साहित्य की कोई सरहद नहीं होती। साहित्य का संदेश सार्वभौमिक होता है। अतः वह सरहद पार जाकर विभिन्न देशों को भावना के स्तर पर जोड़ता है। यह कहना है वरिष्ठ साहित्यकार तथा मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट, नारनौल के चीफट्रस्टी डॉ रामनिवास ‘मानव’ का। वर्चुअल ‘नेपाल-भारत लघुकथा-सम्मेलन’ में बतौर विशिष्ट अतिथि उन्होंने कहा कि लोकप्रिय साहित्यिक विधा लघुकथा भी आज भारत और नेपाल को जोड़ने का कार्य कर रही है। नेपाली लघुकथा-समाज, काठमांडू द्वारा आयोजित इस द्विराष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य अतिथि और नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान, काठमांडू के कुलपति गंगाप्रसाद उप्रेती ने नेपाल-भारत संबंधों को अत्यंत मजबूत बताते हुए कहा कि दोनों देशों की साहित्यिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पृष्ठभूमि एक जैसी है। अतः दोनों के रिश्तों में अलगाव संभव नहीं है। उन्होंने साहित्य के माध्यम से दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करने पर भी बल दिया। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में नेपाली लघुकथा-समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा नेपाल के प्रतिष्ठित सरकारी दैनिक ‘गोरखा-पत्र’ के पूर्व प्रधान संपादक श्रीओम श्रेष्ठ ‘रोदन’ ने कहा कि मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट, नारनौल (हरियाणा) ने वर्ष 2018 में ‘इंडो-नेपाल लघुकथा-सम्मेलन’ की जो शुरुआत की थी, वह अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गई है। अब हमने भी इस परंपरा को और आगे बढ़ाने का निर्णय किया है। सम्मेलन को सफल बनाने हेतु दोनों देशों के लघुकथाकारों को बधाई देते हुए उन्होंने उनके प्रति आभार भी व्यक्त किया। डॉ पुष्करराज भट्ट के कुशल संयोजन तथा तुलसीहरि कोइराला के सफल संचालन में संपन्न हुए इस यादगारी सम्मेलन में डॉ पुष्करराज भट्ट ने नेपाली-लघुकथा के उद्भव और विकास पर तथा डॉ सत्यवीर ‘मानव’ ने हिंदी-लघुकथा की विकास-यात्रा पर प्रकाश डाला। समारोह के अंत में दोनों देशों के सभी संभागी लघुकथाकारों को ऑनलाइन प्रशस्ति-पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
इन्होंने किया लघुकथा-पाठ : भारत की ओर से नारनौल (हरियाणा) के डॉ रामनिवास ‘मानव’, डॉ सत्यवीर ‘मानव’ और डॉ जितेंद्र भारद्वाज, जयपुर (राजस्थान) के प्रबोधकुमार गोविल, अहमदाबाद (गुजरात) के डॉ हूंदराज बलवाणी, भोपाल (मध्य प्रदेश) के डॉ योगेंद्रनाथ शुक्ल, पटना (बिहार) के भगवतीप्रसाद गौतम, पटियाला (पंजाब) के सागर सूद ‘संजय’, पीलीभीत (उत्तर प्रदेश) की डॉ संध्या तिवारी और नई दिल्ली के राकेश भ्रमर ने तथा नेपाली लघुकथाकारों में सुरुभक्त श्रेष्ठ, श्रीओम श्रेष्ठ ‘रोदन’, डॉ पुष्करराज भट्ट, हरिप्रसाद भंडारी, डॉ कपिल लामिछाने, नवराज रिजाल, आशीष मल्ल, सुषमा मानंधर, सिंधु गौतम, ध्रुव मधिकर्मी, सुमन सौरभ और कृष्ण बजगई ने अपने लघुकथा-पाठ द्वारा सम्मेलन को गरिमा प्रदान की। नेपाली लघुकथा-समाज द्वारा आयोजित यह प्रथम नेपाल-भारत लघुकथा-सम्मेलन ऐतिहासिक रूप से सफल रहा।