समझदार हुई तो माता-पिता को संघर्ष करते ही देखा, इस लेख ने तो जीवन के मायने बता दिए

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राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बावल की छात्राएं बता रही हैं


WhatsApp Image 2021-04-13 at 7.14.07 AMरणघोष खास. नचिता की कलम से


मेरा नाम नचिता है। पिता का नाम बिजेंद्र कुमार एवं मम्मी का नाम अंजू देवी है। हम दो बहन एक भाई है।  सभी के जीवन में किसी ना किसी रूप में कोई ना कोई चुनौतियां रहती है। मेरे मम्मी- पापा अपने जीवन चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़े हैं। समझदार हुई तो उनके संघर्ष को अपनी आंखों के सामने देखा तो बाकी स्कूल से मिली प्रेरणा से लेख लिखते समय महसूस कर लिया। मेरे मम्मी- पापा की कहानी भी मेरी सहेलियों के मम्मी- पापा की तरह संघर्ष के रास्ते से गुजर रही है। हमें बेटों से ज्यादा प्यार मिला। इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। वे बचपन से लेकर आज तक आर्थिक हालातों से लड़ते आ रहे हैं। मैने उन्हें कभी आराम करते हुए नहीं देखा। बाते बहुत है पर शायद कभी कह नहीं पाऊंगी, मेरे माता-पिता के बिना कभी नहीं रह पाऊंगी। पापा का प्यार अनूठा है। जब प्यार जताना हो तो कुछ ना कुछ खाने की चीजें ले आते हैं। उनके कदम से कदम मिलाकर चलना चाहती हूं, मै उनकी जिंदगी को जन्नत बनाना चाहती हूं। 

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