साइबर जालसाजी से बचने के लिए इस लेख को जरूर पढ़े

 फिशिंग अटैक अलर्टनिधि राजदान से अटेली के राजपाल की अपनी कहानी..


WhatsApp Image 2021-01-22 at 8.09.43 AMरणघोष खास. प्रो. राजपाल


 आज के आधुनिक संसार में एक तरफ तेजी से डिजिटलाइजेशन को अत्यधिक संभव प्रयासों से बढ़ाया जा रहा है और दूसरी तरफ साइबर अपराध का आकार बेहिसाब बढ़ रहा है इस अपराध का प्रारूप एवं प्रक्रिया अत्यंत जटिल है। अपराधी अदृश्य है। सर्वप्रथम सोशल मीडिया को साइबर अपराध के लिए सबसे कमजोर कड़ी माना गया जिसको तोड़कर व्यक्ति विशेष की निजी जानकारी हासिल करना बेहद आसान समझा गया। वर्तमान में समुचित इलेक्ट्रॉनिक संचार इसकी मजबूत गिरफ्त में है।

आइए जाने फिशिंग अटैक क्या है


 फिशिंग अटैक या फिशिंग आक्रमण की संकल्पना मत्स्य ग्रहण के व्यवसाय से संबंध रखती है। मत्स्य ग्रहण में जिस प्रकार एक मछली को कांटे पर लगे चारे के लालच में डालकर कांटे में फंसाया जाता है। ठीक उसी प्रकार हैकर्स जाली वेबसाइट वह ईमेल के जरिए यूजर्स को अपने चंगुल में फंसाते हैं। नौकरी पैसा एवं विभिन्न प्रकार के लालच के माध्यम से यूजर्स की आधारभूत एवं विश्वसनीय जानकारी को हासिल कर यह अपराधी अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं।

अति संवेदनशील शिकार कौन


अपने वृहत एवं कुटिल प्रयास की वजह से फिशिंग अटैक का दायरा बहुत विस्तृत हो गया है। सर्वप्रथम महानगरों में रहने वाले साधन संपन्न लोग इसका शिकार हुआ करते थे फिर सोशल मीडिया से इस मंडी का आकार बड़ा और अब इसकी क्षेत्र क्षमता अपनी प्रकाष्ठा की तरफ है।  अब भले चाहे आप संवेदनशील व्यवहार के धनी हो चाहे पढ़े लिखे हो चाहे आप सोशल मीडिया यूजर्स भी ना हो तो भी आप फिशिंग अटैक के अति संवेदनशील एवं संभावित शिकार हो सकते हैं। इस विचार की प्रासंगिकता के प्रमाण के उद्देश्य से निधि राजदान फिशिंग अटैक केस को समझना काफी रुचिकर एवं आवश्यक है। इस केस में शिकार एक 21 वर्ष का अनुभव रखने वाली प्रसिद्ध पत्रकार है दूसरा हैकर्स ने जिस संस्था का मुखौटा पहनकर शिकार किया वह विश्व के उच्चतम विश्वविद्यालय में से एक है। साइबर शिकारियों की जालसाजी का अंदाज इस तथ्य के आधार पर लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक शिक्षित जागरूक एवं प्रसिद्ध पत्रकार को विश्व के किसी अनजान विश्वविश्वविद्यालय का मुखौटा पहनकर मूर्ख नहीं बनाया बल्कि एक नामी विश्वविद्यालय के नाम पर सरेआम धोखाधड़ी की है। व्यक्तिगत अनुभव 25 नवंबर 2020 को मैंने एक निजी विश्वविद्यालय के एक ब्रांच में सहायक प्रवक्ता अंग्रेजी साहित्य के पद के लिए ऑनलाइन साक्षात्कार दिया। जिसकी प्रतिक्रिया स्वरूप मेरे को उसी निजी विश्वविद्यालय की विदेश में स्थित ब्रांच में काम करने की इच्छा पूछी गई आगे की प्रक्रिया के दौरान मैंने उस देश एवं उस विश्वविद्यालय के बारे में कुछ साइट्स और यूट्यूब चैनल को ब्राउज किया। इसी दौरान 7 जनवरी 2021 को रेनेसां स्कूल दुबई के एचआर विभाग से मुझे एक ईमेल आया जिसमें मुझे सूचित किया गया कि मेरा बायोडाटा स्कूल के एचआर विभाग ने अपनी संक्षिप्त सूची में चयनित कर लिया है। इस ईमेल के माध्यम से मुझे कुछ सूचनाओं के साथ मेरा नवीनतम बायोडाटा भी सांझा करने का कहा गया। तदुपरांत मैंने अपना बायोडाटा ईमेल के माध्यम से भेजा 13 जनवरी 2021 को 15 पेज का जॉब ऑफर पत्र भेजा गया। यहां गौर करने लायक बात यह थी कि ना ही तो मैंने स्कूल के लिए कभी आवेदन किया ना ही मेरा कोई साक्षात्कार हुआ।सबसे महत्वपूर्ण इस ऑफर लेटर में एक यात्रा एवं पर्यटन दुबई का पता भेजा एवं इस एजेंसी के संपर्क में रहकर 30 मार्च तक दुबई पहुंचने के लिए निर्देश दिए गए। ऑफर लेटर की शर्त के अनुरूप विजाइम यात्रा संबंधी संपूर्ण खर्च मुझे वहन करना है। जिसको स्कूल ज्वाइनिंग के बाद बिल एवं यात्रा एजेंसी की रिपोर्ट के बाद मुझे भुगतान करेगा। मेरे अध्यापकों व दोस्तों की सांझा छानबीन के बाद हमने पाया कि यह एक जाली ईमेल है जिसका मकसद मेरे जैसे लाखों करोड़ों युवाओं को अपने जाल में फंसाना है।सर्वविदित है कि लंबे लोग डाउन की सबसे भारी चोट निजी संस्थाओं में पढ़ाने वाले शिक्षकों को लगी है लेकिन फिर भी हमें हमारी बुद्धिमता का परिचय देते हुए संयम सजगता एवं सतर्कता से काम लेना होगा

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