रणघोष अपडेट. नई दिल्ली
दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी ललित झा को लेकर चकराए हुए हैं। ऐसा व्यक्ति जो “शांति” के समाधान के रूप में “युद्ध” की वकालत करते हुए सोशल मीडिया पर क्रांतिकारी पोस्ट करता था। जबकि कोलकाता के जिस मोहल्ले में रहता था, वहां उसकी पहचान एक मृदुभाषी ट्यूटर के रूप में थी। कथित मास्टरमाइंड ललित झा (37) का व्यक्तित्व संसद सुरक्षा सेंध ते विरोधाभासों में एक है।इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के दरभंगा जिले के मूल निवासी झा (37), जो लगभग दो दशकों से कोलकाता में रह रहे हैं, ने 24 नवंबर को एक इंस्टाग्राम पोस्ट में एक कम प्रसिद्ध कवि, बिक्रम सिंह ‘नारायण’ का दोहा लिखा, “परम प्रिय रखिये शांति को ही, मगर युद्ध से रखिए नहीं गुरेज; वो उतना कुचला जाता है इस देश में, जो जितना अधिक करता है परहेज़।”ललित ने 5 नवंबर को एक पोस्ट में लिखा, “रोजी रोटी हक की बातें जो भी मुंह पे लाएगा, कोई भी हो निश्चय ही वो कम्युनिस्ट कहलाएगा।” झा ने 1 नवंबर को अपने इंस्टाग्राम पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीरों के साथ एक और पोस्ट डाली, जिसमें लिखा था, “एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है। लेकिन वह विचार उनकी मृत्यु के बाद हज़ारों जिंदगियों में पैदा होगा।”अपने प्रोफ़ाइल चित्र के रूप में स्वामी विवेकानन्द की तस्वीर के साथ, ललित झा ने 26 अक्टूबर को लिखा, “भारत ए आज चाय बोमा, ओत्ताचार ओबिचर, अन्या एर बिरुद्दगे तिब्रो धोनी (भारत को बम की जरूरत है, उत्पीड़न के खिलाफ एक ऊंची आवाज।” साथ ही उन्होंने 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस और स्वतंत्रता सेनानी जतींद्रनाथ मुखर्जी (बाघा जतिन) का जन्मदिन भी मनाया।दो दिन पहले अपलोड की गई उनकी आखिरी पोस्ट संसद में सुरक्षा उल्लंघन का एक वीडियो था जिसमें उनके साथ नारे लगा रहे थे।इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ललित झा को लेकर कोलकाता में बड़ाबाजार इलाके में उनके पड़ोसी हैरान हैं। ललित वहां पिछले साल तक किराए के मकान में रहते थे। 37 वर्षीय झा बागुईआटी में किराए पर अपने पिता देबानंद झा, जो एक पुरोहित हैं, मां और छोटे भाई सोनू के साथ रहते थे। ललित के बड़े भाई शंभू झा शादीशुदा हैं और परिवार से अलग रहते हैं। ट्यूशन पढ़ाने के कारण स्थानीय ललित को “मास्टरजी” के नाम से जानते थे। लोगों ने उन्हें मृदुभाषी व्यक्ति के रूप में बताया और कहा कि इलाके में सभी प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेते थे।ललित ने 10 दिसंबर को अपनी मकान मालकिन शेफाली सरदार को बताया था कि उनका परिवार कुछ महीनों के लिए बिहार में अपने पैतृक गांव जा रहा है, लेकिन वह कोलकाता में ही रहेंगे। उस शाम वह यह कहकर घर से निकले कि उन्हें दिल्ली में कुछ जरूरी काम है और वह कुछ दिनों में वापस आ जाएंगे। बागुईआटी में ललित की पड़ोसी मोनिका डे ने कहा, “वे सभी लोग सज्जन व्यक्ति हैं। हमने ललित को कभी किसी बुरे व्यवहार में लिप्त नहीं देखा। लेकिन जब हमने टीवी पर उनकी तस्वीरें देखीं तो चौंक गए। पुलिस हमारा बयान दर्ज करने के लिए यहां आई थी।”