंका प्रधानमंत्री मोदी का पुतला, परिधानजीवी की दी संज्ञा


 संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनी मांगों को लेकर 75 दिन से धरने पर बैठे किसानों को आंदोलनजीवी कहने पर किसानों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। आज कितलाना टोल के अनिश्चित कालीन धरने पर गुस्से से भरे किसानों ने मोदी के वक्तव्य की आलोचना करते हुए इसे किसान और जवान अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि मोदी का यह आचरण अहंकार की पराकाष्ठा है। धरनारत किसानों ने प्रधानमंत्री को परिधानजीवी की संज्ञा देते हुए रोषस्वरूप उनका  पुतला जलाया।

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   वक्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भूल रहे हैं कि देश को आजादी आंदोलनकारियों ने ही दिलाई थी। आज देश के नागरिक जिस खुली हवा में सांस ले रहे हैं ये भी उन्हीं की देन है। प्रधानमंत्री ने संसद में जो भाषण दिया उससे किसान ही नहीं उसके जवान बेटे जो देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं उनका भी अपमान हुआ है। प्रधानमंत्री को अविलंब इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी ने भाषण में जिस व्यंगात्मक शैली का प्रयोग किया वह प्रधानमंत्री पद की गरिमा को तार तार करने वाली है। 

                 इस मौके पर दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान  ने कहा कि किसान आंदोलन को भाजपा जाति, धर्म या क्षेत्र के हिसाब से बांटने का षड्यंत्र रच रही थी जब वह कामयाब नहीं हुआ तो प्रधानमंत्री मोदी मैदान में आये। उन्होंने किसानों में फूट डालने के लिए कहा कि तीन कृषि कानूनों का छोटे किसानों को फायदा होगा। हकीकत यह है कि नोटबन्दी के वक्त भी प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि गरीब को फायदा होगा और धनवान को नुकसान होगा लेकिन हुआ उलटा ही। यही अब होने जा रहा है सरकार गरीबी को नहीं गरीब को ही मिटाने पर आमादा है।

                  कितलाना टोल पर चल रहे धरने के 47वें दिन नरसिंह डीपीई, बिजेंद्र बेरला, धर्मपाल महराणा, रणधीर कुंगड़, सज्जन कुमार सिंगला, सुभाष यादव, महेंद्र पंच कितलाना ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। मंच संचालन कामरेड ओमप्रकाश और रणधीर घिकाड़ा ने किया। आज भी टोल फ्री रहा।

                 इस अवसर पर राजू मान, बलबीर बजाड़, कमल प्रधान, दिलबाग ग्रेवाल, बीरमति, पूर्व सरपंच नरेंद्र फतेहगढ़, पूर्व सरपंच समुन्द्र सिंह, सूबेदार सत्यवीर, रत्तन सिंह घिकाड़ा, राजेश पहलादगढ़, जमात अली, राजबीर बोहरा, मेहर सिंह धनाना, मास्टर विजयपाल, दिलबाग ढुल, जागेराम बोहरा, नरदेव अटेला, राजबीर गौरीपुर, रणधीर अटेला, सरोज श्योराण इत्यादि मौजूद थे।

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